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हाईकोर्ट: प्रधान सचिव को एक हफ्ते का समय, जिला सामान्य अस्पताल के लिए 9.72 करोड़ मंजूर करें
- राज्य सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को आदेश
- जिला सामान्य अस्पताल स्थापित करना आवश्यक
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिया है कि कोराडी मार्ग स्थित जिला सामान्य अस्पताल में फर्नीचर सहित विभिन्न उपकरणों की स्थापना के लिए आवश्यक 9.72 करोड़ रुपए की निधि को एक सप्ताह में मंजूरी दें। नागपुर खंडपीठ में सामाजिक कार्यकर्ता सत्यव्रत दत्ता और धरमदास बागड़े ने इस संबंध में जनहित याचिका दायर की है। राज्य सरकार की नीति के अनुसार प्रत्येक जिले के मुख्यालय पर एक जिला सामान्य अस्पताल स्थापित करना आवश्यक है। इसलिए, नागपुर में एक जिला सामान्य अस्पताल स्थापित करने का प्रस्ताव 2012 में सरकार को प्रस्तुत किया गया था। प्रस्ताव को 2016 में प्रशासनिक मंजूरी मिली और 2018 में निधि भी दिया गया। एन. एस. कन्स्ट्रक्शन कंपनी को अस्पताल बनाने का ठेका दिया गया था। निर्माण 18 माह में पूरा होना था। हालाँकि, निर्माण अभी तक पूरा नहीं हुआ है और नागरिक स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं। जिला सामान्य अस्पताल का निर्माण कार्य ठप होने से सरकार की इच्छाशक्ति पर सवाल उठाया जा रहा है। 8.90 एकड़ जमीन पर बन रहे इस अस्पताल में ओपीडी, नेत्र रोग, ईसीजी, प्रयोगशाला, फिजियोथेरेपी, ब्लड बैंक, एक्स-रे, स्त्री रोग, प्रसूति रोग, बाल रोग, सोनोग्राफी, सर्जरी, दंत चिकित्सा आदि चिकित्सा सुविधाएं होंगी। इस मामले में पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जिला सामान्य अस्पताल के रोके हुए निर्माण कार्य को लेकर राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं। बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने उक्त आदेश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. चंद्रशेखर चांदुरकर और राज्य सरकार की ओर से एड. एन. एस. राव ने पैरवी की। कोर्ट के आदेश के चलते जिला सर्जन डॉ. निवृत्ति राठौड़ की ओर से दायर किए शपथपत्र के अनुसार, अस्पताल भवन, पेंटिंग, सुरक्षा दीवार का 80 प्रतिशत निर्माण पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि शेष 20 प्रतिशत कार्य को पूरा करने के लिए 9.72 करोड़ रुपए की आवश्यकता है और इसका प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग द्वारा सरकार को सौंपा गया है।
हिंदी विवि के रजिस्ट्रार को हाजिर होने के दिए आदेश. छात्र को प्रवेश से वंचित रखने का मामला
दूसरे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र निरंजन कुमार के निष्कासन पर रोक लगाने के बावजूद, विश्वविद्यालय ने उन्हें परिसर में प्रवेश से वंचित कर दिया है। इस मामले में न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने हिंदी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. धर्वेश कथेरिया को अवमानना नोटिस जारी करते हुए 29 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में प्रत्यक्ष हाजिर रहने के आदेश दिए है। अगस्त 2023 में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन उम्मीद के विपरीत आईआईएम नागपुर के पूर्व निदेशक भीमाराय मेट्री को दो महीने बाद नए वीसी के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। इस निर्णय को लेकर छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप निरंजन कुमार सहित अन्य छात्रों को निष्कासित कर दिया गया, जिन्होंने गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान नए वीसी का विरोध करने वाले बैनर प्रदर्शित किए थे। विश्वविद्यालय के इस फैसले के खिलाफ निरंजन कुमार ने नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है। इस मामले में कोर्ट ने 16 फरवरी को निरंजन कुमार और अन्य छात्र के निष्कासन से संबंधित विश्वविद्यालय के फैसले पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता की ओर एड. निहालसिंग राठोड ने पैरवी की।
Created On :   25 April 2024 3:13 PM GMT