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जनहित याचिका: जम्मू-कश्मीर की ही तरह देश भर में चुनाव क्यों नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आगामी विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 2011 की जनगणना के अनुसार निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित करने की मांग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर है। सुनवाई में याचिकाकर्ता ने एक अर्जी दायर करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया गया है। इस कारण वहां विशेष प्रावधान लागू नहीं किया जा सकता। फिर भी निर्वाचन आयोग सिर्फ जम्मू-कश्मीर में 2011 के जनगणना के आधार पर आगामी चुनाव लेने वाला है। विशेष प्रावधान लागू न होते हुए भी अगर वहां 2011 की जनगणना से चुनाव हो सकते हैं, तो देश भर में क्यों नहीं? यह सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता ने आगामी लाेकसभा और विधानसभा चुनाव 2011 की जनगणना अनुसार लेने की मांग की है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।
याचिकाकर्ता का तर्क सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद तभाने ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, देश में हर 10 साल में जनगणना की जाती है और संविधान के अनुच्छेद 330 के अनुसार चुनाव में पिछड़े वर्ग के लिए उनकी जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित करना जरूरी है। इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में 2011 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित किए जाने की मांग याचिकाकर्ता ने की है।
निर्वाचन आयोग के फैसले पर आपत्ति : पिछली सुनवाई में निर्वाचन आयोग ने बताया था कि 2001 की जनगणना से ही आगामी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे। यह भी स्पष्ट किया था कि परिसीमन आयोग कानून के अनुच्छेद 8 (ए) अनुसार सिर्फ जम्मू-कश्मीर में 2011 के जनगणना के आधार पर आगामी चुनाव होंगे। बुधवार को न्या. अतुल चांदूरकर और न्या. अभय मंत्री के समक्ष एक अर्जी दायर कर याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग के फैसले पर आपत्ति जताई। याचिकाकर्ता की ओर से एड. आनंद परचुरे व एड. पवन सहारे, निर्वाचन आयाेग की ओर से एड. नीरजा चौबे और केंद्र की ओर से असिस्टेंट साॅलिसिटर जनरल एड. नंदेश देशपांडे ने पैरवी की।
Created On :   2 Nov 2023 11:47 AM IST