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पोल्यूशन: दिवाली पर आंशिक ध्वनि प्रदूषण का दावा, खराब हुई हवा की गुणवत्ता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। दीपावली पर्व पर पूरे शहर में जमकर पटाखे फोड़े गए। पटाखों से निकले धुआं से जगह-जगह कोहरे जैसी स्थिति निर्माण हो गई थी। पटाखा जलाने की समय सीमा की धज्जियां देर रात तक उड़ती रहीं। पटाखों की आवाज से मानो कान के परदे फट जाएंगे। हालांकि ध्वनि प्रदूषण की जांच करने वाली एजेंसी का दावा है कि इस साल ध्वनि प्रदूषण में दम नहीं था।
पांच दिन किया जाता है मूल्यांकन : उल्लेखनीय है कि पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से प्रमुख शहरों में साल में दो बार गणेशोत्सव और दीपावली के पांच दिनों तक मूल्यांकन किया जाता है। इस मूल्यांकन की जिम्मेदारी मुंबई की अश्वमेध एजेंसी को सौंपी जाती है। अश्वमेध एजेंसी शहर में 10 स्थानों पर अपने अस्थायी ध्वनि प्रदूषण मूल्यांकन की सुविधा को स्थापित करती है। इस बार दिवाली के दिन शहर में पटाखों की आवाज में दम नहीं होने का दावा किया गया है। एजेंसी के मुताबिक दिन और रात के ध्वनि प्रदूषण के मानकों से आंशिक रूप से अधिक ही पटाखों का शोर पाया गया है। शहर के शांत और सिविल लाइन के इलाकों में ही एजेंसी के अधिकतर मापक यंत्र मौजूद होते हैं। ऐसे में मूल्यांकन को लेकर सवालिया निशान लग रहे हैं।
मुंबई भेजी जाती है रिपोर्ट : अश्वमेध एजेंसी की ओर से ध्वनि मापक यंत्रों को लगाकर दिन और रात में ध्वनि प्रदूषण की गणना होती है। पांच दिनों के दोनों समय के आंकड़ों को आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है और मुंबई मुख्यालय को भेजा जाता है। इस बार शहर में 10 स्थानों पर पटाखों के शोर को नाममात्र की बढ़ोतरी के रूप में दर्ज किया गया है। मानकों के मुताबिक दिन के दौरान 55 डेसिबल और रात में 65 डेसिबल ध्वनि को मान्य किया जाता है।
95 माइक्रो ग्राम क्यू. मीटर से 185 तक पहुंचा : दीपावली के दूसरे दिन 13 नवंबर की दोपहर तक शहर में हवा की गुणवत्ता तालिका (एक्यूआई) में खासा प्रदूषण पाया गया है। निर्धारित मानकों के तहत पीएम 10 को 95 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर होना चाहिए, लेकिन शहर में रामनगर परिसर समेत सिविल लाइन इलाके में करीब 185 एमजीक्यूआई पाई गई है। दूसरी ओर पीएम 2.5 में 56 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर के मानक से अधिक करीब 218 एमजीक्यूआई बनी रही है। पीएम 2.5 के बढ़ने से शहर में धुंध बढ़ जाती है। शहर के अंबाझरी, जीपीओ और महल के एयर मानिटरिंग स्टेशनों में स्थिति चिंताजनक पाई गई है। मनपा का दावा है कि निर्माणकार्य स्थलों पर पानी का छिड़काव, खुले में कचरे के जलाने पर पाबंदी समेत अन्य उपाय योजना की जा रही है, लेकिन पटाखों के जलने से होने वाले प्रदूषण से हालात और खराब हो रहे हैं।
जागरूकता और न्यायालय का निर्देश प्रभावी : इस बार शहर में नागरिकों की ओर से पटाखों को लेकर जागरूकता रही है। न्यायालय की ओर से दो घंटे की समयावधि की ताकीद रहने से भी पटाखों को कम जलाया गया है। कम पटाखों के जलने से ध्वनि प्रदूषण को लेकर समाधानकारक स्थिति मानी जा सकती है। -हेमा देशपांडे प्रादेशिक अधिकारी, एमपीसीबी
Created On :   16 Nov 2023 12:26 PM IST