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तफ्तीश: ग्रामीण आरटीओ में चोरी के वाहनों का रजिस्ट्रेशन करने वाले एआरटीओ का चार्ज छीना
- जांच टीम ने 1500 वाहनों की जानकारी मांगी
- चोरों से ठेके लेते थे रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए
- अमरावती का सहायक आरटीओ और दो सहायक इंस्पेक्टर भी गिरफ्तार
डिजिटल डेस्क, नागपुर । नागपुर आरटीओ में देशभर से चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन होने का खुलासा हुआ। नागपुर के ग्रामीण आरटीओ में गत 8 दिन से वाहनों के फर्जी दस्तावेज को लेकर जांच चल रही है। बुधवार को ‘दैनिक भास्कर’ ने अपनी पड़ताल में इन वाहनों में एक वाहन के दस्तावेज बनाने के मामले में डिप्टी आरटीओ राजेश सरक के नाम का खुलासा किया था। जिसके बाद हरकत में आए विभाग ने गुरुवार को सरक से रजिस्ट्रेशन का चार्ज छीन लिया है। उन्हें हिदायत दी गई कि, वे रजिस्ट्रेशन के काम से दूर रहें। यह जिम्मेदारी इनसे छोटे अधिकारियों को दी गई है। गौरतलब है कि, मुंबई पुलिस और परिवहन आयुक्त की जांच में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। दोनों टीमें समानांतर जांच कर रही हैं।
डिप्टी आरटीओ सरक की जगह अब
अशफाक और स्नेहा संभालेंगे काम : नागपुर के ग्रामीण आरटीओ में कुछ दिन पहले मुंबई से एसआईटी टीम आई थी। जो दो वाहनों की जानकारी लेकर पहुंची थी। उनका कहना था, यह वाहन बाहरी राज्य से हैं, लेकिन इनके फर्जी दस्तावेज नागपुर ग्रामीण आरटीओ कार्यालय से बनाकर इसे मुंबई में बेचा गया है। ‘दैनिक भास्कर’ की ओर से लगातार इसकी पड़ताल की जा रही है। जिसमें को पता चला कि, एसआईटी टीम ने जो दो संदिग्ध वाहनों के नंबर लाए थे, इनमें एक वाहन क्रमांक एमएच 40 सीएम 3098 का रजिस्ट्रेशन सेवानिवृत्त एआरटीओ आर. फासे ने किया था, जबकि इस वाहन का निरीक्षण इंन्सपेक्टर की जगह खुद डिप्टी आरटीओ राजेश सरक ने किया था। बुधवार को ‘नागपुर भास्कर’ में इस खबर को प्रकाशित करते ही अधिकारियों में हड़कंप मच गया। खबर की सुध लेते हुए आरटीओ राजाभाऊ गीते की ओर से तुरंत डिप्टी आरटीओ आर. सरक से बाहरी राज्य से आने वाले वाहनों के रजिस्ट्रेशन का चार्ज छीनकर उसे सहायक प्रादेशिक अधिकारी अशफाक अहमद व सहायक प्रादेशिक अधिकारी (ग्रामीण) स्नेहा मेंढे को दे दिया गया है। हालांकि, अभी तक इस मामले में प्रशासन की ओर से एक्शन क्यों नहीं लिया गया था। इस पर सवाल उठ रहे हैं।
अधिकारी के सबसे करीबी एजेंट "बाबा' की तलाश
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देशभर में चोरी के वाहनों का रजिस्ट्रेशन करवाने के मामले में पूरा एक रैकेट चल रहा था। इस रैकेट में एजेंटों के साथ अधिकारियों की पूरी तरह मिलीभगत थी। यहां तक की कुछ एजेंट ऐसे हैं जिनके इशारों पर अधिकारी काम करते हैं। उन्हें विभाग के गोपनीय पॉसवर्ड भी दे रखे हैं। सारे दस्तावेज तैयार करने के बाद अधिकारी उस पर अपने हस्ताक्षर और सील लगाकर प्रमाणित कर दिया करते थे। इसमें एक एजेंट शील जामोलकर को पुलिस पहले ही पकड़ चुकी है। इसमें एक और बड़े एजेंट वसीम अख्तर मिर्जा बेग उर्फ बाबा की मुंबई पुलिस को तलाश है। यह रजिस्ट्रेशन का काम संभालने वाले अधिकारी का सबसे खास एजेंट था। इसने पूर्व अधिकारियों के साथ ही यही काम किया था। हालांकि पिछले दो सालों से चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन का ठेका यह खुलकर लेता था। इसके पास अधिकारियों के सभी अधिकार थे। पुलिस की भनक लगते ही अधिकारियों ने इसे गायब कर दिया। उन्हें डर है कि, यदि यह हाथ लग गया, तो विभाग की पोल पूरी तरह खुल जाएगी। चोरी के एक वाहन के कागजात तैयार करने के लिए अलग-अलग स्तर पर दो लाख तक की कीमत वसूली जा रही थी।
जांच समिति ने निकाला 1500 वाहनों का ब्यौरा :बाहरी राज्य से आने वाले वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का मामला तूल पकड़ते ही परिवहन आयुक्त की ओर से एक जांच टीम गठित कर नागपुर भेजी गई है, जिसका नेतृत्व नाशिक के आरटीओ कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस टीम ने अभी तक बाहरी राज्य से आने वाले करीब 1500 वाहनों का ब्यौरा निकाला है, जिनका रजिस्ट्रेशन नागपुर से हुआ है।
Created On :   3 May 2024 2:34 PM IST