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Nagpur News: पत्र का जवाब न देना महंगा पड़ा, कोर्ट ने जताई नाराजगी

- 5 विभागों पर 5-5 हजार का जुर्माना
- नागपुर-काटोल हाई-वे पर सड़क निर्माण से जुड़ा मामला
Nagpur News नागपुर-काटोल हाई-वे पर सड़क निर्माण कार्य पिछले 6 महीने से रुका होने से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले में कोर्ट द्वारा जारी नोटिस के बाद सरकारी वकील ने संबंधित प्रतिवादी विभागों से पत्राचार करते हुए उनकी जानकारी मांगी थी, लेकिन पत्राचार का कोई जवाब नहीं दिया गया। प्रतिवादियों द्वारा की जा रही इस देरी पर कोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए कुल पांच विभागों के अधिकारियों पर जुर्माना लगाया। कोर्ट के आदेश के अनुसार, वन विभाग के प्रधान सचिव, लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, उप वन संरक्षक नागपुर और काटोल के रेंज वन अधिकारी को पांच-पांच हजार रुपए कोर्ट में जमा करना है।
यह है पूरा मामला : काटोल निवासी दिनेश शेषराव ठाकरे और सुमित अजय बाबुटा ने नागपुर खंडपीठ में यह जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका के अनुसार, एनएचएआई ने नागपुर-काटोल मार्ग को फोर लेन में बदलने का कार्य शुरू किया है। इसके तहत, काटोल क्षेत्र में 13 किमी से 62.9 किमी तक के सड़क निर्माण कार्य के लिए दो कंपनियों से अनुबंध किया गया। यह अनुबंध सितंबर 2021 में अग्रवाल ग्लोबल इन्फ्राटेक प्रा. लि. और मेसर्स जॉइंट स्टॉक इंडस्ट्रियल कंपनी एसोसिएशन के साथ किया गया है। लेकिन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने फोर लेन सड़क निर्माण के लिए वन क्षेत्र को स्थानांतरित करने की अनुमति देने में देरी की, जिससे यह परियोजना अधर में लटक गई। साथ ही अनुबंध की अवधि समाप्त होने के बाद ही उन्होंने यह प्रक्रिया पूरी की, जिससे निर्माण कार्य समय पर पूरा नहीं हो सका। नतीजतन, पिछले 5-6 महीनों से निर्माण और विकास कार्य अनावश्यक रूप से रुका पड़ा है। इस सड़क का निर्माण कार्य 3 महीने में पूरा करने और परियोजना में देरी के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के निर्देश जारी करने मांग याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से की है।
प्रत्यक्ष हाजिर रहने के आदेश : पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दायर करने के आदेश दिए थे। इसके चलते सरकारी वकील ने उक्त संबंधित प्रतिवादियों से पत्रचार करते हुए नोटिस जारी होने की जानकारी दी, तथा मामले के संबंधित अन्य जानकारी मांगी थी। बुधवार को हुई सुनवाई में खुद सरकारी वकील ने कोर्ट के बताया कि, उनके पत्राचार पर प्रतिवादियों से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए उक्त आदेश जारी किए। साथ ही कोर्ट ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को अगली सुनवाई में प्रत्यक्ष हाजिर रहने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. महेश धात्रक और एनएचएआई की ओर एड. अनिश कठाने ने पैरवी की।
मार्ग पर दिशा सूचक बोर्ड लगाए गए : इस मार्ग पर सड़क मोड़ते समय रेडियम कार्ड न लगाने की वजह से वाहनों के दुर्घटनाएं हो रही हैं। इससे हाई-वे पर चलने वाले नागरिकों की जान खतरे में पड़ रही है, ऐसा आरोप याचिका में लगाया गया है। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने एनएचएआई को तत्काल दिशा सूचक बोर्ड लगाने के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश के अनुसार एनएचएआई ने अनुपालन रिपोर्ट दायर करते हुए इस मार्ग पर रेडियम और डायवर्जन बोर्ड लगाने की जानकारी दी।
Created On :   24 April 2025 12:07 PM IST