कोर्ट-कचहरी: एनडीसीसी के आरोपी सुनील केदार पर जुर्माना रखा बरकरार, कोर्ट ने राशि घटा दी

एनडीसीसी के आरोपी सुनील केदार पर जुर्माना रखा बरकरार, कोर्ट ने राशि घटा दी
  • 5 लाख का जुर्माना घटाकर किया 50 हजार
  • पूर्व मंत्री सुनील केदार और अन्य आरोपियों की जांच शुरू
  • जांच समिति ने केदार को मौखिक साक्ष्य देने का दिया आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक (एनडीसीसी) घोटाले में पैसे की वसूली के मामले में पूर्व मंत्री सुनील केदार और अन्य आरोपियों की जांच शुरू है। इस जांच समिति ने सुनवाई टालने को लेकर केदार पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इस संबंध में दायर याचिका में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने केदार पर समिति ने लगाया जुर्माना बरकरार रखा, लेकिन जुर्माने की राशि 5 लाख रुपए से घटकार 50 हजार कर दी है।

कोर्ट ने अनुरोध स्वीकारा : जांच समिति ने केदार को मामले में हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। इस पर केदार ने 1 दिसंबर 2023 को सुनवाई टालने की मांग की थी। समिति ने मांग तो मान ली, लेकिन केदार पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया, इसलिए केदार ने याचिका में जुर्माने की राशि कम करने का भी कोर्ट से अनुरोध किया था। मामले पर हुई सुनवाई में कोर्ट ने अनुरोध स्वीकार करते हुए जुर्माना घटाकर 50 हजार रुपए कर दिया। साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि, केदार को बिना किसी अहम वजह के सुनवाई टालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

मौखिक साक्ष्य पर केदार को राहत : इस मामले में सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि, जांच समिति ने केदार को मौखिक साक्ष्य देने का आदेश देकर उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित अवसर दिया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि, किसी को अपना पक्ष रखने का अवसर देना और उसे अपना पक्ष रखने के लिए मजबूर करना, दो अलग-अलग बातें हैं। साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि, कानून में मौखिक साक्ष्य देने के लिए बाध्य करने का कोई अधिकार नहीं है, इसलिए कोर्ट ने समिति का अादेश रद्द किया। कोर्ट के फैसले से सुनील केदार को मौखिक साक्ष्य देने से राहत मिली है।

यह है मामला : जांच समिति ने सुनील केदार को मौखिक साक्ष्य दर्ज कराने का आदेश दिया, लेकिन इसमें मैंने लिखित उत्तर दिया है और मैं मौखिक साक्ष्य नहीं देना चाहता, यह भूमिका अपनाते हुए सुनील केदार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक घोटाले के मामले में आरोपियों की जिम्मेदारी निर्धारित करने के लिए महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 88 के तहत जांच का आदेश दिया। उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति जे.एन. पटेल जांच अधिकारी के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक घोटाले के मामले में सुनील केदार और अन्य आरोपियों की जांच शुरू कर दी है और इस मामले में मौखिक साक्ष्य दर्ज करने का आदेश दिया है, लेकिन सुनील केदार ने स्पष्ट किया है कि, मैंने अपना जवाब लिखित रूप में दाखिल किया है और मैं मौखिक साक्ष्य दर्ज नहीं करना चाहता, इसलिए केदार ने इस मामले में जांच अधिकारी न्या. पटेल के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

Created On :   17 May 2024 8:08 AM GMT

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