आदेश: विवेकानंद स्मारक के स्थानांतरण पर उच्च स्तरीय समिति 10 जून तक निर्णय ले

विवेकानंद स्मारक के स्थानांतरण पर उच्च स्तरीय समिति 10 जून तक निर्णय ले
  • प्रशासन द्वारा किया गया कार्य गलत होने से आई बाढ़
  • नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई थी
  • अंबाझरी तालाब और नाग नदी परिसर के अवैध निर्माणों पर सवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर । बाॅम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर है। मनपा ने अंबाझरी तालाब के पास निर्मित विवेकानंद स्मारक "नो डेवलपमेंट जोन' में नहीं बल्कि "रिक्रिएशन जोन' में आने का दावा किया था। मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मनपा के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि सिंचाई विभाग के सर्कुलर के आधार पर स्मारक प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि विवेकानंद स्मारक को उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित करने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति 10 जून तक निर्णय ले।

यह है मामला : मनपा, नासुप्र और महामेट्रो इन तीनों प्रशासनों की ओर से अंबाझरी व नाग नदी परिसर में किया हुआ निर्माण गलत है। इस कारण पिछले साल सितंबर महीने में इस परिसर में बाढ़ आई और हजारों लोगो को नुकसान सहना पड़ा। इसलिए मामले की न्यायालयीन जांच की मांग करते हुए नुकसानग्रस्त रामगोपाल बचुका, जयश्री बनसोड, नत्थुजी टिक्कस ने नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में अंबाझरी तालाब और नाग नदी परिसर के अवैध निर्माणों पर सवाल उठाया गया है। पिछली सुनवाई में मनपा ने अंबाझरी तालाब के पास निर्मित विवेकानंद स्मारक "नो डेवलपमेंट जोन' में बनाए जाने की बात स्वीकार की थी, लेकिन अब तीन दिन के भीतर ही मनपा ने इस बात से यू-टर्न लिया था। मनपा ने कोर्ट में नया हलफनामा दायर करते हुए बताया था कि, जिस स्थान पर स्मारक बनाया गया है वह "रिक्रिएशन जोन' में आता है।

कोर्ट ने पूछा- जिम्मेदारी कौन लेगा : सुनवाई के दौरान ऑनलाइन मौजूद राज्य के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ से जब पूछा गया कि इस संबंध में जिम्मेदारी कौन लेगा, तो उन्होंने इस संबंध में उच्च स्तरीय समिति को निर्णय लेने देने का अनुरोध किया। विस्तृत चर्चा के बाद कोर्ट ने इस अनुरोध पर सहमति जताई और 10 जून तक स्मारक के स्थानांतरण के संबंध में निर्णय लेने का आदेश दिया। इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई 12 जून को निश्चित की है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर ने पैरवी की।

मनपा के यू-टर्न पर कोर्ट की नाराजगी : मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने मनपा के यू-टर्न को लेकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि क्या आप कलर ब्लाइंड हैं? क्या आपके अधिकारी नहीं जानते? इसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सिंचाई विभाग के सर्कुलर के मुताबिक तालाब के दो सौ मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित है। इसलिए यह स्मारक अवैध होने का दावा किया। इस पर जवाब देते हुए मनपा ने कहा कि मार्च 2018 में सिंचाई विभाग ने संशोधित सर्कुलर निकालकर प्रतिबंधित क्षेत्र की दूरी 200 मीटर से 30 मीटर कर दी थी। इस पर कोर्ट ने मनपा से जिरह की। सिंचाई विभाग ने 2018 में अपने आदेश में संशोधन किया, लेकिन स्मारक की अनुमति मनपा पहले दे दी थी। इसका मतलब है कि मनपा ने नियमों का उल्लंघन किया है और प्रतिबंधित क्षेत्र में स्मारक बनाया है। मनपा की ओर से कहा गया कि स्मारक जनहित के लिए बनाया गया है। मनपा के इस बयान पर कोर्ट ने भी कड़ी नाराजगी जताई।

Created On :   9 May 2024 4:02 PM IST

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