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कोर्ट-कचहरी: केंद्र सरकार के चावल निर्यात पर रोक लगाने का फैसला गैर-कानूनी
- चावल निर्यात पर रोक गैर-कानूनी
- "ट्रान्सिशनल अरेंजमेंट' प्रावधान का पालन नहीं किया
- मुक्त' श्रेणी से 'प्रतिबंधित श्रेणी' में डालने का फैसला
डिजिटल डेस्क, नागपुर । बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने केंद्र सरकार के चावल निर्यात पर रोक लगाने का फैसला गैर-कानूनी बताया है। कोर्ट ने अपने निरीक्षण में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा यह फैसला लेते समय विदेशी व्यापार नीति "ट्रान्सिशनल अरेंजमेंट' प्रावधान का पालन नहीं किया है। जुलाई 2023 में केंद्र सरकार ने अचानक चावल के निर्यात को "मुक्त' श्रेणी से 'प्रतिबंधित श्रेणी' में डालने का फैसला लिया था। कोर्ट ने इस निर्णय को गैरकानूनी बताते हुए केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह चावल निर्यातकों को केंद्र के परिपत्र जारी होने से पहले किए गए अनुबंधों को पूरा करने के लिए "ट्रान्सिशनल अरेंजमेंट' के प्रावधान का लाभ दें।
इस कारण कोर्ट पहुंचा मामला : याचिका के अनुसार, केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 2023 को एक परिपत्र के जरिए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। केंद्र ने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा को खतरा होने के कारण यह प्रतिबंध लगाया गया है। केंद्र ने इस फैसले को तुरंत लागू करने का भी आदेश दिया। इसलिए चार निर्यातक कंपनियों ने केंद्र सरकार के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए शिकायत की कि इस प्रतिबंध के कारण लगभग 79 हजार 250 मीट्रिक टन चावल का निर्यात अटक गया है। केंद्र की ओर से परिपत्र जारी होने से पहले संबंधित निर्यातकों ने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए थे। हालाँकि, उन्हें सौदा पूरा करने का मौका नहीं मिला, क्योंकि केंद्र ने अचानक निर्यात प्रतिबंध लगा दिया। निर्यातकों की दलील निर्यातकों ने कोर्ट में दलील दी कि केंद्र सरकार ने चावल निर्यात पर रोक लगाने का निर्णय लेने से पहले न तो नोटिस दिया और न ही संबंधितों से चर्चा की। साथ ही निर्यातकों ने दावा किया कि, केंद्र का यह फैसला संविधान के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
केंद्र ने कहा-जनहित महत्वपूर्ण : केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार को निर्यात और आयात नीतियों को बदलने का अधिकार है। वैश्विक स्तर पर चावल की बढ़ती कीमतों के कारण भारत की खाद्य सुरक्षा खतरे में थी। ऐसे में चावल की कीमतों को स्थिर रखने के लिए व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए निर्यात प्रतिबंध लगाया गया था। निर्यातकों के हितों से अधिक महत्वपूर्ण है जनहित। केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया कि निर्यातकों द्वारा किए गए समझौते केंद्र के निर्णय लेने में बाधा नहीं बन सकते।
कोर्ट ने कहा अनुबंध पूरा करने का अवसर दें : याचिका पर न्या. अविनाश घरोटे और न्या. मुकुलिका जवलकर के समक्ष सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने निर्यातकों के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने केंद्र का फैसला न्यायोचित नहीं होने की बात कहीं, साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्यातकों को अपना अनुबंध पूरा करने का अवसर दिया जाना चाहिए।
Created On :   24 May 2024 3:48 PM IST