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नागपुर: चुनाव में प्रति मतदाता सिर्फ 40 रुपए का भुगतान, नियमों में बदलाव का निर्णय
- नियमों में बदलाव का निर्णय
- प्रति मतदाता सिर्फ 40 रुपए का भुगतान
डिजिटल डेस्क, नागपुर. स्थानीय स्वराज्य संस्था यानी जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्रामपंचायत चुनाव में उम्मीदवारों का प्रचार पर होने वाला खर्च लाखों-करोड़ों में पहुंच गया। लोकसभा-विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के खर्च की कोई सीमा नहीं बची है। समय और महंगाई के हिसाब से यह खर्च और बढ़ गया है, किन्तु आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सरकार द्वारा चुनाव मशीनरी को इन चुनावों के लिए 40 रुपए प्रति मतदाता अनुसार ही भुगतान करती है। खासकर जिला परिषद, पंचायत समिति, ग्रामपंचायत सहित स्थानीय निकाय चुनाव में यही स्थिति है। अगर यह खर्च 50 रुपए प्रति मतदाता पर खर्च होता है तो फिर विभागीय आयुक्त की मंजूरी लेनी पड़ती है और यदि 50 रुपए से ज्यादा प्रति मतदाता पर खर्च होता है, तो इसके लिए ग्रामविकास विभाग की मंजूरी आवश्यक होती है।
सरकार भी नींद से जागी है
2016 साल से खर्च के इन नियमों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जिस कारण चुनाव मशीनरी को चुनाव खर्च करने में अनेक मानसिक और प्रशासनिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बरसों चले आ रहे इन नियमों को लेकर अब आवाजें उठने लगी हैं। चुनाव आयोग ने भी अब इन नियमों में बदलाव कर प्रति मतदाता खर्च की बजाए प्रति मतदान केंद्र अनुसार भुगतान करने को कहा है। अब सरकार भी नींद से जागी है।
नियमों में बदलाव का निर्णय
सरकार ने प्रशासनिक चुनाव खर्च में आने वाली दिक्कतों को देखते हुए इन नियमों में बदलाव करने का निर्णय लिया है। इसके लिए प्रधान सचिव, ग्रामविकास विभाग व पंचायत राज की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय एक कमेटी बनाई है। यह समिति जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायत चुनाव के लिए उपलब्ध होने वाले अनुदान में सुधार करने के लिए एक निश्चित नीति बनाकर सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी। खर्च के मानक तय कर समिति सरकार को रिपोर्ट देगी।
नए दर की सिफारिश की जाएगी
चुनाव के लिए जिला व तहसील स्तर पर काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी का मानधन, भत्ते, मतदान व मतगणना केंद्र पर तैनात अधिकारी-कर्मचारी, पुलिस कर्मचारी, होमगार्डस् को भुगतान किए जाने वाले भत्तों की समीक्षा कर नए दर (रेट) की सिफारिश सरकार से करेगी। इसके अलावा कुछ आवश्यक होने पर भी सरकार को अपनी सिफारिश करेगी। इस पहल से अब चुनाव के प्रशासनिक खर्च में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है।
चुनाव खर्च में तेजी से बढ़ोतरी
समय के हिसाब से चुनाव खर्च में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आयोग ने उम्मीदवारों की भी चुनाव खर्च सीमा तय की है, लेकिन महंगाई और अन्य खर्चों के देखते हुए उम्मीदवारों का खर्च तय सीमा से कई गुना ज्यादा होता है। लोकसभा, विधानसभा में इसका कोई हिसाब नहीं होता है। जिला परिषद, पंचायत समिति, ग्रामपंचायत चुनाव में भी प्रचार खर्च लाखों और करोड़ों से कम का नहीं होता है। प्रति मतदाता अनुसार 40 रुपए खर्च की मर्यादा होने से प्रशासन को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जैसे-जैसे खर्च बढ़ता है, हर स्तर पर इसकी समीक्षा कर उसके लिए आलाकमान से उसकी मंजूरी लेनी होती है। चुनाव होेने के बाद जब सरकार से खर्च की मंजूरी मिलती है तो चुनाव सामग्री से लेकर मानधन और भत्तों का भुगतान होता है। इसमें सालों लग जाते हैं।
Created On :   3 Jun 2024 12:46 PM GMT