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135 को फूड प्वॉइजनिंग: मनपा के संक्रामक रोग विभाग ने कहा-सिंघाड़े के आटे से बने खाद्य पदार्थ का किया था सेवन
- कुछ ने घर में बने तो कुछ ने बाहर के प्रसाद का किया था सेवन
- कामठी समेत शहर के 8 क्षेत्रों में विषबाधा
- पर्व-उत्सवों पर सर्वाधिक बिकने वाली सामग्रियां घातक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शुक्रवार की शाम से शनिवार की सुबह तक मेयो व मेडिकल में एक के बाद एक मरीज उपचार के लिये लाए जा रहे थे। इन मरीजों में उल्टी, दस्त व पेट दर्द की शिकायत थी। कुछ मरीजाें को अस्पतालों में भर्ती भी किया गया था। शहर के विविध क्षेत्रों से उपचार के लिए आए इन मरीजों को विषबाधा (भोजन में विषैले तत्व) हो चुका था। शुक्रवार की शाम 7.30 बजे से शनिवार की सुबह 9 बजे तक मेयो में 34 और मेडिकल में 4 मिलाकर कुल 38 मरीज उपचार के लिए लाए गए। इसके अलावा निजी अस्पतालों में 36 मरीजों का उपचार किया गया। वहीं कामठी में 50 से अधिक को फूड पॉइजनिंग हुआ है। कुल मिलाकर 12 घंटे में 124 मरीजों को विषबाधा हुई है। उपचार के बाद सभी मरीज स्वस्थ्य होकर घर लौटे हैं।
कुछ ने घर में बने तो कुछ ने बाहर के प्रसाद का किया था सेवन
फूड पॉइजनिंग की घटना सिंघाड़े के आटे के कारण होने का दावा मनपा के संक्रामक रोग विभाग ने किया है। मरीजों के करीबियों ने भी इसकी पुष्टि की है। कुछ लोगों ने घर में पैकेट बंद सिंघाड़े का आटा लाकर पदार्थ बनाए थे, वहीं कुछ लोग बाहर से प्रसाद सेवन करके आये थे। इसके दो घंटे बाद ही उल्टियां, दस्त व पेट दर्द शुुरू हुआ था। जब तकलीफ अधिक हुई तो परिजनों व पड़ोसियों ने पीड़ितों को अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया, जहां उपचार के बाद सभी स्वस्थ्य हैं।
कामठी समेत शहर के 8 क्षेत्रों में विषबाधा
मनपा सूत्रों के अनुसार, शहर के मोहन नगर, खलासी लाइन, फुटाला तालाब के आसपास की बस्तियां, त्रिमूर्तिनगर, खामला, बिनाकी मंगलवारी, विनोबा भावे नगर, तांडापेठ अादि क्षेत्रों समेत कामठी में विषबाधा हुई है।
पर्व-उत्सवों पर सर्वाधिक बिकने वाली सामग्रियां घातक
मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने भागदौड़ कर रहे समाजसेवी राम कुकडे ने बताया कि उन्होंने 40 मरीजों को उपचार के लिए मेयाे अस्पताल में लाया था, उनमें से कुछ को सामान्य लक्षण होने से उपचार के बाद तुरंत छुट्टी दे दी गई। वहीं कुछ मरीजों को वार्ड नंबर 37 व 42 में भर्ती किया गया। शनिवार की दोपहर के बाद आधे से अधिक मरीजों को छुट्टी दे दी गई। शाम 15 मरीजों को वार्ड में ही डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था। विषबाधा को लेकर भुक्तभोगियों ने बाहर का प्रसाद या घर में बने पदार्थ खाने का कारण बताया है।
अन्न व औषधि प्रशासन की उदासीनता भारी पड़ सकती है
विषबाधा हाेने के पीछे तीज-त्योहार व पर्व-उत्सवों पर अधिकाधिक प्रमाण में बिकने वाली सामग्रियां शामिल होती हैं। दिवाली के समय मिठाई के लिए उपयोग में ली जानेवाला खोया, नियमित उपयोग का पनीर, उपवास के दिनों में सिंघाड़े का आटा आदि सर्वाधिक बिकता है। खाद्य सामग्रियों के इस्तेमाल में लिये जानेवाले घटकों की गुणवत्ता जांच, प्रॉडक्शन व एक्सपायरी डेट, आदि को देखना अन्न व औषधि प्रशासन की जिम्मेदारी है। बर्फ, पानी से लेकर सैकड़ों ऐसी सामग्रियां हैं, जो सीधे लोगों के स्वास्थ्य पर असर करती है। बावजूद विभाग द्वारा कार्रवाई के मामले में उदासीनता बरती जाती है। इसके भयावह परिणाम विषबाधा के रूप में सामने आने का आरोप समाजसेवी कुकड़े ने लगाया है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक मंडलों द्वार किये जानेवाले प्रसाद की जानकारी अन्न व औषधि विभाग को दी जानी चाहिए। विभाग की टीम ने वहां जाकर सामग्रियों की जांच करनी चाहिए। ताकि विषबाधा जैसी घटनाओं को टाला जा सके।
जारी हैं जांच की प्रक्रिया
सिंघाड़े के आटे से विषबाधा के मुताबिक अन्न व औषधि प्रशासन की टीम ने विष बाधित क्षेत्र में जाकर जांच-पड़ताल की है। लोगों ने बताया कि सिंघाड़े के आटे से तैयार पदार्थ से विष बाधा हुई है। विभाग ने छह सैंपल संकलित करने व जांच की प्रक्रिया शुरू की है।
कृष्णा जयपुरकर, सहआयुक्त, अन्न व औषधि विभाग के मुताबिक डॉ. गोवर्धन नवखरे, विभाग प्रमुख, संक्रामक रोग विभाग मनपा के मुताबिक मनपा की टीम ने बाधित क्षेत्र में जाकर पीड़ितों के परिजन व आसपास के लोगों से खाद्य सामग्री के बारे में पूछताछ की है। यही सामने आया है कि सिंघाड़े के आटे से बने पदार्थ खाने के बाद ही विषबाधा हुई है। इसके क्या कारण हैं, गुणवत्ता, एक्सपायरी डेट व अन्य जरूरी पहलुओं की जांच करना अन्न व औषधि प्रशासन का काम है।
Created On :   10 March 2024 6:56 AM GMT