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अनदेखी: सालों से रिक्त पड़े हैं पद , 13 अधिकारी संभाल रहे 36 जिलों की जिम्मेदारी
- अप्रैल 2022 से नागपुर में नियमित अध्यक्ष नहीं
- सामाजिक न्याय विभाग खुद को ही नहीं दे पा रहा न्याय
- प्रशासन नहीं दे रहा कोई ध्यान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य के 36 जिलों में 36 जाति वैधता प्रमाणपत्र समितियां है और सभी समितियों के लिए स्वतंत्र अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है। फिलहाल 13 अधिकारी 36 जिलों की समितियों का कामकाज देख रहे हैं। आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को मेडिकल, इंजीनियरिंग, फार्मेसी, एलएलबी व प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए जाति वैधता प्रमाणपत्र जरूरी होता है। नागपुर की समिति पर भी अध्यक्ष नहीं है। समाज को न्याय देनेवाला सामाजिक न्याय विभाग खुद अपने विभाग को ही न्याय नहीं दे पा रहा है।
समय पर नहीं मिल पा रहे प्रमाण पत्र : जाति वैधता प्रमाणपत्र समितियों पर नियमित अध्यक्ष नहीं होने से विद्यार्थियों को समय पर जाति वैधता प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहे हैं। इससे विद्यार्थियों के पालकों का समय एवं पैसा दोनों बरबाद हो रहे हैं। विदर्भ में 11 जिले हैं आैर 11 में से 9 समितियों पर अध्यक्ष ही नहीं है। जाति वैधता प्रमाणपत्र समिति वाशिम के अध्यक्ष लक्ष्मण राऊत काे नागपुर का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। राऊत के पास नागपुर के अलावा अमरावती, यवतमाल, वर्धा का भी प्रभार है। विदर्भ में 11 जिले हैं आैर वाशिम आैर भंडारा में ही नियमति अध्यक्ष हैं। आेबीसी, एसबीसी, एनटी, वीजे, एससी वर्ग के विद्यार्थियों को जाति वैधता प्रमाणपत्र जरूरी होता है। अप्रैल 2022 से नागपुर की समिति पर नियमित अध्यक्ष नहीं है।
सीएम के पास है विभाग : मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास सामाजिक न्याय विभाग है। नागपुर की समिति पर अप्रैल 2022 से नियमित अध्यक्ष नहीं है। 31 मार्च 2022 को एस. मेश्राम सेवानिवृत्त हुए आैर तभी से नागपुर की समिति नियमित अध्यक्ष के लिए तरस रही हैै। केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के शहर में समिति को अध्यक्ष नहीं मिलना समझ से परे है।
Created On :   5 Jun 2024 2:41 PM IST