हाईकोर्ट: अदालत ने मांगा स्पष्टीकरण - मनपा की जमीन पर लोक निर्माण विभाग को अनुमति कैसे

अदालत ने मांगा स्पष्टीकरण - मनपा की जमीन पर लोक निर्माण विभाग को अनुमति कैसे
  • खेल का मैदान पार्क में तब्दील करने का मामला
  • हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण

डिजिटल डेस्क, नागपुर. अमरावती के राधानगर इलाके स्थित खेल का मैदान पार्क में तब्दील करने का दावा करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले में गुरूवार को हुई सुनवाई में मनपा की मालकी के इस खुले मैदान पर लोक निर्माण विभाग के माध्यम से सौंदर्यीकरण का काम किए जाने की बात सामने आई। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि, जब मनपा की अपनी व्यवस्था है, तो लोक निर्माण विभाग को किस नियम के तहत सौंदर्यीकरण की अनुमति दी गई है। साथ ही कोर्ट ने इस संदर्भ में अमरावती के जिलाधिकारी को एक सप्ताह में स्पष्टीकरण दायर करने के आदेश दिए है।

नागपुर खंडपीठ में बालू भुयार ने यह जनहित याचिका दायर कर दावा किया कि सौंदर्यीकरण के नाम पर राधानगर में प्रगति स्कूल के पास 4 हजार 760 वर्ग मीटर के इस मैदान का स्वरूप बदलने की कोशिश की जा रही है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मनपा आयुक्त और लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता को इस मैदान का संयुक्त तौर पर निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। साथ ही कोर्ट ने मौखिक निर्देश दिया था कि सौंदर्यीकरण करें लेकिन मैदान का अस्तित्व खत्म न करें। मामले पर गुरूवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई।

तब कोर्ट में जानकारी दी गई कि, मनपा की मालकी के इस खुले मैदान पर लोक निर्माण विभाग द्वारा विधायक निधि से सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि, किस अधिनियम के तहत लोक निर्माण विभाग को मनपा की जमीन पर काम करने की अनुमति दी गई थी? यह किसने निर्णय लिया कि लोक निर्माण विभाग यह कार्य करेगा? क्या यह कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा है? साथ ही कोर्ट ने इस मामले में जिलाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा। याचिकाकर्ता की ओर से एड. पी. एस. पाटील ने पैरवी की।

नहीं तो अधिकारीयों के वेतन खर्च की वसूली

इस मामले में कोर्ट ने जिलाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगते हुए चेतावनी भी दी कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया, तो जिलाधिकारी, लोक निर्माण विभाग के संबंधित अधिकारी और उनका बचाव करने वाले सरकारी वकीलों के वेतन से खर्च की वसूली की जाएगी।


Created On :   18 July 2024 7:43 PM IST

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