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परंपरा: दैनिक भास्कर गरबा प्रशिक्षण: नृत्य की खूबसूरती है पारंपरिक गरबा
- प्रशिक्षण में भाग लेने वालों में भारी उत्साह
- 10 बैच में प्रशिक्षण दिया जा रहा
- विशेष आकर्षण डाकल (डमरू) का प्रयोग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। गरबा नृत्यशैली बेहद खूबसूरत और दर्शनीय है। इसका संगीत निराला व अपने आप में बेहद खास है। यह ईश्वर की पूजा का एक प्रकार है, इसलिए इस नृत्यशैली में किसी और शैली के नृत्य का मिश्रण नहीं किया जाना चाहिए। रंगमिलन पिछले करीब 70 वर्षों से इस परंपरा काे कायम रखकर देशभर में लोगों को गरबा का प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। रंगमिलन की स्थापना अहमदाबाद में सूर्यकांत शिकारी ने की थी। उनके पुत्र गौतम शिकारी व अब फेनिल शिकारी परंपरागत गरबा नृत्य शैली के प्रचार प्रसार में जुटे हैं। यह कहना है नृत्य गुरु राजेंद्र शिकारी का।
डाकल के प्रयोग से नयापन इस बार दैनिक भास्कर गरबा का विशेष आकर्षण डाकल (डमरू) का प्रयोग रहने वाला है। नृत्य गुरु फेनिल शिकारी ने बताया कि डमरू, झांज और पारंपरिक वाद्ययंत्रों का उपयोग कर गरबा खेला जाएगा। इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। रोजाना 2-2 गानों पर नए-नए आइटम तैयार किए जा रहे हैं। गरबा प्रशिक्षण के लिए 9 कलाकार (कोरियोग्राफर) की टीम तैयार की गई है। यह कलाकार रोज नए आइटम का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
इनका है सहयोग : दैनिक भास्कर द्वारा आयोजित गरबा प्रशिक्षण कार्यशाला मुख्य प्रायोजक केसर लैंड्स प्रा. लि., सह प्रायोजक आदित्य अनघा मल्टी स्टेट क्रेडिट को-ऑप सोसाइटी, स्वादिति प्रिमियम एंड अरोमैटिक, कुकरेजा इंफ्रास्ट्रक्चर एंव सुंदर बिस्किट्स एंड नमकीन, मोबिलिटी पार्टनर बिगविग हुंडई, बेवरेज पार्टनर पेप्सी, हैपिनेस पार्टनर केक लिंक्स, ज्लेवरी पार्टनर पारेख आरवी ज्वेलर्स एवं केबल पार्टनर इन बीसीएन न्यूज के सहयोग से किया जा रहा है।
10 बैच में प्रशिक्षण : वर्कशॉप दो श्रेणी में किया गया है। सुबह 8.30 से रात 9 बजे तक 10 बैच में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दोपहर 3 से 4 बजे तक व 4.15 से अपराह्न 5.15 बजे तक महिलाओं के लिए विशेष लेडिज बैच की व्यवस्था की गई है। शेष 8 बैच सभी वर्ग के लिए हैं, जिसमें महिला-पुरुष व बच्चे शामिल हैं।
Created On :   6 Oct 2023 2:22 PM IST