लापरवाही: नागपुर शहर में सुरक्षा की दृष्टि से 1,849 इमारतें सबसे ज्यादा खतरनाक , अनदेखी पड़ सकती है भारी

नागपुर शहर में सुरक्षा की दृष्टि से 1,849 इमारतें सबसे ज्यादा खतरनाक , अनदेखी पड़ सकती है भारी
  • लापरवाही बरतने पर 72 इमारतों को सील किया
  • कई इमारतों में बिजली व जलापूर्ति बंद की
  • 5 इमारतों को लेकर न्यायालयीन कार्रवाई शुरू

डिजिटल डेस्क,नागपुर। मध्य प्रदेश के हरदा पटाखा फैक्ट्री में हादसे के बाद राज्य में पटाखा फैक्टरी, कबाड़ गोदाम सहित औद्योगिक ईकाईयों और रिहायशी इमारतों में सुरक्षा के इंतजामों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। मनपा के अग्निशमन विभाग ने 31 दिसंबर तक शहर में करीब 5,595 इमारतों का सर्वेक्षण किया है। इन इमारतों में रिहायशी इमारतें, औद्योगिक इमारतें, अस्पताल, स्टोरेज इमारतें, होटल और होस्टलों का समावेश है। 9 अग्निशमन केन्द्रों के माध्यम से सर्वेक्षण में 1,849 इमारतें सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक पायी गई हैं।

आगजनी से सुरक्षा के उपकरणों का अभाव पाया : अग्निशमन दल आग प्रतिबंधक व जीव संरक्षक उपाययोजना अधिनियम 2006 (संशोधन 2023) के तहत जर्जर और आगजनी से बचने सुरक्षा इंतजामों की कमी पाने पर तीन चरणों में कार्रवाई करता है। सर्वेक्षण में चिह्नित 1,849 इमारतों में आगजनी से सुरक्षा के उपकरणों का अभाव पाया गया है। अग्निशमन विभाग ने पहले चरण में अधिनियम की धारा 5 के तहत करीब 1286 इमारतों को खाली करने के लिए नोटिस दिया है। दूसरे चरण में धारा 6 के तहत बिजली और जलापूर्ति बंद करने को लेकर 821 इमारतों पर कार्रवाई की है। करीब 162 इमारतों को खाली कराने व सील करने के लिए पुलिस विभाग को सूचना दी है, जबकि औद्योगिक इलाकों में सुरक्षा इंतजामों को लेकर लापरवाही बरतने पर 60 इमारतों सहित कुल 72 इमारतों को सील कर दिया है। करीब 5 इमारतों को लेकर न्यायालयीन कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

उपराजधानी में घटित हुए दर्द भरे हादसे

28 मई 2006 में ग्रेट नाग रोड परिसर में कबाड़ी शाम लोखंडे की तीन मंजिला इमारत में आग लग गई थी। तलघर में जमा कबाड़ में सिलेंडर में विस्फोट होने 1 फायरकर्मी रमेश ठाकरे समेत 8 लोगों की मौत हुई थी। इस इमारत में प्लास्टिक समेत कबाड़ में आग पर काबू पाने के लिए करीब तीन दिन तक अग्निशमन दल को मशक्कत करनी पड़ी थी। इमारत में कबाड़ और पुराने प्लास्टिक जमा होने के साथ अग्निशमन उपकरण तक नहीं थे।

19 जनवरी 2000 को चॉक्स कालोनी कामठी रोड पर सिलेंडर विस्फोट की घटना हुई थी। घर में गैस लीकेज के चलते आगजनी की वारदात में बचाव कार्य में दो फायर कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे, इनमें से अग्निशमन दल के कर्मचारी प्रभुु कुहीकर को जान गंवाना पड़ी थी।

प्रवेश कोल्ड स्टोरेज की इमारत ढ़ही : 30 जनवरी 2012 को कलमना परिसर में प्रमोद खंडेलवाल के प्रवेश कोल्ड स्टोरेज के रूप में अवैध रूप से निर्माणकार्य किया था। इमारत के पिलर नियमानुसार नहीं होने से इमारत बोझ सहन नहीं कर पाने से ढह गई थी। इमारत के ढहने से 14 मजदूरों की मौत और 18 मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। आग बुझाने के बाद राहतकार्य और मलबा हटाने में 8 दिन लग गए थे।

587 इमारतों की सूची एनएमआरडीए को भेजी : मनपा के अग्निशमन दल ने शहर में रिहायशी, व्यावसायिक इमारतों की खतरनाक और असुरक्षित इमारतों की सूची बनाई है। इस सूची में 587 इमारतों को मनपा के बाहरी महानगर विकास प्राधिकरण के हवाले होने से स्थानांतरित किया गया है। शहर के लकड़गंज, घाट रोड और कमाल चौक इलाके में करीब 572 सॉ मिल, शहर के बाहरी इलाकों में 200 जिनिंग फैक्टरी मौजूद हैं। टायर निर्माण कारखाने, आईल इंडस्ट्रीज और काजग निर्माण के छोटे यूनिट भी औद्योगिक क्षेत्र में मौजूद हैं। शहर में स्थायी रूप से करीब 12 से अधिक पटाखा दुकानें हैं, लेकिन इन दुकानों के साथ पटाखा रखने के गोदाम में अग्निशमन सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं।

आटोमेटिक फायर फाइटिंग सिस्टम जरूरी : पटाखा निर्माण यूनिट, कबाड़ गोदाम समेत अन्य गाेदामों और कारखानों में अागजनी से सुरक्षा को लेकर विशेषज्ञ मानते हैं कि, नई तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए। अक्सर कारखानों और गोदामों में आगजनी होने पर धुंआ फैलने से आपदा प्रबंधन बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में भीतर फंसने से नागरिकों और फायर कर्मचारियों को भी जान गंवाना पड़ती है। अागजनी से सुरक्षा के लिहाज से आटोमेटिक फायर फाइटिंग सिस्टम को लगाने की सलाह दी जा रही है। इस व्यवस्था में फैक्ट्री और गोदाम के बंद इलाकों में छत के साथ स्मॉग एंड फायर डिटेक्शन यूनिट के साथ स्प्रिंगलर सिस्टम को जोड़ा जाता है। ऑटो स्टार्ट अप पंप के माध्यम से आगजनी होते ही स्प्रिंगलर से पानी के प्रवाह को समय रहते छोड़ने से आग पर काबू पाने के साथ ही स्मॉग यानि धुंए को रोका जा सकता है। अत्याधुनिक तकनीक से आपदा प्रबंधन से अग्निशमन दल के पहुंचने तक जन और धन हानि को रोका जा सकता है।

निकिता फार्मास्युटिकल्स में बॉयलर फूटा : 2 दिसंबर 2016 को पीली नदी परिसर में वांजरा ले-आउट के निकिता फार्मास्युटिकल्स में बॉयलर में विस्फोट के बाद आग लग गई थी। इस आग बुझाने और राहतकार्य में तीन दिन तक अग्निशमन विभाग को मशक्कत करनी पड़ी थी। इस हादसे में 9 मजदूरों की मौत हुई और 12 मजदूर एवं कर्मचारी घायल हो गए थे। रसायनिक केमिकल वाला बॉयलर फूटने के बाद तीन दिन तक राहत कार्य करना पड़ा था।

हर साल सर्वेक्षण और कार्रवाई : हर साल शहर में अग्निशमन विभाग के कर्मचारी सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक इमारतों का सर्वेक्षण करते हैं। आगजनी से सुरक्षा के इंतजाम की कमी, जर्जर इमारतें और अग्निशमन विभाग की नियमावली का पालन नहीं करने को लेकर नोटिस भी जारी होता है। तीन स्तर पर इमारतों के मालिकों और निवासियों पर कार्रवाई की जाती है। -बी.पी. चंदनखेड़े, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, मनपा

Created On :   9 Feb 2024 1:51 PM IST

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