नागपुर: पेट्रोल में मिले इथेनॉल का बन रहा पानी, दोपहिया चालक इस बात से हो रहे हैं परेशान

पेट्रोल में मिले इथेनॉल का बन रहा पानी, दोपहिया चालक इस बात से हो रहे हैं परेशान
  • बरसात में बढ़ जाती है वाहन चालकों की परेशानी
  • वाहन चालकों का हजारों और पंप संचालकों को लाखों का नुकसान
  • 15 से 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाती है पेट्रोलियम कंपनियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम कंपनियों को ईंधन में 15 से 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने की छूट दी है। पेट्रोल पंप पर मिलनेवाले पेट्रोल और डीजल में इथेनॉल मिला होता है। इथेनॉल मिलाने से पेट्रोलियम कंपनियों और सरकार तो फायदा मिल रहा है, लेकिन बरसात के दिनों में आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। बरसात में अक्सर बाइक्स के फ्यूल टैंक में पानी चला जाता है। पानी के संपर्क में आने के बाद पेट्रोल में मिलाए गए इथेनॉल का भी पानी बन जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार पेट्रोल टैंक में यदि 2 बूंद भी पानी हो तो उसके संपर्क मे आने के बाद टैंक में मौजूद पूरा इथेनॉल पानी बन जाता है। 1 लीटर पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिला होता है। वह जितने भी बार गाड़ी में ईंधन भरेगा इथेनॉल का पानी बनता जाता है। यहीं कारण है कि बरसात के मौसम में वाहनों के फ्यूल टैंक में पानी भर जाता है। पानी के कारण वाहन बार-बार बंद होता है।

वाहन चालकों का हजारों और पंप संचालकों को लाखों का नुकसान

पेट्रोल में इथेनॉल की मिलावट वाहन चालकों के साथ ही पेट्रोलपंप संचालकों के लिए भी परेशानी का सबब बन गई है। इससे हर साल वाहन चालकों का हजारों रुपए और पेट्रोल पंप संचालकों को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। विदर्भ पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित गुप्ता ने बताया कि पानी के संपर्क में आने से इथेनॉल का भी पानी बन जाता है। पेट्रोलियम कंपनियों के डिपो में ईंधन में इथेनॉल की मिलावट की जाती है। शहर में जारी विकास कार्यों के कारण रोड उंचे हो चुके है। बारिश के मौसम में कई बार पेट्रोल पंप तक पानी में डूब जाते हैं। बारिश का पानी पेट्रोल की टंकी में जाने के बाद सैंकडो लीटर ईंधन का पानी बन जाता है। इससे पंप संचालकों को लाखों रुपए का नुकसान वहन करना पड़ता है।

क्या होते हैं नुकसान

फ्यूल टैंक में बरसात का पानी जाने से कई नुकसान होते हैं। दरअसल पानी इंजन में जाता है तो यह जंग पैदा करता है जिससे इंजन में मौजूद पिस्टन रिंग जैसे पार्ट्स को काफी नुकसान पहुंचता है। इसके साथ ही पानी फ्यूल टैंक में जाने के बाद ईंधन से मिल जाता है जिसके बाद बाइक की परफॉर्मेंस भी कम हो जाती है और यह कम पावर के साथ माइलेज भी कम देती है। इतना ही नहीं बारिश का पानी फ्यूल टैंक में जाने के बाद इंजन बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है और इससे बाइक स्टार्ट भी नहीं होती है। इसके अलावा फ्यूल टैंक में लंबे समय तक पानी रहने से इंजन को सीज भी करवा सकता है।

बीएस6 मानक के वाहनों में ज्यादा तकलीफ

दोपहिया मैकेनिक श्याम सोनवानी ने बताया कि बरसात के मौसम में दोपहिया शुरू न होने, वाहन बार-बार बंद होने जैसे समस्याएं लेकर कई वाहन आते हैं। बीएस6 मानक वाले वाहनों में यह समस्या ज्यादा आती है। इसे बनाने में खर्च भी ज्यादा लगता है, जबकि पुराने वाहनों में फ्यूल टैंक के ढक्कन से पानी जाता है, लेकिन यह वाहन कम खर्च में बनकर तैयार हो जाते हैं।

क्या हैं बचने के उपाय

बरसात की स्थिति में कोशिश करना चाहिए की बाइक को बाहर न निकालें। इसके अलावा बाइक के फ्यूल टैंक का ढक्कन अच्छी तरह से बंद रखें। साथ ही इसे हमेशा चेक करते रहना चाहिए। फ्यूल कैप की भी नियमित रूप से जांच करनी चाहिए। पानी जाने की स्थिति में बाइक को त्वरित रूप से मैकेनिक के पास ले जाएं।

Created On :   25 July 2024 4:44 PM GMT

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