सेहत: बच्चों में बढ़ रहा है फैटी लिवर बीमारी का खतरा , खानपान का असर

बच्चों में बढ़ रहा है फैटी लिवर बीमारी का खतरा , खानपान का असर
  • मेडिकल हास्पिटल में उपचार के लिए आ रहे बच्चे
  • बच्चों में 5 फीसदी में फैटी लिवर रोग का असर
  • 10 से 18 आयु वर्ग के बच्चे फैटी लिवर की समस्या से पीड़ित

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेडिकल में उपचार के लिए आने वाले बच्चों में 5 फीसदी में फैटी लिवर रोग का असर होता है। यहां की ओपीडी में हर रोज औसत 40 बच्चे जांच व उपचार के लिए आते हैं। इनमें से 10 से 18 आयु वर्ग के 2 बच्चे फैटी लिवर की समस्या से पीड़ित होते हैं।

यह हैं कारण : फैटी लिवर के अनेक कारण होते हैं। बच्चों का अधिक वजन होना, मोटापा, कमर के आसपास का हिस्सा बढ़ जाना, रक्त में वसा का स्तर अधिक होना, बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 85 फीसदी से अधिक होना, पेट के चारों ओर वसा का जमा होना, नींद के दौरान सामान्य तरीके से सांस लेने में परेशानी, फैमिली हिस्ट्री होने आदि कारणों से फैटी लिवर का खतरा बना रहता है।

जीवनशैली में बदलाव जरूरी : बताया गया कि बच्चों में फैटी लिवर की समस्या न के बराबर होती है। फिर भी इसे लेकर सावधान रहना जरूरी है। इसके प्रारंभिक लक्षण में पेट के दाहिने हिस्से में दर्द होना, थकान व कमजोरी महसूस होना, पीलिया होना, रक्त में लिवर एंजाइम का स्तर अधिक होना, सांस लेने में तकलीफ आदि फैटी लिवर के लक्षण होते हैं। फैटी लिवर रोग का परीक्षण करने के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है। इसके अलावा एमआरआई, एमआरई, वीसीटीई आदि जांच कराई जाती है। फैटी लिवर रोग को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा जीवनशैली में बदलाव व खानपान पर ध्यान देना जरूरी है। पौष्टिक आहार, शारीरिक श्रम, कसरत आदि के चलते फैटी लिवर से बचा जा सकता है। विशेषज्ञ के अनुसार फैटी लिवर को गंभीरता से लेना जरूरी है। माता-पिता द्वारा बच्चों की इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए।

Created On :   9 July 2024 10:40 AM GMT

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