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कवि सम्मेलन: साहित्य ही भारत की आत्मा है : पाठक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। भगवान श्रीराम को कैकई द्वारा वनवास मिला ऐसा जनमानस में व्याप्त है, लेकिन कैकई के त्याग, प्रेम व करुणा को लोग नहीं जानते। मां कैकई कुशल रणनीतिकार, श्रेष्ठ भविष्यवक्ता, पराक्रमी योद्धा और एक आदर्श मां थीं। ऐसी अनेक जनश्रुतियों और मान्यताओं को साहित्य के माध्यम से ही सुधारा जा सकता है। साहित्य ही भारत की आत्मा है और यह आत्मा जन कल्याण के लिए निरंतर प्रयासरत है। यह विचार महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई के सदस्य अजय पाठक ने विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम साहित्यिकी के अंतर्गत कवि सम्मेलन में बतौर प्रमुख अतिथि व्यक्त किए। विशेष अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिन्हा उपस्थित थे। संचालन संयोजक डॉ. विनोद नायक तथा अतिथि स्वागत प्रा. आदेश जैन ने किया। इस अवसर पर दिवंगत साहित्यकार, समाजसेवी, शिक्षाविद डॉ. ओमप्रकाश मिश्रा व साहित्यकार माया शर्मा के पतिदेव जनकराज शर्मा को 2 मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मां सरस्वती की वंदना प्रभा मेहता ने प्रस्तुत की।
Created On :   10 Oct 2023 9:11 AM GMT