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फ्रॉड: कारोबारियों से दो करोड़ की ठगी का मामला , बीएस इस्पात की दबी फाइलें खुलने पर सच आएगा सामने
- तीन कारोबारियों के साथ की गई दो करोड़ की ठगी
- पुलिस के रडार पर कंपनी के कुछ और कर्ता-धर्ताओं के नाम
- दबी फाइलों के सामने आने पर कुछ और निवेशक आएंगे सामने
डिजिटल डेस्क, हिंगना (नागपुर)। बीएस इस्पात कंपनी में निवेश करने के नाम पर शहर के तीन कारोबारियों के साथ की गई दो करोड़ की ठगी के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा पुलिस को सौंपी जा सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीएस इस्पात कंपनी की कुछ दबी फाइलें हैं, जो अभी तक सामने नहीं आई हैं। इन दबी फाइलों के सामने आने पर कुछ और निवेशक भी पुलिस के रडार पर आ सकते हैं। उन्हें भी पुलिस के सवाल जबाब से गुजरना पड़ सकता है। इस मामले में पुलिस के रडार पर कंपनी के कुछ और कर्ता-धर्ता के नाम सामने आने की संभावना पुलिस सूत्रों ने व्यक्त की है।
निवेशकों में मचा हड़कंप : बीएस इस्पात कंपनी के बारे में जानकारी मिली है कि इस कंपनी ने वरोरा के माजरा- चिनोरा में भी कोयले के आवंटन का काम लिया था, लेकिन परफामेंस गारंटी की रकम नहीं भर पाने के कारण कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया। कंपनी ने निवेशकों के साथ करोड़ों की ठगी करने के साथ ही सरकार के राजस्व को भी चूना लगाया। आयकर विभाग इस मामले में संबंधितों से पूछताछ कर सकती है। बीएस इस्पात कंपनी के काले कारनामे सामने आने से अब निवेशकों में हड़कंप मच गया है। बीएस इस्पात कंपनी के प्रबंधक संचालक और लेखापाल के खिलाफ धंतोली थाने में ठगी का मामला दर्ज किया गया है। आरोपी भवानी प्रसाद मिश्रा कंपनी के एमडी और सागर रामचंद्र कासनगोट्टूवार लेखापाल अधिकारी हैं।
9 कंपनियां विदर्भ की होने की चर्चा : नागपुर कोयला कारोबार में निजी कंपनियों की भागीदारी के मामले में सबसे आगे है। विदर्भ के अलावा छत्तीसगढ़ व झारखंड में भी यहां की कंपनियां कार्यरत हैं। एक आकलन के अनुसार, देश में 57 निजी कंपनियों में से 9 कंपनियां विदर्भ की हैं। कैग की रिपोर्ट में जिन कंपनियों को कोल ब्लाक आवंटन को नुकसान का कारण बताया गया है, उनमें नागपुर से संचालित कंपनियों का समावेश है। ऐसे कई निजी कंपनियां हैं, जो अब तक सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा चुकी हैं, इसके बावजूद भी आखिर सरकार क्यों निजी कंपनियों को कोयला खदानें आवंटित करती हैं। जानकारों की मानें तो इन निजी कंपनियों से शासन के अधिकारियों व पदाधिकारियों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाया जाता है। ऐसा ही मामला आने वाले कुछ दिनों में भद्रावती स्थित निजी खदानों में सामने आ सकता है।
गिरोहबाजों पर पुलिस शिकंजा कसेगी : बताया जाता है कि कोयले में सभी के हाथ काले हैं। कोयला के कारोबार में निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आ चुका है। पुलिस का मानना है कि कहीं यह गिरोहबाजों का काम तो नहीं है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस गिरोहबाजों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है। इसकी जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है। बीएस इस्पात कंपनी का एमडी भवानी प्रसाद मिश्रा ने कोल ट्रेडिंग कारोबारियों को फांसने की योजनाएं तैयार की। कंपनी के लेखापाल सागर रामचंद्र कासनगोट्टूवार ने मिलीभगत कर करोड़ों की ठगी की। इस मामले में फ्रेंडस कॉलोनी काटोल रोड नागपुर निवासी राजेश कुमार गया सिंह (38) ने धंतोली थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
ट्रांसपोर्टरों की भूमिका भी संदेह के घेरे में : नागपुर, चंद्रपुर व यवतमाल को विदर्भ का ब्लैक डायमंड कहा जाता है। यहां पर कई शासकीय व निजी कोयला खदानें हैं, जिसमें बीएस इस्पात की निजी कोयला खदान का समावेश है। बीएस इस्पात कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर, संचालक, अधिकारी सहित अन्य ट्रांसपोर्टर्स की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ सकती है। बीएस इस्पात कंपनी द्वारा सरकार को हर साल करोड़ों रुपए के रायल्टी चोरी किए जाने की भी चर्चा है।
16 करोड़ का मामला भी आएगा सामने : गौरतलब है कि 10 जुलाई 2023 को सीवीसी पोर्टल पर मुकुटबन स्थित बीएस इस्पात कोल ब्लॉक मारकी-मांगली के कोयले की हेराफेरी कर करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया था। यह मामला विधानसभा में भी जमकर गूंजा था। सीबीआई जांच की मांग भी उठी थी। उस समय भी कंपनी के संचालक मंडल पर कोयले की हेराफेरी का आरोप लगा था।
55 करोड़ का मामला अभी अदालत में : जानकारी के अनुसार, बीएस इस्पात लिमिटेड के अधिकारी भवानी प्रसाद मिश्रा और सागर कासनगोट्टूवार ने इसके पहले भी अनेक लोगों से पैसा लेकर ठगा है। बताया जाता है कि विनायक ट्रेडिंग कार्पोरेशन का 55 करोड़ का मामला एमसीएलटी कोर्ट मुंबई में अब भी चल रहा है।
Created On :   17 Jan 2024 11:20 AM IST