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नागपुर: नीरी के पूर्व डायरेक्टर सस्पेंड, फर्जी रिसर्च और आर्थिक अनियमितताओं के मामले में कार्रवाई
- योग्य स्टॉफ की जगह अपने रिश्तेदारों को प्राथमिकता
- जांच में आरोप साबित होने पर मुख्यालय में अटैच किया था
डिजिटल डेस्क, नागपुर. नीरी में फर्जी रिसर्च करने अौर अपने पद का गलत इस्तेमाल कर अपने ही रिश्तेदारों को नौकरी पर रखने के मामले में नीरी के तत्कालीन डायरेक्टर डाॅ. राकेश कुमार को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंड्रस्टियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने निलंबित कर दिया। कुछ महीनों की लंबी जांच के बाद यह कदम उठाया गया। जांच में कई अन्य तरह की अनियमितताएं भी उजागर हुई हैं। हालांकि इस निलंबन के खिलाफ डॉ. राकेश कुमार ने सेंट्रल एडमिनिस्टेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में अपील की है।
कई गंभीर आरोप लगे थे
नीरी नागपुर के डायरेक्टर रहते हुए डॉ. राकेश कुमार पर कई तरह के गंभीर आरोप लगे थे। इसकी शिकायत लंबे समय से साइंटिफिक एंड इंड्रस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) में की जा रही थी। इस मामले में सीएसआईआर ने एक जांच भी की। कई महीनों तक चली इस जांच में कुछ अनियमितताएं सामने आईं। इसमें डॉ. राकेश पर आरोप था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐसे रिसर्च पर भुगतान करवाए जो हुई ही नहीं थी। केवल उनकी योजनाएं बनी कागज तैयार किए और रिसर्च के नाम पर खानापूर्ति की गई। विभाग में करोड़ों की हेरा-फेरी हुई, जिसके खर्चों पर आपत्ति भी ली गई थी।
योग्य स्टॉफ की जगह अपने रिश्तेदारों को प्राथमिकता
जांच में यह भी समाने आया कि नीरी में योग्य उम्मीदवारों की जगह कई तरह के कामों में अपने रिश्तेदारों को प्राथमिकता दी गई। इसके लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए गए, जिसकी सिलसिलेवार जानकारी विभाग को दी गई थी।
जांच में आरोप साबित होने पर मुख्यालय में अटैच किया था
डॉ. राकेश कुमार पर एक बड़ा आरोप यह था कि उन्होंने नीरी में कई पदों पर पहले वैकेंसी निकाली, इसके बाद इंटरव्यू में अपने लोगों, जिसमें दूर के रिश्तेदार और परिचित शामिल थे, को नौकरी दी गई। नीरी में शिकायतों की जांच में आरोप सिद्ध होने पर उन्हें नागपुर से सीएसआईआर दिल्ली मुख्यालय में अटैच किया गया था।
नीरी जैसे संस्था में अपने रिश्तेदारों को नौकरी दी
रिसर्च के नाम पर डमी कंपनियों को भुगतान किया
करोड़ों की अनियमितता का आरोप
अपने निलंबन के खिलाफ कैट में अपील की
रिटायर होने के ठीक पहले निलंबित किया : डॉ. कुमार के खिलाफ उनका ही स्टॉफ खुलकर सामने आया था। कुछ ने तो अपने नाम के साथ शिकायत की थी तो कुछ जांच में अधिकृत रूप से शामिल हुए थे। पूरे मामले में खास बात यह है कि डॉ. कुमार कुछ दिन पहले ही रिटायर होने वाले थे कि उन्हें विभाग ने निलंबित कर दिया।
डॉ. कुमार ने कार्रवाई के खिलाफ चुप्पी साधी : डाॅ. कुमार अपने निलंबन के खिलाफ कैट में अपील करने पहुंचे, जहां सीएसआईआर को जवाब पेश करने के लिए नोटिस दिया गया है। उन्हें अपना जवाब देने के लिए 30 अप्रैल 2024 तक का समय दिया गया था। इस मामले में दैनिक भास्कर ने डॉ. राकेश कुमार का पक्ष जानना चाहा मगर उन्होंने कई जवाब नहीं दिया।
Created On :   29 April 2024 5:25 PM IST