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सवाल: गांजा तस्कर के जेल में बंद होने की खबर, क्राइम ब्रांच तलाश कर रही इधर-उधर
- गांजे की तस्करी में लिप्त कई तस्कर हो गए हैं भूमिगत
- तस्करों के दोस्त पुलिस कर्मियों पर गिर सकती है गाज
- क्राइम ब्रांच टीम की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर की क्राइम ब्रांच की टीम धंतोली के जिस गांजा तस्कर पिंकी की कई दिनों से शहर और शहर के बाहर सरगर्मी से तलाश में जुटी है, वह सेंट्रल जेल में बंद होने की खबर सूत्रों ने दी है। करीब दो माह पहले यशोधरानगर पुलिस की एक टीम उसे किसी मामले में सेंट्रल जेल से प्रॉडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर ले गई थी। इसके बाद कार्रवाई पूरी होने पर उसे सेंट्रल जेल में ले जाकर छोड़ दिया गया था। ऐसे में क्राइम ब्रांच की टीम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा होना मुनासिब है कि जब पुलिस टीम को यही नहीं पता है कि आखिर पिंकी को कहां तलाशे तो उसकी तलाश कहां की जा रही है।
इन पर कब कसेगा शिकंजा : गांजा तस्करी में लिप्त बाकी आरोपी पांचपावली के सोनू, अनीस डम, गिट्टीखदान में अफसर अंडा का करीबी रिश्तेदार, डोबीनगर में गांजा बेचने वाले "कंपनी' के नाम पर गांजा बेच रहे हैं। इनके अलावा वाठोड़ा और कोतवाली में एक-एक महिला गांजा तस्करी में लिप्त हैं। शहर के सीताबर्डी में सागीर, पारडी में पप्पू, श्रीवास्तव, यशवंत स्टेडियम परिसर में कुमार, तांडापेठ में लावा, वाठोड़ा में लड्डू, किराड, नवाबपुरा में जावेद पर क्राइम ब्रांच किस तरह शिकंजा कस पाएगा यह तो दस्ते में तैनात किए गए अधिकारी- कर्मचारी ही जानें। कुछ गांजा तस्कर भूमिगत हो चुके हैं।
दबिश में कुछ हाथ नहीं लगा : सूत्रों के अनुसार गांजा तस्करी व गांजा बिक्री के कुछ ठिकानों पर पुलिस ने गुरुवार को दबिश दी, लेकिन गांजा तस्कर व विक्रेता गायब हो चुके थे। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा गांजा तस्करी का मामला गंभीरता से लिए जाने की जानकारी सामने आई है। पुलिस विभाग में एनडीपीएस स्क्वाॅड, एसएसबी स्क्वाॅड, खंडणी विरोधी पथक के अलावा थाना स्तर पर बीट मार्शल, थाने के विविध स्क्वाॅड कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें अवैध गांजा तस्कर नजर ही नहीं आते हैं। इसके साथ ही क्राइम ब्रांच की 5 यूनिट शहर में कार्यरत हैं, लेकिन गांजे की कोई बड़ी कार्रवाई नजर नहीं आ रही है। तत्कालीन पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने क्राइम ब्रांच के लिए एक नया ही तरीका ढूंढ निकाला था। वह किसी भी अधिकारी- कर्मचारी को चाहे वह किसी विशेष स्क्वाॅड का हो या फिर क्राइम ब्रांच की किसी भी यूनिट का, उसे दो-तीन माह के अंदर दूसरी जगह पर तबादला कर देते थे। इसके चलते उनकी अवैध धंधे वालों से साठगांठ नहीं हो पाती थी। उन्होंने कलेक्टरों (वसूलीबाजों) की बकायदा सूची तैयार करवाई थी। इसके बाद कई वसूलीबाजों को सीधा हेड क्वार्टर का रास्ता दिखाया जाता था।
पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच में उजागर होंगे रहस्य : इस बार अनूप, विजय, बबन, सतीश, नीलेश, प्रवीण, अब्दुल , समीर, सहदेव, संदीप, टप्पू, कपिल, विलास, अंतुलवार, संतोष, राजेश, तिवारी सहित अन्य कई पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच होने पर कई रहस्य उजागर होंगे। वरिष्ठ अधिकारियों को पता चल जाएगा कि कौन कहां का कलेक्टर है और इनकी कार्रवाई के मामले में इनमें से किसका कितना योगदान है। इसके साथ संभवत: इनमें से कई कर्मचारियों को हेड क्वार्टर का मुंह देखना पड़ेगा। चर्चा है कि इनमें कई दस्ते की वसूलीबाजी भी कार्रवाई न हाेने का कारण है। गांजा तस्कर 5 हजार से लेकर 40 हजार रुपए तक खर्च कर रहे हैं। शायद यही कारण है कि कार्रवाई का प्रमाण नगण्य है।
Created On :   26 April 2024 6:27 PM IST