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तफ्तीश: नागपुर में बदले गए चोरी के वाहनों के चेचिस और इंजन के नंबर , जांच में हो रहे हैं नए-नए खुलासे
- कुछ सालों से चोरी के वाहन रजिस्टर्ड करने की खुली छूट
- नागपुर में कई बड़े रसूखदारों के पास ऐसे वाहन चल रहे
- नागपुर आरटीओ कार्यालय की मेहरबानी से फला-फूला गोरखधंधा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आरटीओ में चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन मामले में मुंबई पुलिस की जांच में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। चोरी के वाहन कहां, कितने रजिस्टर्ड होंगे, यह तय करने वाला मुख्य किरदार जावेद मनियार था। पुलिस को जानकारी मिली है कि नागपुर और अमरावती में कुछ सालों से चोरी के वाहन रजिस्टर्ड करने की खुली छूट मिली हुई थी। जावेद ने नागपुर में भी अपने एजेंट बना रखे थे। पहले चोरी के वाहनों के चेचिस और इंजन नंबर बदलने का काम अन्य राज्यों में होता था, जिसे नागपुर में शिफ्ट किया गया। नागपुर में कई बड़े रसूखदारों के पास ऐसे वाहन चल रहे हैं, जो चोरी के हैं, जिनके चेचिस और इंजन नंबर अलग-अलग हैं, मगर नागपुर आरटीओ कार्यालय की मेहरबानी से वह खुलेआम चल रहे हैं। फिलहाल ऐसे 29 ट्रक जो करीब 5.50 करोड़ की कीमत के हैं, जब्त किया जा चुके हैं। इसमें 19 नागपुर में रजिस्टर्ड हुए हैं। ऐसे हजारों ट्रक हैं, जिन तक पुलिस पहुंचने का प्रयास कर रही है। इस घोटाले के उजागर होने के बाद नागपुर आरटीओ में चल रहे अन्य गोरखधंधों की भी चर्चा शुरू हो गई है, जो इस घोटाले से कई गुना बड़े हैं।
सह आयुक्त ने की जांच-पड़ताल : जांच में एक बड़ी गलती उजागर हुई है। रजिस्ट्रेशन करने वाले अधिकारियों की नीयत यदि साफ होती, तो चेजिस और इंजन अलग-अलग होने पर उनका रजिस्ट्रेशन होना संभव नहीं होता। इसी मामले में बुधवार को ग्रामीण आरटीओ में परिवहन आयुक्त कार्यालय से सह आयुक्त जितेन्द्र पाटील आए थे। उन्होंने शाम 5 से 7 बजे तक इस मामले की पड़ताल की, जिसमें जांच समिति से जानकारी लेकर अधिकारियों से भी पूछताछ की गई है। देर रात तक वह नागपुर में मौजूद थे। गुरुवार को भी इस मामले में पड़ताल हो सकती है।
जावेद पर महाराष्ट्र में 10, दूसरे राज्यों में 9 केस दर्ज : पूरे मामले में मास्टर माइंड जावेद मनियार पर महाराष्ट्र में 10 और अन्य राज्यों में 9 केस दर्ज हैं। इसमें मुख्य रूप से चोरी के वाहनों की हेरा-फेरी करने को लेकर है। शुरुआत में वह विभिन्न रज्यों से चोरी के वाहनों को अपने स्तर पर औने-पौने दाम में बेचता था। उसके बाद उसने इन्हीं वाहनों को वैध करने का तरीका खोज लिया और अपने गिरोह में अधिकारियों को भी शामिल कर लिया। ऐसे प्रत्येक वाहन में मिलने वाली मोटी रकम के कारण नागपुर ओर अमरावती के आरटीओ चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन का मुख्य अड्डा बन गया।
जो ट्रक हैं ही नहीं, उनका भी रजिस्ट्रेशन : पुलिस की जांच में एक और खुलासा हुआ है कि ऐसे ट्रकों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जो फिजिकल रूप से मौजूद ही नहीं हैं। हर रजिस्ट्रेशन के लिए दो लाख रुपए लिए गए, जिसमें 75 हजार केवल रजिस्ट्रेशन करने वाले अधिकारी के होते थे। बाकी पैसा अन्य लोगों को दिए जाते थे। यह बात खुद दलालों ने स्वीकार की है।
गायब हो गए दस्तावेज :सूत्रों के अनुसार इस जांच के मामले में बाहरी राज्य से आने वाले कुछ वाहनों की आरएमई ही नहीं है। यानी कुछ वाहनों के दस्तावेज गायब हैं, ऐसे में इसे ढूंढ़ने के लिए कहा गया है। बताया गया कि जांच की रफ्तार भी अब धीमी पड़ गई है।
पूछताछ में मिल रही जानकारी : मुख्य आरोपी जावेद मनियार, मोहम्मद असलम बाबा शेख, शिवाजी आसाराम गिरि, अमित शंकथा सिंह उर्फ मोनू राजपूत, रफीक शेख, दिलावर मंसूरी उर्फ रफीक मामू, वरुण रमेश जिभेकर उर्फ सील से पुलिस की पूछताछ में रोज नए-नए खुलसे हो रहे हैं।
Created On :   9 May 2024 2:47 PM IST