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Nagpur News: अंग प्रत्यारोपण : जरूरतमंद गरीब मरीजों के लिए नया जीवन पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन

- प्रत्येक सर्जरी का खर्च 7 से 40 लाख
- विभागीय समन्वयक कमेटी के पास सभी वर्ग के जरूरतमंदों की सूची
Nagpur News चंद्रकांत चावरे .अंगदान के लिए चिकित्सकीय शर्तें व प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। विविध अंगों के इंतजार में हजारों लोग हैं। विभागीय अंग प्रत्यारोपण समन्वयक कमेटी (जेडटीसीसी) के पास जरूरतमंदों की सूची है। सूची में सभी वर्ग के लोग पंजीबद्ध होते हैं। अंगदाता या उसके परिजनों को अंगदान के बदले कोई राशि नहीं दी जाती। अंगदान प्रक्रिया नियमानुसार दान होने से उसके बदले कोई मोल नहीं चुकाया जाता। अंग प्रत्यारोपण एक महंगी सर्जरी है। जरूरतमंद मरीजों को अंग प्रत्यारोपण के बदले लाखों रुपए चुकाने पड़ते हैं। जरूरतमंद गरीब मरीजों के लिए अंग प्रत्यारोपित कर नया जीवन पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
बीते सालों में ऐसे रही आंकड़ेवारी : जेडटीसीसी के पास सूचीबद्ध जरूरतमंद मरीजों में अमीर-गरीब सभी का समावेश होता है। सर्वाधिक मरीज किडनी और लिवर के होते हैं। पिछले साल किडनी के 892, लिवर के 225, हार्ट के 2 और फेफड़े का 1 जरूरतमंद शामिल थे। वहीं 2013 से दिसंबर 2024 तक प्रत्यारोपण इस प्रकार हुआ है। किडनी 277, लिवर 127, हार्ट 19, फेफड़े 6 प्रत्यारोपित किए गए हैं। वहीं 83 कॉर्निया प्रत्याराेपित किए गए हैं।
सरकारी योजना में केवल ‘किडनी’ के लिए लाभ : सरकारी योजना से जुड़े अधिकारी ने बताया कि, सरकार की तरफ से केवल सरकारी अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण नि:शुल्क किया जाता है। यह लाभ तभी मिलता जब कोई दाता किडनी देने के लिए तैयार हो। इसके अलावा कोई भी अंग योजना अंतर्गत प्रत्यारोपण का प्रावधान नहीं है। एम्स और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में यह सुविधा उपलब्ध है। अन्य अंगों के प्रत्यारोपण के लिए लाखों रुपए खर्च करना पड़ते हैं। सरकार ने सभी अंग प्रत्यारोपण सर्जरी योजना में शामिल नहीं किए हैं। अधिकारी के अनुसार आंखों को रोशनी देने वाले कॉर्निया प्रत्यारोपण भी सरकारी योजना में शामिल नहीं है। ऐसे हालात में गरीबों को उसकी जरूरत के हिसाब से अंग मिल पाना नामुमकिन हो गया है।
बड़े लोगों का तुरंत हो जाता है जुगाड़ : एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि, प्रत्यारोपण के नाम पर गोरखधंधा शुरू है। बताया गया कि, सूची के अलावा भी अंग प्रत्यारोपण हो रहा है। वीआईपी या वीवीआईपी या उसके किसी करीबी को अंगों की आवश्यकता होने पर उसका प्रबंध कर दिया जाता है। बड़े लोगों के लिए अंगों का जुगाड़ कर देने वाले भी तैयार होते हैं। अंग प्रत्यारोपण के बाद प्राप्तकर्ता को आने वाला खर्च उससे भी अधिक होता है। यदि ज्यादा दिन आईसीयू में रहना पड़ा, तो खर्च लाखों रुपए बढ़ जाता है। ट्रांसप्लांट के बाद हर महीने 10 से 20 हजार रुपए की दवाएं लगती हैं। यानि आगे के जीवन में जितना प्रत्यारोपण पर खर्च किया गया, उससे अधिक खर्च करना पड़ता है।
इस तरह है दर : अलग-अलग अंग प्रत्यारोपण सर्जरी की कीमतें अलग-अलग होती हैं। अधिकतर अंग प्रत्यारोपण निजी अस्पतालों में ही किया जाता है। एक वरिष्ठ चिकित्सक ने वर्तमान में अंग प्रत्यारोपण के दरों की जानकारी दी है। अस्पताल संबंधों के आधार पर अपने हिसाब से दाम कम-ज्यादा करते हैं।
अंग सामान्य दर अधिकतम दर
किडनी 7 लाख 10 लाख
हार्ट 20 लाख 30 लाख
लिवर 30 लाख 40 लाख
फेफड़े 25 लाख 35 लाख
कार्निया 50 हजार 1 लाख
सरकार को योजना शुरू करनी चाहिए : नागपुर के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि, अंगदान व प्रत्यारोपण के प्रति सरकारी स्तर पर जागरूकता का अभाव है। पैसा होने के कारण बड़े लोग अंग प्रत्यारोपण कर लाभ उठा लेते हैं। गरीबाें के बारे में सोचा ही नहीं जाता। बड़े लोगों को जरूरत पड़ने पर आसानी से अंग उपलब्ध करा दिए जाते हैं। सूची के बाहर होने के बावजूद उन्हें आसानी से अंग मिल जाते है। यह सब जुगाड़ से होता है। जुगाड़ लगाने वाले भी तैयार ही बैठे रहते हैं, जबकि गरीब अंग पाने के लिए तड़पता रहता है। अंग मिल भी जाए, तो वह ट्रांसप्लांट का खर्च नहीं कर पाता, इसलिए सरकार को गरीबों के लिए नि:शुल्क अंग प्रत्यारोपण योजना शुरू करनी चाहिए। अंगदान व प्रत्यारोपण में पारदर्शिता होना जरूरी है।
Created On :   11 April 2025 11:57 AM IST