मेट्रो ट्रेन से हर साल कम होगा 2 लाख 61 हजार टन कार्बनडाई आक्साईड

Carbon dioxide will be reduced every year by metro train
मेट्रो ट्रेन से हर साल कम होगा 2 लाख 61 हजार टन कार्बनडाई आक्साईड
मेट्रो ट्रेन से हर साल कम होगा 2 लाख 61 हजार टन कार्बनडाई आक्साईड

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेट्रो से सालना दो लाख 61 हजार 968 टन कार्बनडाई आक्साइड कम होने की बात पर गौर करते हुए बांबे हाईकोर्ट ने मेट्रो कारशेड के लिए 2646 पेड़ो को काटे जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही पेड़ों को काटने की अनुमति देनेवाले वृक्ष प्राधिकरण के निर्णय को सही माना है। यह याचिका नगरसेवक यशवंत जाधव व सामाजिक कार्यकर्ता जोरु भतेना ने दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि मेट्रो 3 कारशेड के लिए मुंबई महानगरपालिका के वृक्ष प्राधिकरण ने पेड़ो को काटने को लेकर दी आपत्तियों पर विचार नहीं किया है। पेड़ो को काटने की अनुमति के संबंध में लिया गया निर्णय मनमानीपूर्ण है। क्योंकि यह निर्णय लेते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। 

याचिका में उल्लेखित तथ्यों व मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने पाया कि मेट्रो ट्रेन के चलने से सालाना यहां पर उत्सर्जित होनेवाले दो लाख 61 हजार 968 टन कार्बनडाई आक्साईड में कमी आएगी। क्योंकि मेट्रो के चलने से सड़कों पर चलने वाले वाहनों पर निर्भता कम होने की उम्मीद है। खंडपीठ ने माना की वृक्ष प्राधिरकरण ने सभी पहलूओ पर गौर करने के बाद पेड़ो को काटने की अनुमति प्रदान की है। लोगों को प्राधिकरण के पास अपनी आपत्तियों का सारंश भेजना चाहिए। प्राधिकरण से एक लाख आपत्तियों पर गौर करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। खंडपीठ ने कहा कि प्रकरण को लेकर हमे वृक्ष प्राधिकरण का निर्णय पारदर्शा, निष्पक्ष व तर्कसंगत नजर आ रहा है। इस दौरान खंडपीठ ने पाया कि मुंबई मेट्रो रेल कार्पोरेशन (एमएमआरसीएल) ने संजय गांधी नेशनल पार्क में काटे जाने पेड़ो की तुलना में सात गुना (20 हजार) से अधिक पेड़े लगा दिए हैं। जिसमे से 95 प्रतिशत पेड़ों की स्थिति अच्छी है। इस दौरान खंडपीठ ने नगरसेवक की याचिका को आधारहीन माना और उस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। खंडपीठ ने जुर्माने की रकम राज्य विधि सहायता कोष मेें जमा करने को कहा है। 

आरे को वन क्षेत्र मानने से इंकार

इस बीच खंडपीठ ने एक गैर सरकारी संस्था की ओर से दायर उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमे आरे को 2280 हेक्टर जमीन को संरक्षित वन घोषित करने की मांग की गई थी। यह याचिका वनशक्ति नामक गैर सरकारी संस्था ने दायर की थी। खंडपीठ ने कहा कि इससे संबंधित विषय सुप्रीम कोर्ट में प्रलंबित है। इसलिए हम इस पर विचार नहीं कर सकते।

Created On :   4 Oct 2019 7:09 PM IST

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