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Nagpur News: एम्स में रैगिंग - सीनियर ने जूनियर को प्रताड़ित किया, दो विद्यार्थियों पर लगे आरोप साबित
- एंटी रैगिंग कमेटी की सिफारिश पर केस दर्ज
- जूनियर को प्रताड़ित किया
Nagpur News : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के दो वरिष्ठ विद्यार्थियों द्वारा जूनियर की रैगिंग लिए जाने का मामला उजागर हुआ है। घटित वाकये से एंटी रैगिंग कमेटी की सिफारिश पर सोनेगांव थाने में आरोपी विद्यार्थियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। मिहान परिसर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) है। यहां पर दिव्यांश (काल्पनिक) व चमन (काल्पनिक) नामक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। उन्होंने वर्ष 2021 में पैरामेडिकल डीएएमएलटी अभ्यासक्रम में प्रवेश लिया था। उसी पाठ्यक्रम में वर्ष 2024 में एक विद्यार्थी ने प्रवेश लिया है। 21 सितंबर 2024 को दिव्यांश और चमन ने जूनियर विद्यार्थी को कमरे में बंद किया। इसके बाद अर्द्धनग्न करने का भी अारोप है। पीड़ित के अनुसार, उससे अश्लील डांस करने पर मजबूर किया गया। शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
चिल्लाने पर विद्यार्थी दौड़े
अपने वरिष्ठ विद्यार्थियों द्वारा ली गई रैगिंग से त्रस्त होकर पीड़ित विद्यार्थी ने शोर-शराबा मचाया। उसके चिल्लाने व रोने की आवाज सुनकर बाकी के विद्यार्थी वहां पर दौड़े चले आए। घटित प्रकरण से अस्पताल प्रबंधन भी सकते में आ गया।
समिति ने विद्यार्थियों को दोषी पाया
मामले की गंभीरता को देखते हुए 22 सितंबर 2024 को एंटी रैगिंग कमेटी को प्रकरण की शिकायत की गई। समिति की जांच-पड़ताल के दौरान विद्यार्थियों को दोषी पाया गया है। कमेटी की सिफारिश पर सोनेगांव थाने में दिव्यांश व चमन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। भारत में रैगिंग लॉ 'प्रिवेंशन ऑफ रैगिंग एक्ट 1997' और इसके अमेंडमेंट्स के अंतर्गत आता है। सर्वोच्च न्यायालय ने विश्व जागृति मामले (1999) में रैगिंग को इस प्रकार परिभाषित किया है, ” कोई भी अव्यवस्थित आचरण, चाहे वह बोले गए या लिखित शब्दों से हो या किसी ऐसे कृत्य से हो, जिसमें किसी अन्य छात्र को छेड़ने, व्यवहार करने या अशिष्टता से निपटने का प्रभाव हो, उपद्रवी या अनुशासनहीन गतिविधियों में लिप्त हो, जो झुंझलाहट, कठिनाई या मनोवैज्ञानिक नुकसान का कारण बनता है या होने की संभावना है। किसी फ्रेशर या जूनियर छात्र में डर या आशंका पैदा करना या छात्रों से कुछ ऐसा करने के लिए कहना जो वह छात्र सामान्य पाठ्यक्रम में नहीं करेगा और जिसका प्रभाव शर्म या शर्मिंदगी की भावना पैदा करने का है, एक फ्रेशर या जूनियर छात्र के शरीर या मानस पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए।”
Created On :   29 Sept 2024 6:37 PM IST