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पेंच: जिला परिषद में केदार की तस्वीर को लेकर जंग ,नोटिस जारी कर दिया अल्टीमेटम
- पदाधिकारियों के कक्ष में लगी है तस्वीर
- अब पदाधिकारी और सीईओ के बीच फंसे निजी सहायक
- जिला परिषद में है कांग्रेस की सत्ता ,सुनील केदार गुट का है वर्चस्व
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक घोटाले में दोषी ठहराए गए पूर्व मंत्री सुनील केदार की पदाधिकारियों के कक्ष में लगी तस्वीरों को लेकर जिला परिषद में जंग छिड़ी हुई है। सीईओ ने 4 फरवरी को पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर तस्वीर हटाने के निर्देश दिए। उसे पदाधिकारियों ने प्रतिसाद नहीं दिया। अब अगल कदम के रूप में सीईओ ने उनके निजी सहायकों को नोटिस जारी कर 48 घंटे के भीतर तस्वीरें हटाने का अल्टीमेटम देने की जानकारी सीईओ सौम्या शर्मा ने पत्रकारों को चर्चा के दौरान दी।
पदाधिकारियों के कक्ष में लगी हैं तस्वीरें : जिला परिषद में कांग्रेस की सत्ता है। पूर्व मंत्री सुनील केदार गुट का वर्चस्व है। सभी पदाधिकारियों ने अपने नेतृत्व की तस्वीर कक्ष में लगा रखी है। बैंक घोटाले में उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद विपक्ष केदार की तस्वीर हटाने की मांग कर रहा है। भाजपा ने इस मांग को लेकर जिला परिषद के सामने प्रदर्शन भी किया, उसके बाद प्रशासन हरकत में आया है।
शासन परिपत्रक का आधार लेकर दिया नोटिस : शासकीय कार्यालय में तस्वीर लगाने के संबंध में सरकार ने परिपत्रक जारी किया है, जिसमें 24 राजनीतिक नेता और महापुरुषों की तस्वीर लगाने की अनुमति है। केदार की तस्वीर नियम में नहीं बैठती। शासन परिपत्रक का अाधार लेकर नोटिस जारी किए गए है। पदाधिकारियों को नोटिस देने पर भी तस्वीर नहीं हटाने पर अब स्वीय सहायकों को नोटिस दिया गया है।
स्वीय सहायकों के सामने नया पेंच : केदार की तस्वीरें हटाने के नोटिस पर पदाधिकारियों का प्रतिसाद नहीं मिला। तस्वीर हटाने से पदाधिकारियों ने इनकार करने पर अगला कदम क्या होगा, इसे लेकर जिप में चर्चा चल रही थी। इस बीच सीईओ ने स्वीय सहायकों के नाम नोटिस जारी कर दिए। सीईओ का कहना है कि, पदाधिकारियों के शासकीय निजी सहायकों की नियुक्ति प्रशासन करता है। निजी सहायक पर पदाधिकारी के कक्ष की संपूर्ण जिम्मेदारी रहती है। शासकीय नियमों का पालन करना उनका कर्तव्य है। पद पर आने के बाद पदाधिकारी अपनी मर्जी के निजी सहायकों का चयन करते हैं। पदाधिकारियों की मर्जी से नियम के दायरे में काम-काज करते हैं। सीईओ ने उन्हें नोटिस जारी करने पर पदाधिकारी की सुनें या प्रशासन के आदेश पर अमल करें, इस बात को लेकर पेंच में फंस गया है।
Created On :   14 Feb 2024 4:50 PM IST