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नागपुर में है 3000 से अधिक एटीएम, नहीं हैं सुरक्षा के इंतजाम, बैंक भी बेफिक्र
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर की गलियों से लेकर चौराहों में अनगिनत एटीएम सेंटर हैं। पहले यहां पर सुरक्षा गार्ड हुआ करते थे, लेकिन कई बैंकों ने कास्ट कटिंग के नाम पर सुरक्षा गार्ड हटा दिए। स्थानीय पुलिस का कहना है कि उनके क्षेत्र में एटीएम सेंटर लगाते समय उन्हें कोई सूचना नहीं दी जाती है। हां, एटीएम सेंटर शुरू हो जाने पर क्षेत्र के पुलिस बीट मार्शल संबंधित बैंकों के बंद कैमरों व अन्य अव्यवस्थाओं के बारे में प्रबंधकों को जाकर सूचित करते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नागपुर में विविध बैंकों के तकरीबन 3000 एटीएम सेंटर संचालित हो रहे हैं। इसमें से अधिकांश एटीएम सेंटरों में लगे सीसीटीवी कैमरे बंद होने की जानकारी मिली है।
10 लाख रुपए का होता है बीमा
सूत्रों के अनुसार एटीएम सेंटर की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की होती है। अब बैंकों ने इसके लिए सुरक्षा गार्ड रखने के बजाय निजी कंपनियों को ठेका दे देती हैं। निजी कंपनियां भी बीमा कंपनियों से एटीएम सेंटर में लगी मशीनों का बीमा करा लेती हैं। इससे उन्हें सुरक्षा गार्ड रखने की जरूरत महसूस नहीं होती है। एक एटीएम सेंटर का करीब 10 लाख रुपए तक का बीमा कराया जा सकता है। यही कारण माना जा रहा है कि एटीएम सेंटर में सुरक्षा गार्ड रखने के बजाय अब एटीएम सेंटरों का निजी कंपनियों द्वारा सीधा बीमा करा लिया जाता है। इससे किसी भी एटीएम सेंटर में कोई घटना या वारदात होने पर बीमा कंपनियों से एक्सीडेंटल बीमा के अंतर्गत निजी कंपनियां अपना सुरक्षा कवर हासिल कर लेती हैं।
एक साल में 40 घटनाएं आईं सामने
इसको लेकर कोई पूरी तरह दावा इसलिए नहीं कर सकता है, क्योंकि किसी भी एटीएम सेंटर में वहां लगी मशीनों, सीसीटीवी कैमरों से लेकर तमाम रखरखाव की जिम्मेदारी टेंडर लेने वाली सर्विस कंपनियों की होती है। पिछले एक वर्ष में संतरानगरी के आसपास 40 से अधिक घटनाओं में एटीएम सेंटरों से रुपए चोरी होने, मशीनों को तोड़ने और मशीनों को ही चुराकर ले जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
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डाटा के लिए लगता है समय
साइबर अपराध शाखा पुलिस विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया िक कई बैंक तो ऐसे हैं, जहां पर किसी तरह की वारदात होने पर उसका डाटा हासिल करने के लिए पुलिस को 4 से 5 दिन का समय लग जाता है। पुलिस विभाग से मिली एक जानकारी के अनुसार शहर में 10 से अधिक सर्विस कंपनियां कार्यरत हैं, जिनके पास संचालित हो रहे बैंकों के एटीएम सेंटरों के रखरखाव का ठेका है।
गाइड लाइन की जारी
एक एटीएम सेंटर सर्विस कंपनी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया िक आज कल बैंक टेंडर निकालने लगे हैं। यहां पर भी कास्ट कटिंग का काम शुरू हो गया है, यही कारण है िक एटीएम की सुरक्षा खतरे का कारण बन रही है। शुरुआती दौर में पहले एटीएम सेंटरों में लगी मशीनों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड लगाया जाना जरूरी था। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बकायदा गाइड लाइन जारी की गई थी।
नहीं देते जानकारी
सूत्रों के अनुसार एटीएम सेंटर के रखरखाव और सुरक्षा व्यवस्था का रिकार्ड सर्विस कंपनी द्वारा संबंधित बैंक के पास 90 दिनों में भेजा जाता है। यह रिकार्ड बैंक और ठेका लेने वाली कंपनी के बीच रहता है। ऐसे में शहर में पुलिस को यह पता ही नहीं चल पाता है िक आखिर कहां पर क्या कमी है। पुलिस को इस रिकार्ड के बारे में जानकारी दी जाए तो वहां की समस्या दूर हुई या नहीं इस बारे में पुलिस पूछपरख कर सकती है।
बैंक बुलाते हैं टेंडर
शहर के एटीएम सेंटरों में लाखों रुपए जमा होते हैं। यह बड़े दुर्भाग्य की बात है िक इन एटीएम सेंटरों की सुरक्षा सिर्फ सीसीटीवी कैमरों के भरोसे पर हो रही है। कई शातिर अारोपी अब इस अाधुनिक प्रणाली को भी चकमा देने में कामयाब हो रहे हैं। सूत्रों ने बताया िक किसी भी एटीएम सेंटर को शुरू करने के लिए बैंक बाकायदा टेंडर बुलाते है। सबसे कम टेंडर भरने वाले को ठेका दिया जाता है। पहले बैंक के अधिकारी एटीएम सेंटर की सुरक्षा काे लेकर ज्यादा फिक्रमंद हुआ करते थे।
अब एटीएम की सुरक्षा व्यवस्था को टेंडर प्रणाली के माध्यम से चयनित किया जाने लगा है। यही कारण है िक नागपुर के एटीएम सेंटरों में आए घटनाएं हो रही हैं। मेहनत की कमाई एटीएम सेंटरों में बंद है। इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी न तो पुलिस ले रही है और न ही बैंक लेते हैं। इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उन सर्विस कंपनियों की होती है, जिनको टेंडर के माध्यम से ठेका मिलता है। इस गंभीर समस्या पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। शहर में लगे अधिकांश एटीएम सेंटरों के रखरखाव का ठेका बाहरी राज्यों की कंपनियों को मिला है।
कई एटीएम सेंटर में सूचना फलक तक नहीं
शहर में बढ़ते साइबर अपराध को लेकर यहां की साइबर सेल पुलिस भी बेहद गंभीर नजर आती है। साइबर सेल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शहर एटीएम सेंटरों में लगे सीसीटीवी कैमरों के बंद होने का रिकार्ड पुलिस के पास मौजूद नहीं हैं। क्योंकि जब भी कोई एटीएम सेंटर लगाया जाता है तो उसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी जाती है। जब वारदात हो जाती है तब उसका सारा ठिकरा पुलिस के सिर पर फोड़ दिया जाता है। शहर के सैकड़ों सेंटरों में सूचना फलक तक नहीं है, जबकि सभी एटीएम सेंटर में आप सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हैं, जैसी सूचनाएं लिखना चाहिए।
बैंकों को भेजते हैं पत्र
जब कोई घटना होती है, तब पुलिस संबंधित बैंक को पत्र भेजकर वहां लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज मांगती है। जो कई बार तो नहीं मिल पाते हैं। इसका कारण यही बताया जाता है कि दुरुस्ती का कार्य शुरू होने के कारण फुटेज नहीं मिल पाए। अब एहतियात के तौर पर संबंधित थाने के बीट मार्शल सिपाही को उसके क्षेत्र के एटीएम सेंटर की सुरक्षा लेकर गश्त करने को कहा गया है। पहले एटीएम सेंटरों में सुरक्षा गार्ड रहने से उसका रिकार्ड बीट मार्शल तैयार करता था िक जब उस क्षेत्र का उसने गश्त किया तो वहां का सुरक्षा गार्ड ड्यूटी पर था या नहीं। इसके चलते कई बार सुरक्षा गार्डों को ठीक से ड्यूटी नहीं करने के चक्कर में हटाया भी गया है।
-डाॅ. नीलेश भरणे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, नागपुर
Created On :   18 Feb 2020 1:06 PM IST