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कोर्ट-कचहरी: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे उपचुनाव में देरी पर उठाए सवाल
- अदालत ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
- 11 दिसंबर तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो अदालत सुनाएगा फैसला
- सांसद गिरीश बापट की मृत्यु से पुणे लोकसभा की सीट खाली
डिजिटल डेस्क , मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग के पुणे उपचुनाव में देरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि चुनाव आयोग से 11 दिसंबर तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो अदालत अपना फैसला सुनाएगा। अदालत ने चुनाव आयोग से पुणे उप चुनाव में देरी पर जवाब मांगा है। भाजपा सांसद गिरीश बापट की मृत्यु के बाद यह सीट खाली हुई है।
न्यायमूर्ति गौतम एस.पटेल और न्यायमूर्ति कमल आर.खट्टा की खंडपीठ पुणे निवासी सुघोष जोशी की ओर से अदालत में याचिका दायर की गयी है, जिसमें चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव न कराने के निर्देश जारी करने को चुनौती दी गई है। इस पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि वह प्रथम दृष्टया चुनाव आयोग के इस तर्क से असहमत है कि उपचुनाव विजेता के पास केवल एक छोटा कार्यकाल होगा और यह चुनाव 2024 के आम चुनाव की तैयारियों को प्रभावित करेगा। खंडपीठ ने इस पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि यदि चुनाव आयोग से संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो अदालत 11 दिसंबर को आदेश जारी करेगी।
याचिका में दावा किया गया है कि पुणे निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के पास अब संसद में कोई आवाज नहीं है। यहां मेट्रो और हवाई अड्डे के निर्माण कार्यों में देरी के साथ-साथ शहर के चांदनी चौक क्षेत्र में यातायात जैसे स्थानीय कई मुद्दें हैं, जिन्हें संसद में उठाए जा सकते हैं। शहर और नागरिकों के लिए लड़ने के लिए कोई प्रतिनिधि नहीं हैं। ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दल मतदाताओं का सामना नहीं करना चाहते हैं। चुनाव आयोग लोकतंत्र को सक्षम और मजबूत करने के लिए एक स्वतंत्र निकाय के रूप में मौजूद है। मार्च में उपचुनाव कराने का भरपूर मौका था. जोशी ने बताया कि चुनाव आयोग ने अगस्त में सात विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा की थी, लेकिन पुणे लोकसभा सीट के लिए नहीं।
Created On :   9 Dec 2023 1:25 PM IST