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घपला: 10 करोड़ की जमीन 25 करोड़ में खरीदी, उस पर बैंक से 50 करोड़ का लोन लिया, फिर नीलामी में 6.90 करोड़ में ले ली
- माफियाओं और बैंककर्मिर्यो की मिलीभगत से सरकारी बैंकों को चूना, पूरा रैकेट सक्रिय
- पर्दे के पीछे हुई करोड़ों की डील, डमी कंपनी के जरिए खरीदी
- जिस कंपनी ने खरीदी उसका पते पर नामोनिशान तक नहीं
सुनील हजारी , नागपुर । शहर में एक बड़ी गैंग सरकारी बैंकों के अधिकारियों से मिलीभगत कर बैंकों को ही चूना लगा रही है। बैंकों के साथ आम लोगों की जमा रकम पर भी डाका डाला जा रहा है। इस घोटाले को आसानी से समझने के लिए एक बानगी देखिए। इस गैंग ने पहले एक विवादित जमीन, जिसका बाजार मूल्य ही 10 करोड़ था, उसे 25 करोड़ में खरीदना बताकर रजिस्ट्री करवाई, िफर इसे एसबीआई में गिरवी रखा। बैंक से इस जमीन का वैल्यूएशन 50 करोड़ का कराकर लोन दे दिया। फिर लोन लेने वाले ने खुद को दिवालिया बताकर लोन चुकाने से हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद इसी गैंग ने एक बार फिर हेरा-फेरी कर इसी जमीन को एक डमी कंपनी बनाकर 6 करोड़ 93 लाख में खरीद ली। इस तरह बैंक से एक के बाद एक धोखाधड़ी की गई। इस पूरे घोटाले में जो चेहरे पर्दे के सामने आए वह अनजान हैं, वहीं पर्दे के पीछे कई बड़े चेहरे इस कारनामे में शामिल हैं। सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स तक पहुंची शिकायतों में इनके नामों का भी खुलासा है। जब ‘दैनिक भास्कर’ ने इसकी पड़ताल की, तो कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई हैं।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा : लोन लेने कागजों पर 10 करोड़ की जमीन 50 करोड़ की हुई : नागपुर के मौजा जूना पानी स्थित खसरा नंबर-16, खसरा नंबर-21, खसरा नंबर-22, खसरा नंबर 23/1, खसरा नंबर 24/1, खसरा नंबर 25/1, कुल 7.89 हेक्टेयर जमीन, जिसका बाजार मूल्य करीब 10 करोड़ था। उस जमीन को पंकज मेहाड़िया ने 25 करोड़ में विनय अग्रवाल से खरीदना बताकर उसकी रजिस्ट्री की। फिर पंकज ने इसी जमीन को एसबीआई में अधिक मूल्यांकन करवाकर 50 करोड़ का लोन ले लिया। अब हाल ही में इसी जमीन को बैंक से नीलामी के जरिए 6 करोड़ 93 लाख में एक "डमी कंपनी' कंपनी इनवेंटिव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने खरीदना बताया। उल्लेखनीय है कि पंकज मेहाड़िया ने इसी तरह कई फर्जीवाड़ा किए और जिन संपत्तियों को बैंक में गिरवी रखा था, उन बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से वह संपत्ति अपने नजदीकी लोगों को औने-पौने दाम में दिलवा दी।
जमीन पर मालिकी का विवाद कोर्ट में चल ही रहा था और तीन सौदे हो गए
संबंधित जमीन पर मालिकी हक का विवाद 63/2009 हिंगना के कोर्ट में चल रहा है। यह केस नरेश ठाकरे ने लगाया था, जिसमें वह खुद को जमीन का असली मालिक बता रहे थे। केस विनय अग्रवाल और ठाकरे के बीच था, जिसमें आज तक कोई फैसला नहीं हुआ कि असली मालिक कौन है। कंपनी के डायरेक्टर में से एक नेता के यहां, तो एक बिल्डर के यहां कर्मचारी हैं
इनवेंटिव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर के रूप में दो लोगों के नाम सामने आए। इसमें एक अश्विन मोहन कारणे और दूसरा नाम रमीज रिजवान शाह का था। सूत्रों के अनुसार अश्विन एक आमदार और रमीज एक बिल्डर के यहां काम करते हैं। संबंधित कंपनी का टर्न ओवर 50 करोड़ सालाना बताया गया।
किसने, क्या कहा
यह कंपनी डमी नहीं है, असली है : इनवेंटिव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कोई डमी कंपनी नहीं है। इसको अश्विन चलाते हैं। जिसे आप डमी कंपनी कह रहे हैं, उसका 50 करोड़ से अधिक का सालाना कारोबार है। इसकी जानकारी अश्विन बता देंगे। मेरा कोई इससे लेना-देना नहीं है। मेरा लड़का अश्विन के साथ ही रहता है। इसलिए वह गया था। यह कंपनी उन्हीं की है। आप अश्विन से पूछिए, उनके पास सभी जरूरी कागजात हैं। जमीन भी नियमानुसार बैंक से ली गई है। इस मामले में जो आपत्ति ले रहा है, वह खुद फर्जी है। उसकी शिकायत भी हमने पुलिस में की है। -इजराइल सेठ
हमने तो बैंक से नीलामी में जमीन खरीदी है : संबंधित जमीन हमने बैंक की नीलामी में खरीदी है। अब यह 50 करोड़ की थी या 25 करोड़ की थी, हमें इससे क्या मतलब। बैंक ने हमें विधिवत नीलामी में दी और हमने इसे खरीद लिया। रही डमी कंपनी की बात तो यह कंपनी असली है। इसके सभी कागजात मेेरे पास हैं। रही आमदार के यहां नौकरी की बात, तो मैं उनका एक सामान्य कार्यकर्ता हूं।-अश्विन कारणे
20 करोड़ का टर्न ओवर है कंपनी का : इनवेंटिव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का एक डायरेक्टर मैं भी हूं। कंपनी असली है, आप जिस पते पर पहुंचे, उस कंपनी का पता कागजों पर लिखा है। हम दूसरी जगह से कंपनी चलाते हैं। इसका टर्न ओवर 20 करोड़ का है। मैं इजराइल सेठ का कर्मचारी नहीं हूं, उनका फैमिली मेंबर हूं।-रमीज रिजवान शाह
सेठ का परिवार जमीन पर कब्जा लेने क्यों पहुंच रहा : यह जमीन मेरी थी। मेरा कोर्ट में इसी जमीन का केस चल रहा है। इसके बाद इसे दो बार बेचा गया, बैंक में गिरवी रखा गया। मैंने बार-बार इस पर आपत्ति ली। मगर बैंक की मिलीभगत के चलते किसी ने नहीं सुनी। जिस जमीन के मालिका का फैसला ही नहीं हुआ, उसे कैसे बेचा जा सकता है। कहने को जमीन किसी कंपनी ने खरीदी, मगर उसके कब्जे लेने इजराइल सेठ का परिवार पहुंचता है, जिसकी हमने पुलिस में भी शिकायत की है।-नरेश ठाकरे
इजराइल सेठ से कंपनी का कनेक्शन : इस मामले में इनकम टैक्स, ईडी और सीबीआई के पास पहुंची शिकायत में मुख्य रूप से इजराइल शेख उर्फ इजराइल सेठ का नाम सामने आया। भले ही एक कंपनी ने इस जमीन को खरीदा हो मगर इजराइल सेठ के लोग और उनका बेटा इस जमीन पर कब्जा करने पहुंचे थे, जिसकी पुलिस और प्रशासन में शिकायत भी की गई। इजराइल सेठ का नाम कुछ महीने पहले इनकम टैक्स के छापों में भी सामने आया था। यह मामला भी शेल कंपनियों से संबंधित था। 10 मई 2023 की इनकम टैक्स की यह कार्रवाई में एल-7 ग्रुप रवि अग्रवाल के साथ शेल कंपनियों के माध्यम से ट्रांजेक्शन करने को लेकर थी, जिसमें सेठ के अलावा लाला जैन, पारस जैन, शैलेश लाखोटिया, हेमंत तन्ना, करणी थावरानी, प्यारे खान के यहां भी छापे पड़े थे।
हम कुछ नहीं बता सकते, बाध्य हैं : एसबीआई : मामले में एसबीआई, भरत नगर शाखा से लोन लिया गया था और वहीं से बेचा गया था। वहां पता चला कि पूरी कार्रवाई एसबीआई, मुंबई के आला अधिकारी हिरण कुमार चावाह के जरिए की गई थी, कागजों में भी इनका ही नाम है। हमने इस पूरे मामले में कई सवाल किए, जिसमें बड़ा सवाल यह था कि बैंक ने जिस संपत्ति का मूल्यांकन 50 करोड़ में किया, तो फिर उसे 6.90 करोड़ में कैसे नीलाम कर दिया? या तो मूल्यांकन करने वाले गलत हैं या अब गलत हुआ है? इस पर चावाह का कहना था कि, मैं आपके सवालों का जवाब नहीं दे सकता। मुझे इसके लिए बैंक से अनुमति लेना होगी। अभी हम कुछ नहीं बता सकते, बाध्य हैं।
कंपनी के पते की जगह टीन का शेड मिला : सबसे पहले हमने इनवेंटिव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को खोजने का काम किया। उक्त कंपनी का पता 175, केलीबाग रोड, महल, बडकस चौक लिखा है। जब हम इस पते पर पहुंचे, तो यहां करीब 600 स्क्वेयर फीट का मकान मिला। यहां आस-पास इस कंपनी के बारे में पूछा, तो किसी ने भी जानकारी नहीं दी। उनका कहना था कि इसका नाम पहले कभी सुना ही नहीं, यहां काम करना तो दूर की बात। यह मकान अश्विन मोहन कारणे का था। घरवालों ने बताया कि उनका ऑफिस पास में है। जब हम वहां पहुंचे, तो एक टीन का शेड मिला। आस-पास वालों ने बताया कि यहां कोई कंपनी नहीं चलती। यहां तक कि किसी भी प्रकार का बोर्ड भी नहीं था।
Created On :   1 Feb 2024 11:18 AM IST