चिंता: बच्चों के जन्मदर में कमी, अगली पीढ़ी को मामा, काका, बुआ और मौसी मिलना मुश्किल

बच्चों के जन्मदर में कमी, अगली पीढ़ी को मामा, काका, बुआ और मौसी मिलना मुश्किल
  • सिमटा परिवार, एक संतान का चलन बढ़ा
  • लाइफस्टाइल और महंगाई भी बड़ा कारण
  • लड़कियों के मुकाबले अभी भी लड़कों की संख्या ज्यादा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर शहर में कम बच्चे पैदा होने का खुलासा आरटीआई में हुआ है। लड़कियों के मुकाबले अभी भी लड़कों की संख्या ज्यादा है, लेकिन बच्चे (लड़के-लड़कियां) कम पैदा होने का दर चिंतनीय माना जा रहा है। महंगाई व लाइफस्टाइल को भी अहम कारण माना जा रहा है। शिक्षा व लालन-पालन में जिस तरह का खर्च हो रहा है, उसे देखते हुए एक संतान रखने का चलन बढ़ रहा हैै।

ऐसा है आंकड़ा : सूचना के अधिकार (आरटीआई) में अभय कोलारकर को जो जानकारी मिली उसके मुताबिक 2021 में नागपुर शहर (मनपा क्षेत्र) में 43279 बच्चे पैदा हुए, जिसमें 20950 लड़कियां थीं। 2022 में 51882 बच्चे पैदा हुए, जिसमें लड़कियां 24908 आैर 2023 में 35387 बच्चे पैदा हुए, जिसमें 17347 लड़कियां शामिल हैं। 1 जनवरी से 31 मार्च 2024 (तीन महीने) तक 5818 बच्चे पैदा हुए, जिसमें 2805 लड़कियां शामिल हैं। साल 2022 की बात करें तो नागपुर शहर (मनपा क्षेत्र) में हर दिन 144 बच्चे पैदा होते थे। 2023 मंे यह आंकड़ा घटकर प्रति दिन 98 पर आ गया आैर 2024 के पहले तीन महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो हर दिन महज 65 बच्चे ही पैदा हो रहे हैं।

तो आएगी ऐसी स्थिति : बच्चों के जन्मदर की स्थिति ऐसी ही रही तो आनेवाली पीढ़ी को मामा, काका, बुआ आैर मौसी मिलना मुश्किल हो सकता हैं। समाज के हर तबके में दो बच्चे की बजाय एक बच्चे का चलन बढ़ता जा रहा है। इसके पीछे आर्थिक कारण सबसे बड़ा माना जा रहा है ।

नागपुर शहर में पिछले एक साल (1 जनवरी से 31 दिसंबर 2023) में कितने बच्चे पैदा हुए आैर कितनों की मृत्यु हुई, इसका रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। मनपा के पास 30 जून 2023 तक का ही रिकॉर्ड उपलब्ध है।मनपा के पास 30 जून 2023 तक का ही रिकॉर्ड उपलब्ध है। नागपुर शहर (मनपा सीमा) में छह महीने (1 जनवरी से 30 जून 2023) तक 22296 बच्चों को जन्म हुआ।


Created On :   8 May 2024 11:30 AM GMT

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