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आक्रोश: दीक्षाभूमि में भूमिगत पार्किंग का भारी विरोध , भड़का जनाक्रोश,तोड़फोड़, आगजनी
- विधानसभा में भी गर्माया मामला
- सरकार ने विकास कार्य पर लगाई रोक
- आंदोलनकर्ता मांगों को लेकर अड़े
डिजिटल डेस्क, नागपुर। 214 करोड़ रुपए की लागत से दीक्षाभूमि परिसर में सौंदर्यीकरण और नवीनीकरण का काम जारी है। इस कार्य अंतर्गत पहले चरण में भूमिगत पार्किंग का काम शुरू है। पिछले 15 दिन से भूमिगत पार्किंग के विरोध मेें विविध संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता नाराजगी जता रहे थे। संदेह है कि भूमिगत पार्किंग के कारण दीक्षाभूमि स्तूप और बोधिवृक्ष को नुकसान हो सकता है। सोमवार को आखिरकार जनाक्रोश भड़क उठा। राज्य भर से हजारों की संख्या में आंबेडकर अनुयायी दीक्षाभूमि पर पहुंचे। इस दौरान नारेबाजी शुरू कर विकास कार्यों की तोड़फोड़ शुरू कर दी। पुलिस आयुक्त डॉ. रवींद्र सिंगल भी वहां पहुंचे, लेकिन हजारों की संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं ने दीक्षाभूमि स्तूप के सामने ही ठीया आंदोलन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक भूमिगत पार्किंग का काम रोका नहीं जाता, वे नहीं हटेंगे।
काम रोकने का निर्णय : जनाक्रोश को देखते हुए दीक्षाभूमि स्मारक समिति ने त्वरित काम रोकने का निर्णय लिया। इस संबंध में लिखित पत्र भी दिया। स्थिति चिंताजनक होने से मामला विधानसभा में भी गर्माया। कांग्रेस विधायक डॉ. नितिन राऊत ने मुद्दा उठाते हुए त्वरित निर्माणकार्य रोकने की मांग की, जिसके बाद विधानसभा में उपमुख्यमंत्री व नागपुर के पालकमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि दीक्षाभूमि परिसर में शुरू विकास कार्य त्वरित रोका जा रहा है। जल्द दीक्षाभूमि स्मारक समिति के साथ बैठक कर सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा। सभी के विचारों को शामिल कर निर्णय लिया जाएगा। हालांकि सरकार की घोषणा के बाद भी आंबेडकरी अनुयायी देर शाम तक परिसर में डटे रहे।
यह अंदेशा जताया गया : राज्य सरकार ने दीक्षाभूमि परिसर में सौंदर्यीकरण व नवीनीकरण के लिए 214 करोड़ रुपए की घोषणा की है। छह महीने पहले इसका निर्माणकार्य शुरू किया गया है। दो चरणों में इसका विकास कार्य होना है। पहले चरण में भूमिगत पार्किंग होनी है। भूमिगत पार्किंग को लेकर लोगों में संदेह है कि इससे दीक्षाभूमि स्तूप और बोधिवृक्ष को नुकसान पहुंचेगा। भूमिगत पार्किंग की वजह से पानी जमा होने से उसकी सुरक्षा को भी खतरा होगा। भविष्य में अनेक समस्याएं निर्माण हो सकती है।
दीक्षाभूमि बचाव आंदोलन शुरू : इसके बाद कुछ लोगों ने मिलकर दीक्षाभूमि बचाव आंदोलन शुरू कर दिया। बाद में इसमें भारतीय बौद्ध महासभा, समता सैनिक दल सहित अनेक संगठन उतर गए। सोशल मीडिया पर लोगों को 1 जुलाई को दीक्षाभूमि पर चर्चा के लिए जुटने का आवाहन किया। इस मुताबिक बड़ी संख्या में लोग दीक्षाभूमि पहुंचे। चर्चा के लिए पहुंचे लोगों ने नारेबाजी कर आंदोलन शुरू कर दिया। देखते ही देखते कुछ लोग जहां विकास कार्य शुरू है, उस ओर बढ़े और विकास कार्य की तोड़फोड़ शुरू कर दी। गड्ढे को भरने का भी प्रयास हुआ। कुछ ने वहां रखे कपड़े और सेंट्रिंग की लकड़ियों में आग लगा दी। स्थिति काफी तनावपूर्ण बनी।
समिति ने पत्र जारी किया : पुलिस आयुक्त भी वहां पहुंचे, लेकिन लोगों को नियंत्रित कर पाना मुश्किल हो पा रहा था। इस बीच स्मारक समिति ने पत्र जारी कर जनभावना को देखते हुए त्वरित निर्माणकार्य रोकने का निर्णय लिया। पत्र में सचिव सहित सभी के हस्ताक्षर थे। इसका लिखित पत्र भी आंदोलनकारियों को दिखाया गया। विधानसभा में भी मुद्दा गर्माया।
वडेट्टीवार भी पहुंचे दीक्षाभूमि : मामले में अनेक नेता भी कूद पड़े। वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष एड. प्रकाश आंबेडकर ने भी इस विकास कार्य को त्वरित रोककर जनभावना का आदर करने का निवेदन किया। विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता विजय वडेट्टीवार भी देर शाम दीक्षाभूमि पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार जनभावना को आदर त्वरित काम रोकें। दीक्षाभूमि में भूमिगत पार्किंग को जनता का विरोध है। आंबेडकर संगठन काम रोकने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, किन्तु सरकार तानाशाही अपनाकर काम को रोक नहीं रही है, जिस कारण लोगों की भावना आहत हुई है। हमारी भी भूमिका है कि जनभावना का आदर कर सरकार त्वरित काम रोकें। इससे कानून व्यवस्था का प्रश्न निर्माण हो गया है। गृहमंत्री तत्काल हस्तक्षेप कर आंदोलनकारियों से चर्चा करें।
Created On :   2 July 2024 12:05 PM IST