Nagpur News: अजीबो-गरीब कामकाज, रिकॉर्ड ऑनलाइन, लेकिन बायोमेट्रिक ठंडे बस्ते में

अजीबो-गरीब कामकाज, रिकॉर्ड ऑनलाइन, लेकिन बायोमेट्रिक ठंडे बस्ते में
  • ग्राम पंचायतों में दो साल पहले मशीन लगाने के हुए थे आदेश
  • स्पष्ट दिशा-निर्देश के अभाव में नहीं खरीदी गईं मशीनें
  • नियमों की अनदेखी, स्थिति ज्यों की त्यों

Nagpur News सूचना प्रौद्योगिकी की दौर में ग्राम पंचायतों का रिकॉर्ड ऑनलाइन किया गया है। एक क्लिक पर कोई भी दस्तावेज उपलब्ध होने लगा है। यह तब संभव है, जब ग्राम पंचायत में कर्मचारी उपस्थित रहते हैं। ग्राम विकास विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों में कर्मचारियों की उपस्थिति पर नियंत्रण रखने बायोमेट्रिक लगाने के िनर्देश दिए दो साल होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक एक भी ग्राम पंचायत में बायोमेट्रिक नहीं लग पाई है। इससे कर्मचारी अपनी मर्जी से आते-जाते हैंै। बायोमेट्रिक खरीदी के लिए निधि के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिलने से खरीदी लड़खड़ा गई है।

कामकाज में गति अपेक्षित : ग्राम पंचायत ग्रामीण क्षेत्र के विकास का केंद्र है। ग्रामसेवक, ग्राम विकास अधिकारी की गांव के विकास में कार्यकारी प्रमुख की भूमिका है। ग्राम पंचायत कर्मचारियों की नियमिति उपस्थिति कामकाज को गति देने अपेक्षित है। ग्राम पंचायत कर्मचारियों की उपस्थिति पर किसी का नियंत्रण नहीं रहने से विकासकार्य प्रभावित हो रहे हैं। ग्राम विकास विभाग को इसकी शिकायतें मिलने पर कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज करने बायोमेट्रिक लगाने के निर्देश दिए गए। 5 जनवरी 2023 को सभी विभागीय आयुक्तों को पत्र भेजकर अपने अधिनस्त ग्राम पंचायतों में बायोमेट्रिक लगाने के निर्देश दिए गए। बायोमेट्रिक खरीदी के लिए निधि किस हेड से खर्च करनी है, इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं होने से प्रशासन दुविधा में है।

जिले में 764 ग्राम पंचायतें : जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या 764 है। ग्राम पंचायतों में बायोमेट्रिक लगाने का खर्च लाखों में है। जिला परिषद की आय सीमित है। जिप को विकासकार्यों पर निधि कम पड़ती है। ऊपर से बायोमेट्रिक खरीदी पर खर्च संभव नहीं है। सरकार के निर्देश पर जिप ने डेढ़ साल पहले जिले के ग्राम पंचायतों की फेहरिस्त जिला नियोजन अधिकारी के पास भेज दी। निधि के संबंध में सकारात्मक प्रतिसाद नहीं मिलने से किसी भी ग्रापं में बायोमेट्रिक नहीं लग पाई है।

कर्मचारियों की मनमानी : ग्रामीण क्षेत्र में कर्मचारियों पर प्रशासन का नियंत्रण नहीं है। ग्रामसेवक, ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी की मनमानी है। अपनी सुविधा से आते और चले जाते हैं। ग्रामसेवक या ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत में नियमित उपस्थित नहीं रहने पर ग्रामीणों को आवश्यक दस्तावेज समय पर नहीं मिलने से निराशा का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों की उपस्थिति पर नियंत्रण नहीं रहने से ऑनलाइन सुविधा का ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं है।

Created On :   9 Nov 2024 7:57 PM IST

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