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वन्यजीव: गोरेवाड़ा जू का हाल, 11 पिंजरे और 29 बाघ, भालू के पिंजरे में रखना पड़ रहा बाघों को
- गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में क्षमता से दोगुनी संख्या
- जू में शिफ्ट करने के लिए प्रस्ताव भेजा
- बाघों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में इन दिनों बाघों की संख्या क्षमता से दोगुनी हो गई है। यहां बाघों को रखने के लिए प्रशासन के पास मात्र 11 पिंजरे हैं। लेकिन अब तक 29 बाघ यहां आ गए हैं। ऐसे में इन बाघों को भालू, तेंदुए के पिंजरों मंें शिफ्ट करना पड़ रहा है। हालांकि इससे बाघों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही है, लेकिन यदि भालू या तेंदुए की संख्या बढ़ जाए तो इन्हें फिर कहां रखा जाएगा? यह सवाल प्रशासन के सामने जरूर आ रहा है। ऐसे में हाल ही में प्रशासन की ओर से केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण विभाग को प्रस्ताव भी भेजा है, जिसमें बाघों को विभिन्न जू में शिफ्ट करने का सुझाव दिया गया है।
गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां पूरे विदर्भ से घायल वन्यजीवों को लाकर उपचार किया जाता है। यही नहीं इंसानों के लिए घातक बने बाघ, तेंदुए, भालू आदि को भी यहीं लाकर रखा जाता है। सभी के लिए 10 से 11 स्वतंत्र पिंजरे बनाए गए हैं। इन पिंजरों में वन्यजीवों के हैबिट को देखते हुए संरचना की गई है, लेकिन इन दिनों यहां बाघों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
हर महीने आ रहा एक बाघ : महाराष्ट्र में बाघों की संख्या 4 सौ पार हो गई है। केवल विदर्भ में ही 3 सौ के पार बाघ मौजूद हैं। परिणामस्वरुप मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा हो रही है। ऐसे में इंसानों के लिए घातक बननेवाले बाघों को पकड़ नागपुर के गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में लाया जाता है, जहां उसे लंबे समय तक रखना पड़ता है।
बाघों को जू में शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा : यहां इंसानों के कत्ल में 29 बाघ ‘उम्रकैद’ काट रहे हैं। यानी इनका जीवन यहीं पर बीत जाने वाला है, लेकिन इसमें सभी बाघ आक्रामक नहीं है। कई बाघ विपरीत परिस्थितियों में इंसानों को मारने का कारण बने हैं। ऐसे में यह बाघ वर्तमान में शांत ही दिखाई देते हैं। ऐसे कुछ बाघों की सूची केन्द्रीय चिड़ियांघर प्राधिकरण विभाग को भेजी गई है, जिसमें इन बाघों को विभिन्न जू में शिफ्ट करने का सुझाव दिया है।
सहमति का इंतजार : अभी कुल 29 बाघ हैं। पिंजरे की संख्या 11 है। भालू व तेंदुए के पिंजरे लगभग बाघों के पिंजरे जैसे ही होते हैं। हमारे पास भालू व तेंदुए ज्यादा नहीं है, ऐसे में इनके पिंजरों में बाघों रखा गया है। कुछ बाघों को जू में शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा है। सहमति मिलने के बाद आगे का कदम उठाएंगे। -एस. भागवत, व्यवस्थापक, गोरेवाड़ा प्रकल्प नागपुर
Created On :   21 May 2024 1:36 PM IST