Nagpur News: नागपुर इसलिए है भारत का सबसे गर्म शहर , लू के थपेड़े कर देते हैं हलाकान

नागपुर इसलिए है भारत का सबसे गर्म शहर , लू के थपेड़े कर देते हैं हलाकान
  • अप्रैल माह में ही सूरज उगलने लगा आग, गर्मी से बेहाल हो रहे लोग
  • अंधाधुंध शहरीकरण और पर्यावरण की अनदेखी से उपराजधानी बना "अर्बन हीट आईलैंड’

Nagpur News अजय त्रिपाठी . अपना शहर देश का सबसे गर्म शहर कहा जाने लगा है। अप्रैल में दिन का तापमान निरंतर बढ़ता गया। लू और गर्म हवा के थपेड़ों ने आम जनजीवन पर असर डाला है। अधिकतम तापमान लगातार 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बना हुआ है। 19 अप्रैल को पारा 44. 7 डिग्री पहुंच गया। हालांकि 30 अप्रैल 2009 को नागपुर ने 47.1 डिग्री का रिकॉर्ड बनाया था। क्या फिर वैसा होगा? नागपुरकरों को भविष्य की चिंता सता रही है।

पहला कारण: हर साल मार्च से जून तक नागपुर का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है। इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं। मौसम, भूगोल और शहर की बनावट से जुड़े मामले हैं। नागपुर का तापमान बढ़ने का सबसे पहला कारण है- उत्तर-पश्चिम भारत से आने वाली गर्म और सूखी हवाएं। गर्मियों में राजस्थान और थार रेगिस्तान बहुत गर्म हो जाते हैं। वहां से गर्म और शुष्क हवाएं नागपुर तक पहुंचती हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे 'कॉन्टिनेंटल ट्रॉपिकल एयर' कहते हैं। इन हवाओं में नमी नहीं होती। इसलिए ना तो बारिश होती है और ना ही वातावरण ठंडा होता है। इस वजह से नागपुर का तापमान तेजी से बढ़ जाता है। विदर्भ मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रिजवान अहमद के अनुसार मौसम विभाग ने इस पर कई अध्ययन किए हैं। इनमें बताया गया है कि ऐसी हवाएं हर साल मध्य भारत में गर्मी की लहरें लाती हैं।

दूसरा बड़ा कारण : नागपुर की जमीन चट्टानी हैं। नागपुर ‘डेक्कन पठार’ पर बसा है। यहां की जमीन में काले ज्वालामुखीय पत्थर (बेसाल्ट) होते हैं। ये पत्थर सूरज की गर्मी को जल्दी सोख लेते हैं। इसे धीरे-धीरे रात में छोड़ते हैं। इस वजह से दिन के साथ-साथ रातें भी गर्म रहती हैं।

तीसरा कारण : नागपुर के बढ़ते तापमान का तीसरा कारण है तेजी से शहरीकरण। शहर में पेड़ कम हो रहे हैं। इमारतें, कंक्रीट और सड़कों की संख्या बढ़ रही है। इससे 'अर्बन हीट आइलैंड' जैसी स्थिति बनती है। इसमें शहर का तापमान आसपास के गांवों की तुलना में 3 से 5 डिग्री ज्यादा हो सकता है।

भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है : गर्मियों में सूरज की किरणें यहां सीधे ज़मीन पर गिरती हैं। इससे तापमान और भी बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार जब मिट्टी में नमी नहीं होती, तो वह ठंडी नहीं रह पाती और हवा को भी ठंडा नहीं कर पाती। पिछले दस वर्षों से अप्रैल में औसत अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहता है। औसत न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है। इस माह में औसत आर्द्रता लगभग 23 से 37 प्रतिशत के बीच होती है। कभी-कभी वातावरण धूमिल सा होता है। हवा की दिशा मुख्यतः उत्तर पश्चिमी होती है।

तापमान बढ़ने के प्रमुख कारण : विदर्भ मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रिजवान अहमद बताते हैं कि सीमेंट रोड, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, सीमेंट-कांक्रीट की बहुमंजिला इमारतें और जमीन में वर्ष जल का रिसाव न होना चिंताजनक है। उद्योग, प्रदूषण, वाहनों से निकलने वाला धुआं, बिजली उपकरणों की ऊष्मा और तालाबों का खत्म होना भी तापमान बढ़ने की बड़ी वजह है।

तापमान कम करने के उपाय : डॉ. रिजवान अहमद कहते हैं, जगह-जगह ग्रीन प्लांटेशन, छतों पर ग्रीन प्लांटेशन, छत की सफेद पेंट या चूने से पुताई, ई-व्हीकल का अधिकाधिक उपयोग, बिजली उपकरणों का जरूरत के हिसाब से उपयोग होना चाहिए। इससे तापमान में 5 डिग्री तक की कमी आ सकती है।

अप्रैल माह के मौसम के आंकड़ों पर एक नजर : उच्चतम अधिकतम तापमान 47.1 डिग्री सेल्सियस 30 अप्रैल 2009 को दर्ज किया गया, {निम्नतम न्यूनतम तापमान 13.9 डिग्री सेल्सियस 1 अप्रैल 1968 को दर्ज किया गया, {सर्वाधिक कुल मासिक वर्षा 129 मिमी सन 1937 को दर्ज की गयी {24 घंटे में सर्वाधिक वर्षा 59.4 मि.मी. 19 अप्रैल 1937 को दर्ज की गयी

जलवायु परिवर्तन का असर : ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और सीमेंट की सड़कों के कारण तापमान बढ़ रहा है। गाड़ियों, फैक्ट्रियों और बिजली उत्पादन से निकली ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में गर्मी को बढ़ा देती हैं। इससे जलवायु परिवर्तन का खतरा भी गहराता है। शहरीकरण के चलते पेड़ कट रहे हैं। पेड़ छाया देने के साथ हवा साफ करते हैं और वातावरण में नमी बनाए रखते हैं। सीमेंट और डामर की सड़कें सूरज की गर्मी सोखकर वातावरण को और गर्म करती हैं। शहरों में गर्मी का स्तर असहनीय है। लोग हीटवेव जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ग्लोबल टेम्परेचर 1.1 डिग्री तक बढ़ चुका है। इसका बढ़ना रोकने के लिए पेरिस एग्रीमेंट में 195 देशों ने हस्ताक्षर किए है। - कौस्तुभ चटर्जी, पर्यावरणविद्

डिग्री सेल्सियस में

29 अप्रैल 2015 44.5

22 अप्रैल 2016 45.0

19 अप्रैल 2017 45.5

30 अप्रैल 2018 45.2

28 अप्रैल 2019 45.3

18 अप्रैल 2020 43.4

29 अप्रैल 2021 43.1

30 अप्रैल 2022 45. 2

20 अप्रैल 2023 42. 0

5, 9, 30 अप्रैल 2024 41. 4

Created On :   22 April 2025 12:14 PM IST

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