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अनुशेष: नागपुर जिला परिषद का महिला व बाल कल्याण विभाग खर्च करने में नंबर वन
- सर्वाधिक 71 फीसदी हुआ खर्च
- जो नहीं हुआ उसके लिए सीईओ को ठहराया जिम्मेदार
- ऐन टेंडर निकालते वक्त रोड़ा डालने का आरोप
डिजिटल डेस्क, नागपुर । वित्तीय वर्ष 2023-2024 में सेस फंड की निधि खर्च में महिला व बाल कल्याण विभाग ने 71 फीसदी निधि खर्च कर नंबर वन रहा। बजट में 5 करोड़, 64 लाख, 45 हजार 739 रुपए का प्रावधान किया गया। उसमें से 4 करोड़, 3 लाख, 13 हजार 961 रुपए खर्च हुए। 1 करोड़, 61 लाख, 38 हजार 778 रुपए खर्च नहीं हो पाए। जो निधि खर्च नहीं हो पाई, उसके लिए सीईओ और विभाग प्रमुख को सभापति अवंतिका लेकुरवाले ने जिम्मेदार ठहराया।
डीबीटी की मीटिंग बुलाई गई : सभापति ने अपने कक्ष में पत्र-परिषद बुलाई। उन्होंने कहा कि सिलाई मशीन प्रशिक्षण, ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण, खेल सामग्री, अलमारी, सैनिटरी नैपकीन व प्रचार-प्रसिद्धि की निधि खर्च नहीं हो पाई। वित्तीय वर्ष की शुरुआत में यानी अप्रैल-मई महीने में डीबीटी की मीटिंग बुलाकर रेट तय करना अपेक्षित है। सीईओ और िवत्त व लेखा अधिकारी की यह जिम्मेदारी है। आधा वित्तीय वर्ष निकल जाने पर डीबीटी की मीटिंग बुलाई गई। ऐन टेंडर निकालने के वक्त डीबीटी की मीटिंग बुलाकर खरीदी प्रक्रिया में बाधा डाली गई, जिसकी वजह से निधि खर्च में रोड़ा आने का उन्होंने आरोप लगाया।
प्रशासन की नीयत पर सवाल : प्रचार-प्रसिद्धि की निधि खर्च करने में अड़ंगा डालने पर उन्होंने प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने बताया कि अांगनवाड़ियों के माध्यम से चलाई जानेवाली योजनाओं की जानकारी नागरिकों तक पहुंचाने के लिए आंगनवाड़ी में फलक लगाने का समिति ने निर्णय लिया। उसकी फाइल सीईओ के पास से 4 बार वापस लौटाई गई। प्रशासन में खोट है, इसलिए जनहित में चलाई जानेवाली योजनाओं से नागरिकों को अवगत कराना नहीं चाहता है।
प्रशासनिक मनमानी से पंद्रहवें वित्त आयोग की निधि खर्च नहीं : जिला परिषद के महिला व बाल कल्याण विभाग की पंद्रहवें वित्त आयोग की निधि प्रशासनिक मनमानी से खर्च नहीं हो पाने का सभापति अवंतिका लेकुरवाले ने पत्र-परिषद में आरोप लगाया। वित्तीय वर्ष 2020-2021 की निधि 36 लाख रुपए, वर्ष 2022-2023 में प्राप्त 1 करोड़, 6 लाख 55 हजार रुपए, वर्ष 2023-2024 में प्राप्त 1 करोड़, 17 लाख 79 हजार रुपए निधि खर्च नहीं होने की उन्होंने जानकारी दी।लेकुरवाले ने बताया कि पंद्रहवें िवत्त आयोग की निधि राज्य की अन्य जिला परिषदों में स्वनिधि के तौर पर खर्च की जाती है। नागपुर जिला परिषद अपवाद है। सीईओ के कहने पर तकनीकी मंजूरी के लिए प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जाता है। यह निधि खर्च करने का जिला परिषद को पूरा अधिकार है। सीईओ को यह ध्यान में लाकर देने पर विभाग प्रमुख को जिला परिषद स्तर पर निधि खर्च करने के मौखिक आदेश दिए। विभाग प्रमुख सीईओ का पत्र के सिवा खर्च नहीं करने की विभाग प्रमुख ने भूमिका ली है। सीईओ पत्र देने के लिए तैयार नहीं है। प्रशासन के बीच तालमेल के अभाव में निधि खर्च नहीं होने का कटाक्ष किया।
Created On :   26 April 2024 12:29 PM GMT