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अंधश्रद्धा: तंत्र-मंत्र के चक्कर में मारे जा रहे हैं वन्यजीव, की जा रही अंगों की तस्करी
- नागपुर प्रादेशिक में 3 साल में 240 तस्कर पकड़ाए
- बाघों की खाल, नाखून, दांत, मूंछ आदि किए जब्त
- तेंदुए, पेंगोलिन, कछुआ, दो मुंह सांप भी अंधश्रद्धा की भेंट चढ़ जाते
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बड़ी से बड़ी बीमारी को ठीक करना, पैसों की बारिश, बच्चों का होना, भूतों को भगाने जैसे दावे करने वाले मांत्रिक बाघों की खाल से लेकर विभिन्न अंगों की मांग करते हैं। सामान्य लोग इस अंधश्रद्धा की भेंट भी चढ़ते हैं। इस कारण तेजी से बाघों का शिकार हो रहा है। इनके अंगों को बाजार में बेचा जा रहा है। नागपुर प्रादेशिक विभाग के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। गत तीन साल में नागपुर वन विभाग के प्रादेशिक विभाग ने 240 तस्करों को पकड़ा है। इनके पास से बाघों की खाल, नाखून, दांत, मूंछ आदि बड़ी मात्रा में जब्त किए जा चुके हैं।
मुश्किल में वन्यजीव : विदर्भ में ताडोबा, देवलापार, पेंच, करांडला, नवेगाव-नागझिरा, बोर आदि व्याघ्र प्रकल्प हैं। यहां एनटीसीए के अनुसार 444 बाघ मौजूद हैं। जंगलों की कमी के कारण वैसे ही बाघों को यहां रहने के लिए आपस में संघर्ष करना पड़ता है। इसके अलावा शिकारियों की भी इन पर नजर है। ऊपर से अंधश्रद्धा के कारण भी बाघ तस्करों के निशाने पर होते हैं। इनकी खाल, दांत, मूंछ नाखून आदि की तस्करी की जाती है।
वन विभाग की पैनी नजर : किसी बड़ी बीमारी का इलाज, पैसों की बारिश आदि तंत्र-मंत्र के लिए बाघों के अंग उपयोग में लाए जाते हैं। ढोंगी बाबाओं की चाल में फंसकर सामान्य लोग इन वन्यजीवों के शिकार करने के लिए मोटी रकम देते हैं। तेंदुए, पेंगोलिन, कछुआ, दो मुंह सांप भी अंधश्रद्धा की भेंट चढ़ रहे हैं। वन विभाग ऐसे आरोपियों पर नजर रखे हुए हैं। योजनाबद्ध तरीके से इन्हें पकड़ा जा रहा है।
समुदाय की सक्रिय भागीदारी जरूरी : एक तथ्य जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है, वह यह है कि वन्यजीवों के अवैध शिकार को रोकने के लिए समुदाय की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। कई बार, जो लोग ऐसी गतिविधियों में भाग लेते हैं, वे हताशा में ऐसा करते हैं। विकल्पों की कमी के कारण वे इसे जीवित रहने के साधन के रूप में अपनाते हैं, जबकि उन्हें पता है कि ऐसा करना अवैध है। इसलिए, वन्यजीव अपराध को रोकने में एक महत्वपूर्ण कदम उन समुदायों का पुनर्वास करना है जो इन गतिविधियों में लिप्त हैं। बेशक, वन्यजीव-व्यापार का सबसे बड़ा कारक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और साथ ही देश के भीतर लुप्तप्राय जानवरों के अंगों की अत्यधिक उच्च मांग है। इन मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए, हमें सख्त और त्वरित कार्रवाई के साथ-साथ आम जनता के बीच वन्यजीव संरक्षण कानूनों के बारे में बेहतर जागरूकता की आवश्यकता है।
अधि कृत आंकड़े इस प्रकार हैं-
2021-22 में विभिन्न वन्यजीवों के शिकार के मामले में 79 तस्करों की पकड़ा गया।
2022-23 में 93 तस्कर वन विभाग के हत्थे चढ़े। ज्यादातर बाघ की खाल के साथ पकड़े गए।
2023-24 में तो 68 तस्कर पकड़े गए, सभी के पास वन्यजीवों के अंग मिले।
कईयों के पास जिंदा पेंगोलिन, दो मुंहा सांप और कछुए भी मिल चुके हैं, जिनकी बाजार में मांग बताई जा रही है।
Created On :   16 July 2024 12:48 PM IST