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Nagpur News: लक्ष्य - सिकलसेल का अंत 54 महिलाओं का एमटीपी, 2047 तक बीमारी काे खत्म करने का अभियान
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- 640 संदिग्धों का समुपदेशन
- इस तरह पीढ़ियों में फैलता है
Nagpur News. सरकार ने पिछले साल राष्ट्रीय सिकलसेल एनीमिया को जड़ से खत्म करने मिशन शुरू किया है। इसके अंतर्गत विविध कार्यक्रमाें की शुरुआत की गई है। 2047 तक इस बीमारी काे खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। मिशन अंतर्गत विदर्भ के 11 जिलों का समावेश किया गया है। नागपुर में 2012 में ही इसकी शुरुआत हो चुकी है। शासकीय डागा स्मृति महिला अस्पताल में सिकलसेल समुपदेशन केंद्र के माध्यम से निरंतर यह काम किया जा रहा है। यहां संदिग्धों की जांच, पुष्टि होने पर समुपदेशन व इसके बाद एमटीपी प्रक्रिया की जाती है। ताकि इस बीमारी का प्रसार रोककर इसे जड़ से खत्म किया जा सके।
640 संदिग्धों का समुपदेशन
डागा अस्पताल के सिकलसेल केंद्र में 2012 से दिसंबर 2024 तक 640 संदिग्धों का समुपदेशन किया गया। इनमें से 338 को पैरेंटल डॉयग्नॉसिस के लिए रेफर किया गया। इसमें माता-पिता में से कोई पीड़ित हो तो उसके गुणसूत्र गर्भ में होने की आशंका की पुष्टि की जाती है। सभी 338 महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच यानि गर्भजल परीक्षण किया गया। परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार एसएस 56, एएस 185 व एए 97 पाए गए। इनमें से एसएस पाए गए 56 में से 54 का एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन प्रेगनेंसी या सरल भाषा में अबॉर्शन) किया गया। अप्रैल 2024 से दिसंबर 2024 तक 50 संदिग्ध का समुपदेशन किया गया। इनमें से 48 का गर्भजल परीक्षण किया गया। इनमें एसएस 10, एएस 26 व एए 12 पाए हैं। इनमें से एसएस पाए गए 9 का एमटीपी किया गया।
इस तरह पीढ़ियों में फैलता है
अनुवांशिक बीमारी सिकलसेल में तीन प्रकार पाए जाते हैं-एसएस, एएस व एए। एसएस पीड़ित जन्म लेता है, तो जीवन भर इस बीमारी की असह्य पीड़ा सहनी पड़ती है। इसलिए गर्भजल जांच रिपोर्ट में एसएस पाए जाने पर एमटीपी की जाती है। एएस को वाहक बताया जाता है। उसे सिकलसेल नहीं होता, लेकिन उसमें सिकलसेल के जीन होते हैं। वह यदि किसी एएस से विवाह करता है, तो यह बीमारी उनके बच्चे में चली जाती है। इसलिए यह वाहक होते हैं। वहीं एए सामान्य होता है। उस सिकलसेल नहीं होता, सिकलसेल जीन के होने की संभावना भी न के बराबर होती है।
Created On :   16 Feb 2025 8:05 PM IST