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तैयारी: दुर्लभ : पेंच में पहली बार दिखा यूरेशियन ऑटर, जलजीवों के सर्वे में मिली जानकारी
- आबादी बढ़ाने के लिए वन विभाग तैयार कर रहा है प्रस्ताव
- फैले पेंच के जंगल में बाघ, तेंदुए से लेकर कई वन्यजीवों का बसेरा
- वन विभाग व एक संस्था द्वारा किया गया सर्वे
डिजिटल डेस्क, नागपुर । नार्थ व साउथ के जंगलों में पाया जाने वाला यूरेशियन ऑटर का सेंट्रल के जंगलों में नामोनिशान नहीं था, लेकिन अब महाराष्ट्र के पेंच में इसे देखा गया है। कुछ दिन पहले ही वन विभाग व एक संस्था द्वारा जलजीवों की जानकारी हासिल करने के लिए किए गए सर्वे में इसे देखा गया है। अब इनके संरक्षण व प्रजनन को लेकर वन विभाग प्रारूप तैयार कर रहा है, जिसे उच्च स्तर पर भेजा जाने वाला है।
स्वतंत्र राशि मिलने की अपेक्षा : 749 वर्ग किमी में फैले पेंच के जंगल में बाघ, तेंदुए से लेकर कई वन्यजीवों का बसेरा है। यहां पानी में रहने वाले वन्यजीवों की बात करें तो हाल ही में हुए सर्वे में मगरमच्छ पाए गए हैं। इसके अलावा अब यहां पर पहली बार यूरेशियन जल बिल्ली देखी गई है, जो कि पेंच के लिए आकर्षण है। अभी तक इसे पूरे महाराष्ट्र के जंगलों में नहीं देखा गया है। ऐसे में पेंच में इसका पाया जाना यहां इस प्रजाति की उपस्थिति को दर्शा रही है। ऐसे में अब वन विभाग की ओर से भी इनकी तादाद बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। प्रारूप आदि तैयार किया जा चुका है। मुख्यालय में भेजकर स्वतंत्र राशि प्राप्त की जाएगी। इस राशि की मदद से इनका संगोपन किया जाएगा। 2004 और 2008 में यूरेशियन जल बिल्ली को लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। जिन क्षेत्रों में वह पाए जाते हैं, वहां प्रदूषण, उपलब्ध भोजन की कमी और निवास स्थान में गिरावट के कारण निवास स्थान की हानि प्रजातियों को प्रभावित कर रही है।
चीन में मांग : अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बाघ की खाल से ज्यादा उपरोक्त जल बिल्ली की खाल की मांग है। चीन सहित अन्य देशों में इसकी अच्छी मांग है। इसकी खाल से कोट, पर्स आभूषण यहां तक कपड़े भी बनाये जाते हैं। एक कोट बनाने में 40 जल बिल्लियों की खाल का इस्तमाल होता है।
तोतलाडोह से अंबाखोरी के बीच दिखी : हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में पहली बार यूरेशियन जल बिल्ली का दीदार हुआ है। यह तोतलाडोह से अंबाखोरी के बीच में पाई गई है। अभी इसके प्रजनन और संरक्षण को लेकर प्रारूप तैयार किया जा रहा है, जिसे उच्च स्तर पर भेजा जानेवाला है, ताकि इनका जतन पेंच में अच्छे से किया जा सके। - डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला, क्षेत्र संचालक, पेंच महाराष्ट्र नागपुर
Created On :   19 March 2024 10:31 AM IST