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सुरक्षा :: जंगल में वन्यजीवों के हमले से बचा रही स्मार्ट स्टिक, मानव-वन्यजीव संघर्ष होगा कम
- 125 गार्डों को स्मार्ट स्टिक दी गई
- कर्मचारी अपना मोबाइल भी चार्ज कर रहे
- स्पार्क करने के साथ-साथ सायरन भी बजाती है
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जंगल में कर्मचारियों को गश्त लगाने में अब आसानी हो रही है। वन विभाग की ओर से करीब 125 गार्डों को स्मार्ट स्टिक दी गई है, जो वन्यजीवों को भगाने के लिए स्पार्क करने के साथ-साथ सायरन भी बजाती है। इस स्टिक के माध्यम से कर्मचारी अपना मोबाइल भी चार्ज कर पा रहे हैं, जिससे एक ओर उनकी सुरक्षा में वृद्धि हुई है, वहीं दूसरी ओर जंगल के बीच उन्हें स्टिक की मदद से सहायता भी मिल रही है।
बाघ ने कर दिया था हमला : कुछ समय पहले तक जंगल में गश्त के दौरान गार्डों को केवल टॉर्च व डंडा दिया जाता था, जिससे गार्ड वन्यजीवों के हमले के दौरान खुद की बेहतर तरीके से सुरक्षा नहीं कर पाते थे और अक्सर घायल हो जाते थे। हाल ही में इस तरह की ताड़ोबा में एक घटना भी हुई थी, जिसमें गश्त के दौरान आरएफओ पर बाघ ने हमला कर दिया था। इस हमले में महिला अधिकारी की मौत हो गई थी। ऐसे में गश्त के दौरान कोई सुरक्षित यंत्र की जरूरत महसूस की जा रही थी। पेंच व्याघ्र प्रकल्प ने इसकी सुध लेकर गार्डों को स्मार्ट स्टिक दी है, जिससे गश्त के दौरान सुरक्षा मिल रही है।
स्पार्क होने से करंट लगता है : पेंच व्याघ्र प्रकल्प का दायरा कुल 741 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसमें 257 वर्ग किमी कोर इलाका है और कुल 7 बीट हैं। वर्तमान स्थिति में यहां 43 बाघ मौजूद हैं। महाराष्ट्र का पेंच टाइगर रिजर्व नागपुर जिले में आता है, जिसका 789 वर्ग किमी जंगली क्षेत्रफल है। यहां खुर्सापार, सुरेवानी, सिल्लारी, पवनी यूनी कंट्रोल, देवलापार, ईस्ट पेंच, चोरबाहुली आदि गेट आते हैं। ऐसे में प्रतिदिन यहां कई किमी तक गश्त करना पड़ता है, ताकि जंगल व वन्यजीवों को सुरक्षित समझा जा सके। इसमें वरिष्ठ स्तर के कर्मचारियों को पिस्टल दी गई है, लेकिन गार्ड स्तर के लोगों को डंडे से ही काम चलाना पड़ता था। अब इस स्मार्ट स्टिक से इन्हें काफी फायदा मिल रहा है। इस स्टिक में करंट भी होता है, जिससे किसी वन्यजीव द्वारा हमला करने आने पर स्टिक से मारने पर स्पार्क होने के साथ करंट लगता है और वन्यजीव दूर हो जाता है।
मजदूरों को मिलेंगे घुगरू वाले डंडे : वन परिसर में कई मजदूर काम करते हैं, जिन्हें जंगल की सीमा से आना-जाना पड़ता है। ऐसे में इन पर वन्यजीवों के हमले का खतरा होता है। इन्हें स्टिक नहीं दी गई है, क्योकि स्टिक महंगी होती है। ऐसे में वन विभाग ने इन्हें घंघरू वाले डंडे देने का निर्णय लिया है। इसका प्रयोग हाल ही में उमरेड करांडला पवनी में किया गया है। यह प्रयोग सफल होने के बाद अब पेंच में यह डंडे मजदूरों को दिए जाने वाले हैं। इसमें घुंगरू के साथ कील लगे हैं। इससे चलते समय डंडे से घुंगरू की आवाज आती है, जिससे पास में आने से पहले वन्यजीव दूर निकल जाते हैं। इसके अलावा इसमें लगे कील सुरक्षा के लिए कारगर हैं।
Created On :   14 April 2024 3:26 PM IST