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नाराजगी: सारस का संवर्धन, वेटलैंड की पहचान के लिए बताएं क्या कदम उठाए गए : कोर्ट
- नागपुर सहित 4 जिलाधिकारी 30 तक जवाब दायर करें
- विफल हुए तो, अवमानना की कार्रवाई के लिए तैयार रहें
- कोर्ट ने संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सवाल किया कि, सारस पक्षियों के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेटलैंड की पहचान के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। इस पर कोर्ट ने नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा और गोंदिया के जिलाधिकारी को 30 अप्रैल तक जवाब दायर करने का अंतिम मौका दिया है। साथ ही कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि, अगर जवाब दायर करने में विफल हुए, तो अवमानना की कार्रवाई के तैयार रहें।
इस मामले में कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया है : हाल के वर्षों में नागपुर विभाग के गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों की संख्या तेजी से कम हो रही है। ऐसे में समाचार पत्रों में इस विषय के बारे में खबरें प्रकाशित होने के बाद कोर्ट ने संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में विविध पहलुओं पर गौर करने के बाद कोर्ट ने गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों के संवर्धन के लिए हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वतंत्र सारस संवर्धन समिति गठित की है। इस समिति को अपने जिले के क्षेत्र में सारस पक्षियों के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेटलैंड की पहचान करना है।
अब तक जवाब दायर नहीं करने से नाराज है कोर्ट : मामले में न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई, लेकिन कोर्ट में वेटलैंड की पहचान करने को लेकर जिलाधिकारी की आेर से कोई भी जवाब दायर नहीं करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। फिलहाल लोकसभा चुनाव काे लेकर जिलाधिकारी व्यस्त हैं, इस बात को ध्यान में लेते हुए कोर्ट ने जिलाधिकारियों को जवाब दायर करने के लिए 30 अप्रैल तक अंतिम मौका दिया है। मामले में एड. राधिका बजाज न्यायालय मित्र की भूमिका में हैं।
Created On :   19 April 2024 12:16 PM IST