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लेट-लतीफी: नागपुर के अंबाझरी बांध का काम पूरा करने में लगेंगे 6 महीने , बाढ़ का खतरा बरकरार
- इस साल के मानसून में भी बाढ़ का खतरा रहेगा
- बांध की मजबूती के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य
- एक उच्च स्तरीय समिति का गठन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाॅम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर है। इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई में सिंचाई विभाग ने शपथ-पत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया कि मानसून सीजन के दौरान अंबाझरी बांध में पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए बांध पर गेट लगाने की योजना है। उचित निर्माण योजना के साथ-साथ कुछ नियोजन कार्य भी करना होगा। इसके लिए दो महीने की अवधि अपेक्षित है। इसलिए, कार्य आदेश जारी होने के बाद, काम पूरा करने में कम से कम छह महीने लगेंगे। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि नागपुर के लोगों को इस साल के मानसून में भी बाढ़ का खतरा हो सकता है।
अवैध निर्माणों पर सवाल : मनपा, नासुप्र और महामेट्रो इन तीनों प्रशासनों द्वारा अंबाझरी व नाग नदी परिसर में किया हुआ निर्माण गलत है। इस कारण पिछले साल सितंबर महीने में इस परिसर में बाढ़ आई और हजारों लोगों को नुकसान सहना पड़ा। इसलिए मामले की न्यायालयीन जांच की मांग करते हुए नुकसानग्रस्त रामगोपाल बचुका, जयश्री बनसोड, नत्थुजी टिक्कस इन नागरिकों ने नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में अंबाझरी तालाब और नाग नदी परिसर के अवैध निर्माणों पर सवाल उठाया गया है। राज्य सरकार ने अंबाझरी बांध को मजबूत करने और मुद्दों के समाधान के लिए विभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
निरीक्षण के बाद विवेकानंद स्मारक पर होगा निर्णय : सिंचाई विभाग ने शपथ-पत्र में बताया कि, स्वामी विवेकानन्द स्मारक को हटाने की आवश्यकता है या नहीं, इसकी जांच के लिए जल विज्ञान विभाग के संकल्पना एवं प्रशिक्षण विभाग के महानिदेशक तथा महाराष्ट्र इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, नासिक को निर्देश दिए गए हैं। उनके जवाब के मुताबिक पुणे स्थित सेंट्रल वॉटर एंड पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट को भी निरीक्षण के लिए साथ ले जाने की जरूरत है। इसके बाद ही यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि स्मारक को हटाने की जरूरत है या नहीं।
अध्ययन की दी जानकारी : 10 जनवरी और 24 जनवरी को हुई बैठक में बांध की मजबूती को लेकर कुछ निर्णय लिए गए। इसी के मद्देनजर महाराष्ट्र इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, नासिक के साथ मिलकर क्षेत्र का निरीक्षण और अध्ययन किया गया, यह जानकारी सिंचाई विभाग की कार्यकारी अभियंता प्रांजली टोंगसे ने शपथ-पत्र दायर करते हुए कोर्ट को दी। साथ ही उन्होंने बांध की मजबूती के लिए योजनाबद्ध विभिन्न कार्यों का भी उल्लेख किया जैसे बांध का निर्माण शुरू करने से पहले जमीनी स्तर की जांच करना, जल प्रवाह का परीक्षण करना। याचिकाकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर और सिंचाई विभाग की ओर से एड. जयदीप चांदुरकर ने पैरवी की।
Created On :   29 Feb 2024 6:04 AM GMT