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सुरक्षा: आरआरटी व पीआरटी के सदस्यों को 10 लाख का बीमा, वन विभाग ने लिया निर्णय
- वन्यजीवों का रेस्क्यू करने के दौरान हादसा होने पर मिलेगा लाभ
- बीमा का सहारा मिलने से वन्यजीवों का रेस्क्यू निडर होकर कर सकेंगे
- आए दिन मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा होती है
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मानधन पर काम करने वाली रैपिड रेस्क्यू टीम (आरआरटी) व प्राइमरी रिस्पॉन्स टीम (पीआरटी) को वन विभाग ने 10 लाख रुपए का बीमा देने का निर्णय लिया है। ऐसे में टीम को बीमा का सहारा मिलने से वन्यजीवों का रेस्क्यू वह निडर होकर कर सकेगी।
कैसे काम करती है टीम : पेंच व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत 39 गांव आते हैं, जिससे आए दिन मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा होती है। इसमें कई बार वन्यजीवों या इंसानों को नुकसान होता है। ऐसे नुकसान से बचने के लिए वन विभाग ने तीन टीम तैयार की है, जिसमें एक क्विक रिस्पॉन्स टीम है। इसमें वन विभाग के कर्मचारी होते हैं, जिन्हें सरकार की ओर से हर तरह का लाभ मिलता है। दूसरी आरआरटी टीम है, जिसमें कर्मचारी व गांव के सदस्य होते हैं। इनका काम रेस्क्यू करना होता है, जो कि जोखिम भरा रहता है। इसके अलावा प्राथमिक प्रतिसाद दल होता है, जिसे प्राइमरी रिस्पॉन्स टीम कहा जाता है।
यह टीम ग्राम स्तर पर बनती है। इसमें गांव के 3 से 4 सदस्य होते हैं। इनका काम यह होता है कि जंगल में आने वाली कोई भी विपदा में पहले पहुंचना पड़ता है। जैसे आग लगना, अवैध शिकार या फिर कोई वन्यजीव गांव में आ जाने पर दूसरी टीम आने तक इन्हें संभाले रखना होता है। इसमें कई बार वन्यजीवों द्वारा हमला होता है, जिसमें सदस्य को मेडिकल उपचार करना पड़ता है। अभी तक यह उपचार उन्हें अपने मानधन से करना पड़ता था, लेकिन अब वन विभाग ने इनके लिए 10 लाख का बीमा लागू किया है, जिससे इनका उत्साहवर्धन हुआ है।
139 वन्यजीवों को दिया जीवनदान : आरआरटी टीम ने अभी तक 139 वन्यजीवों को जीवनदान दिया है, जिसमें 4 बाघ, 1 तेंदुआ, 86 साप, 25 बंदर, 11 चितल, 3 सांबर, 5 वाइल्ड बोर, 2 मगरमच्छ आदि हैं। इसके अलावा 8 बाघों की मॉनटरिंग का काम टीम कर रही है, वहीं वन्यजीवों को ट्रैप में फंसाने वाले 10 मामलों की पोल खोली है और 29 आरोपियों को पकड़ने में वन विभाग की मदद की है।
Created On :   14 April 2024 3:33 PM IST