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Nagpur News: पहलगाम हमला , घायल सिमरन को कभी कंधे पर, घसीटते हुए 8 किलोमीटर दूर तक लाए

- रुपचंदानी परिवार की दर्द भरी दास्तां
- बेटे की ख्वाहिश पूरी करने गए थे घूमने
Nagpur News प्रशांत बहादुरे . पहलगाम में हुए आतंकी हमले में नागपुर के जरीपटका निवासी व्यापारी तिलक रुपचंदानी और उनका परिवार बाल-बाल बचा। तिलक की मां देवी ने बताया कि उनके पोता गर्व (17) ने कक्षा 11वीं की परीक्षा दी है। गर्मियों की छुट्टियां लगने पर गर्व ने कहीं घूमने की इच्छा माता-पिता तिलक और सिमरन को बताई थी। इकलौते पुत्र की ख्वाहिश पूरी करने के लिए तिलक और सिमरन ने वैष्णोदेवी और पहलगाम घूमने की योजना बनाई थी। 16 अप्रैल को तीनों ट्रेन से गए। 27 को उनकी वापसी का टिकट है। वैष्णोदेवी के जाने के बाद फोन पर देवी की उनसे बात होती रही। आखिरी बार 17 तारीख की रात में बात हुई। उस वक्त तिलक ने बताया था कि अभी वे लोग पहलगाम जाने वाले हैं। वहां पर शायद फोन नहीं लगेगा। इसके बाद देवी की उनसे बात नहीं हुई।
मामा पहुंचे : जरीपटका में ही तिलक के मामा टिकमदास वासवानी रहते हैं। वह सुबह ऑफिस पहुंचे तो अखबारों में तिलक और उसके परिवार के पहलगाम में फंसे होने की खबर पढ़कर देवी के घर पहुंचे। तिलक से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
वापसी का इंतजार : मंगलवार को टीवी पर पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले की खबर चलने लगी। वहीं पर बेटा, बहू और पोता के होने से मां देवी परेशान हो गईं। कुछ देर बाद टीवी पर बहू-बेटे व पोते को सलामत देख उनकी जान में जान आई। पैर फ्रैक्चर होने से सिमरन से चलना नहीं हो रहा था। पहाड़ी से छलांग लगाने के क्रम में यह हादसा हुआ। वे बता रहे थे कि जान बचाने की जुगत में तिलक और गर्व करीब 7 से 8 किमी तक पहाड़ी रास्तों से सिमरन को कभी खींचकर तो कभी कंधे पर उठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे। यह सुनकर देवी ने राहत की सांस ली, लेकिन उन्हें देखने के लिए देवी व्याकुल हो गईं, मगर चाह कर भी उनसे संपर्क नहीं कर पाईं। वहां के हालात ठीक नहीं होने से परिवार के सदस्य भी वहां पर नहीं जा पाए। अब उनकी वापसी का बेसब्री से इंतजार है। मंगलवार की रात देवी सो नहीं पाईं। जल्द से जल्द उनके सकुशल घर लौटने की प्रार्थना करती रहीं।
Created On :   24 April 2025 1:10 PM IST