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असुविधा: गर्भजल परीक्षण की मुंबई में जांच, रिपोर्ट के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार
- गर्भ में पल रहे शिशु सिकलसेल पीड़ित हैं या नहीं, अंदेशा बना रहता है
- सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में अनेक खामियां
- बरसों से गर्भजल जांच करने के लिए केंद्र शुरू करने की मांग की जा रही
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कई मामलों में उपराजधानी में आज भी सुविधाएं का अभाव है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में अनेक खामियां दिखायी देती हैं। यहां बरसों से गर्भजल जांच केंद्र शुरू करने की मांग की जा रही है, लेकिन इसके प्रति सरकार गंभीर नहीं है। परिणामस्वरुप मुंबई में भेजे जानेवाले नमूने की रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता है।
मेयो के बजाय निजी अस्पताल में भेजने की मजबूरी : सूत्रों के अनुसार, यहां बरसों से गर्भजल जांच करने के लिए केंद्र शुरू करने की मांग की जा रही है, लेकिन यहां जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं हाे पा रही है। गर्भजल के नमूने लेकर मुंबई भेजे जाते हैं। मुंबई से रिपोर्ट आने के बाद ही इस बात का पता चलता है कि गर्भ में पल रहे शिशु सिकलसेल पीड़ित है या नहीं। पहले गर्भजल के नमूने मेयो अस्पताल में भेजे जाते थे। लेकिन यहां पर सरकारी नियमानुसार संबंधितों को 4000 रुपए का डीडी देना पड़ता है। हालांकि बाद में यह राशि वापस मिल जाती है। लेकिन समस्या यह होती है कि सरकारी अस्पतालों में आनेवाले मरीज गरीब व मध्यमवर्गिय परिवार से होते है। उनके लिए 4000 रुपए दे पाना संभव नहीं होता। ऐसे में उनके लिए एक निजी अस्पताल में सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। इस अस्पताल में गर्भजल के नमूने लेकर मुंबई भेजे जाते हैं।
2.47 लाख संदिग्धों की जांच : जिले में 2009 से अलग-अलग स्तर पर सिकलसेल जांच की जा रही है। अब तक 2,47,503 संदिग्धों की जांच की गई है। इनमें से 34952 सिकलसेल वाहक होने का पता चला है। वहीं 2817 सिकलसेल पीड़ित पाए गए हैं। 2011 से प्रसूताओं की जांच में 10381 महिलाएं सिकलसेल वाहक और 244 पीड़ित पाई गई हैं। 329 मामलों में मां-बाप दोनों की जांच की गई है। 51 महिलाओें का समुपदेशन कर सिकलसेल बीमारी अागे की पीढ़ी को न हो इसलिए एमटीपी एबॉर्शन करवाया है। नमूने बाहर न भेजना पड़े, यहीं पर जांच होना चाहिए, इसके लिए बरसों से प्रयास जारी है।
Created On :   28 Jun 2024 10:13 AM GMT