"विश्व पेपर बैग दिवस’: प्लास्टिक का त्याग कर बनाईं कागज की थैलियां, स्कूल बच्चों को दिया प्रशिक्षण

प्लास्टिक का त्याग कर बनाईं कागज की थैलियां, स्कूल बच्चों को दिया प्रशिक्षण
  • 150 साल तक नष्ट नहीं होता प्लास्टिक
  • जमीन में पड़े होने से पर्यावरण होता है प्रदूषित
  • पेपर बैग बनाने की कार्यशाला का आयोजन

डिजिटल डेस्क, बेसा (नागपुर)। प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग से होने वाले प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है, क्योंकि इसे नष्ट होने में 100 से 150 साल लग जाते हैं। जमीन पर फेंके गए प्लास्टिक बैग वर्षों तक जमीन में पड़े रहते हैं। ये पर्यावरण और वन्यजीवों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे जनजागरण के लिए हर साल जुलाई में ‘विश्व पेपर बैग दिवस’ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक बैग की तुलना में पेपर बैग के उपयोग के पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इसे ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक की थैलियों के स्थान पर पेपर बैग के उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मानेवाड़ा रोड स्थित सिद्धेश्वर विद्यालय में राष्ट्रीय हरित सेना के सहयोग से "विश्व पेपर बैग दिवस’ उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्कूली विद्यार्थियों के लिए पेपर बैग बनाने की कार्यशाला का आयोजन किया गया।

वन्यजीवों के लिए नुकसानदायक : अमेरिकी वैज्ञानिक फ्रांसिस बोले ने 1852 में पहली पेपर बैग मशीन का आविष्कार किया था। इस क्रांतिकारी आविष्कार द्वारा पेपर बैग के बड़े पैमाने पर उत्पादन और पैकेजिंग को व्यापर के उद्देश्य से बढ़ावा मिला, लेकिन 20वीं सदी से प्लास्टिक बैग का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। इससे पर्यावरण और वन्यजीवों को काफी हद तक नुकसान पहुंच रहा है। लोगों को प्लास्टिक बैग से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान के बारे में जागरूक करने और पेपर बैग के उपयोग को फिर से शुरू करने के लिए 12 जुलाई को "विश्व पेपर बैग दिवस’ के रूप में शुरू किया गया था।

आयोजित की कार्यशाला इस दिन के उपलक्ष्य में स्कूली छात्रों के बीच पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से सिद्धेश्वर विद्यालय में पेपर बैग बनाने की कार्यशाला आयोजित की गई। स्कूल के विद्यार्थियों ने प्लास्टिक बैग का त्याग कर और पेपर बैग बनाकर इसका उपयोग करने का निर्णय लिया है। इस गतिविधि के दौरान विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पेटकर, राष्ट्रीय हरित सेना के सदस्य व विद्यालय के शिक्षक सुनील येटरे, डोंगरवार, गारघाटे, क्षीरसागर, राठोड़ आदि शिक्षक उपस्थित थे।

स्मार्ट विकल्प है अर्थ-911 के अनुसार, पेपर बैग को 5 से 7 बार तक रीसाइकिल किया जा सकता है, जिससे वे दोबारा इस्तेमाल के लिए एक स्मार्ट विकल्प बन जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पेपर बैग में मौजूद फाइबर को तोड़कर नए पेपर उत्पाद बनाने के लिए दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। पेपर बैग का दोबारा इस्तेमाल करके लैंडफिल में कचरे की मात्रा को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

Created On :   19 July 2024 4:47 PM IST

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