सम्मान: नागपुर के सितारे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके , कुछ को मिला अवार्ड, कुछ हुए नामित

नागपुर के सितारे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके , कुछ को मिला अवार्ड, कुछ हुए नामित
  • विश्व स्तर पर नाम रोशन कर रहे शहर के होनहार
  • हितेन, युवेन, सुमित चिकारे दुनिया भर में हुए फेमस
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्ज की गई उपलब्धियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के युवाओं की उपलब्धियां विश्व स्तर पर नाम रोशन कर रही हैं। यह युवाओं द्वारा दुनिया में लाई गई क्षमता, नवाचार और ऊर्जा को प्रदर्शित करती हैं। आज का युवा शिक्षा, प्रौद्योगिकी, कला और संस्कृति, खेल, सामाजिक सक्रियता और नेतृत्व, उद्यमिता, विज्ञान और चिकित्सा में आगे बढ़ रहा है। हाल ही में अपनी कुशलता से नागपुर के यूथ भी उभरते नजर आए, जिसमें दसवीं कक्षा के हितेन, चौथी कक्षा के युवेन, सुमित चिकारे और दुनिया में फेमस हुए डॉली चाय वाला के नाम शामिल हैं। इनकी उपलब्धियां सिर्फ शहर तक सीमित नहीं रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्ज की गई हैं।

हितेन ने बनाया डांसिंग रोबोट : कक्षा दसवीं के छात्र हितेन धारपुरे ने 3-डी प्रिंटर का उपयोग कर डांस करने वाला रोबोट तैयार किया है। इसके लिए उनका नाम वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज किया गया है। त्रिमूर्ति नगर निवासी हितेन को गर्मियों की छुट्टियों में यह विचार आया और उन्होंने काम शुरू किया। इससे संबंधित उन्होंने सामान कलेक्ट किया। उसके बाद 3-डी प्रिंटर का उपयोग करके विविध पार्ट्स प्रिंट किए। इन सभी पार्ट्स को जमा करके प्रोग्रामिंग के माध्यम से इसमें जान फूंक दी। आगे इसमें डांसिंग कोडिंग की कमांड के जरिए डांस के लिए तैयार किया। वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ रिकार्ड्स टीम ने उनके काम की जांच की, जिसके बाद हितेन को ‘स्वयं निर्मित 3-डी प्रिंटेड रोबोट सहित सिंक्रोनाइज्ड डांस परफॉरमेंस देने के लिए यंगेस्ट बॉय' की पदवी दी। केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने भी हितेन से मुलाकात कर उसकी कलकारी की सराहना की और उन्हें बधाई दी।

801 सर्टिफिकेट कर चुके अपने नाम : हितेन की यह पहली उपलब्धि नहीं है। पिछले वर्ष विभिन्न पाठ्यक्रम, प्रश्नोत्तरी, राष्ट्रीय एवं ऑनलाइन प्रतियोगिता में प्रतिभागी बनकर 801 सर्टिफिकेट प्राप्त करने पर हितेन का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज किया गया। इसके अलावा उन्होंने ‘एआई इंटीग्रेटेड ट्रैफिक नॉइज और ट्रैफिक लाइट कंट्रोलर' विषय पर अभिनव शोध को पेटेंट के रूप में पंजीकृत किया है।

डॉली चाय वाला को दादा साहेब फाल्के आइकन अवार्ड : डॉली चाय वाला इस समय पूरी दुनिया में मशहूर हैं। वह शहर में चाय परोसने की स्टाइल के लिए फेमस हैं। जबसे दुनिया के सबसे बड़े अमीरों में शुमार बिल गेट्स ने डॉली चाय वाला की टपरी से चाय पी है, तबसे डॉली को पूरी दुनिया जानने लगी है। अब एक बार फिर से डॉली चर्चा में हैं। दरअसल डॉली को हिंदी सिनेमा के सर्वोच्च अवार्ड ‘दादा साहेब फाल्के आइकन अवार्ड फिल्म इंटरनेशनल 2024' से नवाजा गया है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी है। डॉली के इस पोस्ट में उनके हाथ में दादा साहेब फाल्के आइकन अवार्ड है। इस पोस्ट को शेयर कर डॉली चाय वाला ने कैप्शन में लिखा है, ‘दादा साहेब फाल्के आइकन अवार्ड फिल्म इंटरनेशनल 2024, मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि अवार्ड मुझे मिलेगा, मुझे आमंत्रित करने के लिए शुक्रिया।'

सागर ने माउंट फ्रेंडशिप पीक पर चढ़ाई पूरी की: दिल्ली की इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित माउंट फ्रेंडशिप पीक जो 17348 फीट पर है, यहां चढ़ाई के लिए भारत से 14 पर्वतारोहियों का चयन किया गया था, जिनमें से 6 पर्वतारोही सफलता पूर्वक चढ़ाई पूरी किए। इनमें नागपुर से सागर चंद्रकिशोर कुंभारे भी शामिल थे। अन्य पर्वतारोही मौसम की स्थिति के चलते कुछ दूरी के बाद हट गए। सफलता में अंजनगांव से प्रवीण रमेश शेलके, चंद्रपुर से आदर्श साईनाथ मस्ते, वर्धा से आतिश चरोडे, हरियाणा से डॉ. सुनील चौधरी और उत्तर प्रदेश से शैलेश यादव शामिल हैं। उन्होंने पहले दिन मनाली से यात्रा शुरू की, फिर दूसरे दिन बेस कैंप (धुंडी), तीसरे दिन बखार्च (कैंप 1), चौथे दिन लेडी लेग (कैंप 2), पांचवें दिन समिट कैंप (लोड नौका), छठवें दिन समिट पुश रात 10 बजे और अगले दिन सुबह 8:45 बजे, सातवें दिन समिट कैंप से वापस सीधे कैंप 1 फिर मनाली लौटे।

युवेन डाऊ इंटरनेशनल रिकॉर्ड में दर्ज : शास्त्री नगर निवासी और कक्षा चौथी के छात्र युवेन डाऊ का इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया गया है। वो महज चार साल के हैं और केवल पांच मिनट में राष्ट्रीय झंडों को देखकर देश और उनकी राजधानी का नाम बता देते हैं। इस याद रखने की क्षमता के लिए युवेन का नाम दर्ज किया गया है। युवेन के माता-पिता सैली और केतन दोनों इंजीनियर हैं। वर्तमान में वह अपनी नौकरी के कारण कनाडा के टोरंटो में रह रहे हैं। सैली और केतन ने देखा कि जब युवेन तीन साल के हो गए, तो वह कुछ देशों के राष्ट्रीय झंडों को देखकर उनके नाम पहचान सकते थे। उस दिन से माता-पिता ने युवेन को खेल के साथ-साथ पढ़ाई के तौर पर हर दिन अलग-अलग देशों के राष्ट्रीय झंडे दिखाना शुरू कर दिया। सिर्फ एक खेल के तौर पर हर दिन एक से डेढ़ घंटे तक इसका अभ्यास किया जाता है। ग्यारह महीनों के बाद, युवेन ने सौ से अधिक देशों के नामों को उनकी राजधानियों से पहचानना शुरू कर दिया। 3 साल और 11 महीने की उम्र के बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि वह रिकॉर्ड बना सकते हैं। उन्होंने 5 अप्रैल को इसके लिए प्रयास किया। युवेन ने 5 मिनट और 43 सेकंड में 100 देशों के नाम और उनकी राजधानियों की पहचान की और विश्व रिकॉर्ड बनाया। उनके इस रिकॉर्ड को इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। युवेन को हाल ही में सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया है।

सुमित चिकारे को महाराष्ट्र रत्न पुरस्कार : सिनेमार्क प्रोडक्शंस और रुद्राक्ष फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित एक पुरस्कार समारोह में शहर के युवा फोटोग्राफर सुमित चिकारे को ‘महाराष्ट्र रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। समारोह का आयोजन पुणे में डॉ. बाबा साहेब अांबेडकर सांस्कृतिक भवन में किया गया। सुमित चिकारे ने बहुत कम उम्र में फोटोग्राफी के क्षेत्र में काम किया है और वृत्तचित्रों का निर्देशन किया है, इसलिए उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। पुणे नगर निगम के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त ज्ञानेश्वर मोहोल, वर्तमान उपायुक्त यूनुस पठान, लेखक सलाहकार शैलजा मोहोल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।



Created On :   27 Jun 2024 10:20 AM GMT

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