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समस्या: शासकीय आयुर्वेद हास्पिटल का बुरा है हाल, पांच साल से नहीं मिल पाई नई एक्स-रे मशीन
- दो एक्स-रे मशीनें कबाड़ अवस्था में पड़ी
- रेडियोलॉजिस्ट का पद मंजूर नहीं
- रेडियोलॉजिस्ट आने के बाद ही आएगी एक्सरे मशीन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व अस्पताल नागपुर में पिछले पांच साल से एक्स-रे मशीन का इंतजार किया जा रहा है। यहां दो एक्स-रे मशीनें कबाड़ अवस्था में पड़ी हैं। इसलिए नई मशीन का प्रस्ताव भेजा गया है। इसके अलावा यहां एक और पेंच है, जो सुलझने पर ही नई मशीन आ सकती है। पेंच यह है कि यहां रेडियोलॉजिस्ट का पद मंजूर नहीं है। जब तक इस पद को मंजूरी नहीं मिलती, तब तक मशीन का कोई उपयोग नहीं होगा। क्योंकि बिना विशेषज्ञ के मशीन का क्या करेंगे, यह सवाल पैदा हो चुका है। इसलिए पहले रेडियोलॉजिस्ट का पद मंजूर कर भरती प्रक्रिया पूरी करना जरूरी है। पुरानी मशीनें सामान्य तकनीक वाली थीं, इसलिए उसे कोई भी ऑपरेट करता था, लेकिन अब अत्याधुनिक मशीन आने पर वह रेडियोलॉजिस्ट के बिना ऑपरेट नहीं की जा सकेगी।
ठेके पर लेना होगा रेडियोलॉजिस्ट : पुरानी मशीनें सामान्य होने से उन्हें अस्पताल का कोई भी वरिष्ठ कर्मचारी ऑपरेट करता था। इसलिए यहां रेडियोलॉजिस्ट के पद को मंजूरी नहीं मिली है। लेकिन अब नये दौर की अत्याधुनिक मशीन की मांग की गई है। इस मशीन को ऑपरेट करने के लिए विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्ट की आवश्यकता होगी। इसलिए सबसे पहले इस पद की मंजूरी के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इस पद को मंजूरी मिलने के बाद भर्ती प्रक्रिया होगी। जब रेडियोलॉजिस्ट होगा तभी नई एक्स -रे मशीन का उपयोग होगा। अन्यथा नई मशीन ज्यों की त्यों पड़ी रहेगी। यदि पहले मशीन मिली तो इसे ऑपरेट करने के लिए ठेके पर किसी रेडियोलॉजिस्ट की सेवा लेनी पड़ेगी। अस्पताल की हर रोज की ओपीडी औसत 400 और बिस्तर क्षमता 180 है। बावजूद यह अस्पताल सरकार की उदासीनता के चलते आधुनिकता से कोसों दूर है।
कबाड़ बनी हैं दो मशीनें : शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व अस्पताल नागपुर में नई एक्स-रे मशीन के लिए 2017 में सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। तब से इस प्रस्ताव पर सकारात्मक पहल नहीं हो पाई है। अस्पताल प्रबंधन इस दिशा में नियमित पत्राचार कर रहा है। एक्स-रे मशीन नहीं होने से मरीजों को एक्स-रे के लिए मेडिकल में भेजा जाता है। सूत्रों ने बताया कि हर राेज 2 या 3 मरीजों को बाहर से एक्स रे निकालना पड़ता है। यहां दो एक्स रे-मशीनें हैं। एक 1965 में कॉलेज शुरू हुआ उसके कुछ साल बाद खरीदी गई थी। यह मशीन कबाड़ बनने के बाद दूसरी मशीन 1996 में खरीदी गई। 10 साल बाद इस मशीन की अवधि खत्म हो गई। यह मशीन भी बंद हो गई। यह दोनों मशीनें पुराने दौर की हैं। इसलिए इन्हें मरम्मत करके चलाना संभव नहीं है।
Created On :   20 March 2024 2:24 PM IST