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रश्मि बर्वे मामले में फैसला सुरक्षित, सभी पक्षों की दलीलें पूरी
- बर्वे ने कार्रवाई को बताया था अवैध
- बोगस दस्तावेज से जाति प्रमाणपत्र लेने का आरोप
- कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में जिला परिषद की पूर्व अध्यक्षा रश्मि बर्वे द्वारा जाति वैधता प्रमाणपत्र से संबंधित मामले में दायर याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। नागपुर खंडपीठ में दायर याचिका में बर्वे ने दावा किया है कि, जाति वैधता प्रमाणपत्र से संबंधित मामले में मेरे खिलाफ जिला जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति और सामाजिक न्याय विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई अवैध है।
सरकार की दलील : पिछली सुनवाई में राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने दलील रखते हुए कहा था कि बर्वे ने जाति वैधता प्रमाण पत्र प्राप्त करते समय झूठे दस्तावेज प्रस्तुत किए। इस मामले में शिकायत मिलने के बाद जाति सत्यापन समिति को अपना फैसला वापस लेने का अधिकार है और इसलिए बर्वे को अब कोई राहत नहीं मिल सकती।
पक्ष में तर्क : वहीं, बर्वे के वकील एड. शैलेश नारनवरे ने पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया था कि, -"नवनीत राणा' मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्कुल बर्वे के मामले पर लागू होता है। इसलिए, बर्वे के अनुरोध को मंजूरी देना और सत्यापन समिति के निर्णय को रद्द करना आवश्यक है।
इन्होंने की पैरवी : गुरुवार को न्या. अविनाश घरोटे और न्या. एम. एस. जवलकर के समक्ष हुई सुनवाई में सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। रश्मि बर्वे की ओर से एड. शैलेश नारनवरे व एड. समीर साेनवाने और राज्य की ओर से महाधिवक्ता बिरेंद्र सराफ ने पैरवी की।
Created On :   10 May 2024 1:16 PM GMT