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राहत: पेंच अभयारण्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष में आई कमी, उपाय योजना के प्रयास सफल
- 6 साल में सिर्फ 4 घटनाएं हुईं
- टीम लगा रही गश्त, गतिविधियों पर नजर
- जनजागरण का भी हुआ असर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जंगलों के आस-पास गांव रहने से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए पेंच व्याघ्र प्रकल्प में ग्राम निवासियों के लिए चलाई जा रही उपाय योजनाएं व मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए बनाई गई टीम के कारण गत 6 साल में पेंच टाइगर रिजर्व में इन घटनाओं में कमी आई है। केवल 4 बार मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति आई है, जिसमें एक की मौत, वहीं 3 लोग जख्मी हुए हैं।
योजनाओं का सकारात्मक परिणाण : पेंच व्याघ्र प्रकल्प कुल 789 वर्ग किमी में फैला हुआ है। यहां कुल 8 से 10 जंगल बीट हैं, जिनमें 39 गांव बसे हैं। इनमें सिल्लारी, पिपरिया, घाटकानद्री, सुरेवानी, आवडेघाट आदि शामिल हैं। जंगल क्षेत्र होने से यहां हिरण, चौसिंघा, नीलगाय, जंगली सुअर से लेकर तेंदुआ व बाघों का निवास है। उक्त सभी गांव निवासी खेती पर निर्भर हैं।
जंगल में लकड़ियों से लेकर महुआ फूल व तेंदूपत्ता के लिए आते-जाते रहते हैं। इसके कारण आए दिन मानव-वन्यजीव की स्थिति पैदा हो रही थी। इसे रोकने के लिए वर्ष 2019 से वन विभाग ने कई नई योजनाएं शुरू की हैं, जिसमें ग्राम निवासियों को रोजगार उपलब्ध करने से लेकर गांव का तेजी से विकास किया जा रहा है। परिणाम स्वरूप गत 6 साल में केवल 4 घटनाएं हुई हैं। इसमें वर्ष 2019-20 में 2 लोग जख्मी हुए हैं, वहीं वर्ष 2021-22 में किसी तरह मानव व वन्यजीवों में संघर्ष नहीं हुआ है। वर्ष 2023 में एक व्यक्ति की मौत हुई, वहीं वर्ष 2024 में 1 किसान वन्यजीव के हमले में घायल हुआ है। इसके अलावा किसी तरह की कोई घटना सामने नहीं आई है।
विभिन्न टीम सक्रिय : मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए पेंच व्याघ्र प्रकल्प में प्राइमरी रिस्पॉन्स टीम, क्विक रिस्पॉन्स टीम व रैपिड रेस्क्यू टीम बनाई गई है। इन टीमों में ग्रामवासी युवकों को ही लिया गया है, जिन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। कहीं भी वन्यजीव व मानवों का आमना-सामना होने की स्थिति उत्पन्न होने पर यह टीम मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाल लेती है, जिससे वन्यजीव भी सुरक्षित रह रहे हैं, साथ ही इंसानों को भी किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है।
Created On :   1 March 2024 2:46 PM IST