समीक्षा: लोकसभा चुनाव के नतीजे के इंतजार में विधानसभा टिकट दावेदार बेचैन

लोकसभा चुनाव के नतीजे के इंतजार में विधानसभा टिकट दावेदार बेचैन
  • टिकट दावेदारों को अलग अलग क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई थी
  • परिणाम के बाद कार्य की समीक्षा होगी
  • भाजपा, कांग्रेस के मुकाबले केवल बसपा ही मैदान में

डिजिटल डेस्क, नागपुर । लोकसभा चुनाव के परिणाम उत्तर नागपुर में विधानसभा चुनाव के टिकट दावेदारों के गणित बिगाड़ सकते हैं। विशेषकर भाजपा में टिकट दावेदार बेचैन देखे जा रहे हैं। टिकट दावेदारों को अलग अलग क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई थी। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद नेताओं व पदाधिकारियों के कार्य की समीक्षा होगी। कुछ मामलों में त्वरित अप्रत्याशित निर्णय भी लिए जा सकते हैं। लिहाजा भाजपा में विधानसभा के इच्छुक उम्मीदवार संगठन कार्य में योगदान के अलावा अपनी दावेदारी के संबंध में आवश्यक जानकारियों का ब्यौरा तैयार कर रहे हैं।

उथल-पुथल होने के संकेत : अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित उत्तर नागपुर विधानसभा क्षेत्र हर चुनाव में चर्चा में रहता है। राज्य व केंद्र में सत्ता में होने के बाद भी भाजपा को इस क्षेत्र में चुनाैती मिलती रहती है। 2019 के परिणाम के बाद नेताओं व पदाधिकारियों के कार्य की समीक्षा होगी। परिणाम के बाद नेताओं व पदाधिकारियों के कार्य की समीक्षा होगीकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नितीन गडकरी इस क्षेत्र में 8 हजार से अधिक मतों के अंतर से िपछड़ गए थे। जबकि अन्य 5 विधानसभा क्षेत्र में वे वोटों के मामले में आगे रहे। इस बार लोकसभा चुनाव में उत्तर नागपुर में उथल-पुथल होने के संकेत दिए जा रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में मत विभाजन की चुनौती के बाद भी कांग्रेस जीती थी। कांग्रेस उम्मीदवार नितीन राऊत को 86.821, भाजपा उम्मीदवार मिलिंद माने 66,127, बसपा 23,333, एआईएम 9318 व वंचित आघाड़ी को 5,599 मत मिले थे। लेकिन इस बार भाजपा, कांग्रेस के मुकाबले केवल बसपा ही मैदान में हैं।

दावेदारों की धड़कनें बढ़ने लगीं :दावा यह भी किया जा रहा है कि संविधान के मुद्दे को लेकर बसपा कांग्रेस से पिछड़ सकती है। इस बार क्षेत्र में मत प्रतिशतांक 55 प्रतिशत रहा है। अधिक मतदान का प्रभाव भी भाजपा पर पड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है। स्वयं भाजपा के कई पदाधिकारी मानते हैं कि उत्तर नागपुर में नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में भाजपा के विधानसभा के टिकट दावेदारों की धड़कनें भी बढ़ने लगी हैं।

होता रहा है परिवर्तन : क्षेत्र में परिवर्तन होते रहा है। वर्तमान िवधायक नितीन राऊत 4 बार चुनाव जीते हैं। 1967 में निर्वाचन क्षेत्र के गठन के समय भी कांग्रेस जीती थी। 1985 में भी कांग्रेस की जीती थी। भाजपा 2, आरपीआई 2 व आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक ने एक बार इस क्षेत्र में जीत हासिल की थी।

इच्छुकों की भरमार : उत्तर नागपुर में भाजपा के टिकट दावेदारों की भरमार रहती है। 2014 के विधानसभा चुनाव में 56 इच्छुक उम्मीदवार थे। 2019 में 34 ने दावेदारी की थी। इस बार भी दावेदारों के कई नाम गिनाए जा रहे हैं। दावेदारों में मिलिंद माने, संदीप जाधव, संदीप गवई, धर्मपाल मेश्राम, सुधीर जांभुलकर, स्वप्निल भालेराव, राजेश हाथीबेड सहित अन्य के नाम चर्चा में रहे हैं। भाजपा के संगठनात्मक मामलों के प्रमुख पदाधिकारी गिरीश व्यास, संजय भेंडे सहित अन्य के माध्यम से संगठनात्मक मामले की रिपोर्ट तैयार की जाती रही है।

Created On :   24 May 2024 11:13 AM GMT

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