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बैन है नायलॉन मांजा: प्रतिबंधित नायलॉन मांजा की हो रही बिक्री, सरकार को कोर्ट ने लगाई फटकार
- पुलिस उपायुक्त ने कोर्ट को बताया, गुजरात, यूपी से शहर में आ रहा मांजा
- मुख्य सचिव को आदेश, कहा- उचित कदम उठाएं
- दूसरे राज्यों से आने वाले मांजा पर लगाएं रोक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में प्रतिबंध के बावजूद खुलेआम नायलॉन मांजे की बिक्री और इस्तेमाल किया जा रहा है। नायलॉन मांजा बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध पर प्रभावी अमल नहीं होने पर बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने सरकार को जमकर फटकार लगाई। साथ ही नायलॉन मांजे की ऑनलाइन बिक्री पर सवाल उठाया। सुबह कोर्ट ने फटकार लगाने के बाद कोर्ट ने दोपहर की सुनवाई में पुलिस उपायुक्त को हाजिर रहने के आदेश दिए। कोर्ट के आदेश के पर आर्थिक विभाग के पुलिस उपायुक्त अर्चित चांडक कोर्ट में हाजिर होकर बताया कि, नागपुर और पूरे महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा नायलॉन मांजा गुजरात और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से अा रहा है।
अगली सुनवाई 9 जनवरी को : नागपुर खंडपीठ ने नायलॉन मांजा प्रकरण में सुमोटो जनहित याचिका दायर की है। मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। न्यायालय मित्र एड. देवेन चौहान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, नायलॉन मांजा (सिंथेटिक), कृत्रिम अथवा बारीक कांच से तैयार किए गए मांजे के इस्तेमाल, उत्पादन, बिक्री, भंडारण पर राज्य सरकार के पर्यावरण विभाग ने स्पष्ट तौर पर प्रतिबंध लगाया है, फिर भी नागपुर शहर में नायलॉन मांजा की खुलेआम बिक्री की जा रही है। इसका मतलब प्रभावी अमल करने में प्रशासन पूरी तरह असफल हो रहा है। इस मामले में गंभीरता से दखल लेकर कोर्ट ने सरकार को उचित कदम उठाने के आदेश दिए। मनपा की ओर से एड. जेमिनी कासट और प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से एड. सान्याल ने पैरवी की। कोर्ट ने इस मामले पर मंगलवार 9 जनवरी को अगली सुनवाई रखी है।
प्रशासन नहीं कर रहा काम : न्यायालय मित्र एड. चौहान ने पक्ष रखते हुए कहा कि, आज भी लक्की काइट सेंटर, जीओ मार्ट आदि ऑनलाइन वेबसाइट पर नायलॉन मांजे की खुलेआम बिक्री हो रही है। इतना ही नहीं, बाहरी राज्यों से नायलॉन मांजा ट्रान्सपोर्ट किया जा रहा है, लेकिन साइबर सेल द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। नायलॉन मांजा से संबंधित हमने अब तक जो भी कोर्ट को जानकारी दी बस उतनी ही प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई, लेकिन इस मामले में प्रशासन खुद कोई काम नहीं कर रहा है।
आॅनलाइन ‘डमी’ नाम से मांजे की बिक्री : नायलॉन मांजा की आॅनलाइन बिक्री पर जवाब देते हुए पुलिस उपायुक्त अर्चित चांडक ने कोर्ट को बताया कि, नायलॉन मांजा खरीदने के लिए ऑनलाइन वेबसाइट को इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन ऑनलाइन नायलॉन नाम से वो मांजा नहीं मिलता। फिशिंग या और कोई डमी नाम से मांजा की बिक्री की जा रही है, इसलिए ऑनलाइन बिक्री करने वाली वेबसाइट पर कार्रवाई करने में दिक्कत हो रही है।
शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश : इस मामले में हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिए कि, महाराष्ट्र राज्य के सीमा से सटे राज्यों से नायलॉन मांजा न आए, इसके लिए उचित कदम उठाएं। साथ ही इस मुद्दे पर दूसरे राज्याें से चर्चा करें और शपथपत्र दायर करने का आदेश कोर्ट ने दिया है।
Created On :   6 Jan 2024 6:37 PM IST